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MP Election 2018: कांग्रेस ने पांच कलेक्टरों को हटाने की मांग की

MP Election 2018 : कांग्रेस के अनुसार भोपाल के स्ट्रांग रूम की बिजली गुल होने, खुरई में 48 घंटे बाद ईवीएम जमा होने जैसी शिकायतों पर संबंधित जिलों के कलेक्टरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

By Hemant UpadhyayEdited By: Published: Wed, 05 Dec 2018 08:39 PM (IST)Updated: Thu, 06 Dec 2018 07:55 AM (IST)
MP Election 2018: कांग्रेस ने पांच कलेक्टरों को हटाने की मांग की
MP Election 2018: कांग्रेस ने पांच कलेक्टरों को हटाने की मांग की

भोपाल। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के दौरान मतदान, ईवीएम जमा करने तथा स्ट्रांग रूम की सुरक्षा में गड़बड़ी के आरोप लगाते हुए भोपाल, सागर, सतना, खरगोन और अनूपपुर जिलों के कलेक्टरों की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। पार्टी ने उक्त जिलों के कलेक्टरों को हटाने की मांग की है। वहीं, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा बुलाई गई कैबिनेट बैठक को मंत्रियों की विदाई पार्टी बताया है।

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प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में बुधवार को पीसीसी के मीडिया विभाग की अध्यक्ष शोभा ओझा, उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता, चुनाव कार्य प्रभारी जेपी धनोपिया ने संयुक्त पत्रकारवार्ता में ये आरोप लगाए। धनोपिया ने कहा कि मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय पोस्ट ऑफिस की भूमिका है और हम जो भी शिकायतें करते हैं, उन्हें वह लेकर दिल्ली भेज देता है।

अब तक भोपाल के स्ट्रांग रूम की बिजली गुल होने, खुरई में 48 घंटे बाद ईवीएम जमा होने जैसी शिकायतों पर संबंधित जिलों के कलेक्टरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सका है। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने मतदान के दौरान 1545 ईवीएम बदले जाने की जानकारी दी थी, लेकिन सूची आज तक उपलब्ध नहीं कराई है।

धनोपिया ने आरोप लगाया कि प्रदेश के कई कलेक्टर भाजपा के लिए काम कर रहे हैं। शोभा ओझा ने मुख्यमंत्री चौहान द्वारा सेवा भावना के लिए कैबिनेट बैठक बुलाए जाने पर कहा कि तब उनकी सेवा भावना कहां गई थी, जब मंदसौर में छह किसान, व्यापमं में 50 लोग मारे गए थे और प्रदेश में अवैध उत्खनन हो रहा था।

चुनाव को मजाक बनाने के आरोप पर शोभा ओझा ने कहा कि क्या वे यह चाहते हैं कि ईवीएम के 48 घंटे बाद स्ट्रांग रूम पहुंचने, स्ट्रांग रूम की बिजली गुल होने, स्ट्रांग रूम में खाली बक्से लेकर लोगों के निर्बाध आने की गतिविधियों पर कांग्रेस कुछ नहीं कहे। उन्होंने सवाल उठाया है कि वे निर्वाचन आयोग जैसी संवैधानिक संस्था पर अमानवीय व्यवहार करने का आरोप लगा रहे हैं, क्या वह सही है। 


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