Move to Jagran APP

MP Election 2018 : वोटर्स से ऐसे रिश्ते जोड़ रहे प्रत्याशी, कह रहे- बड्डे जरा ख्याल रखियो

MP Election 2018 : इस कवायद में प्रत्याशी के रिश्तेदार भी उनकी ऐसे मदद कर रहे हैं।

By Saurabh MishraEdited By: Published: Tue, 13 Nov 2018 02:05 PM (IST)Updated: Tue, 13 Nov 2018 02:05 PM (IST)
MP Election 2018 : वोटर्स से ऐसे रिश्ते जोड़ रहे प्रत्याशी, कह रहे- बड्डे जरा ख्याल रखियो
MP Election 2018 : वोटर्स से ऐसे रिश्ते जोड़ रहे प्रत्याशी, कह रहे- बड्डे जरा ख्याल रखियो

जबलपुर। 'काए बड्डे का हाल है, का चल रहो, चुनाव में ख्याल रखियो, अम्मा हमईं खें वोट दइयो" कुछ इसी अंदाज में इन दिनों प्रत्याशी घर-घर पहुंचकर वोटरों को रिझाने में जुटे हैं। हर घर से रिश्ता बनाने के लिए प्रत्याशी बड्डे, दादा, अम्मा, मामा, बहनजी जैसे शब्दों का प्रयोग भी कर रहे हैं।

loksabha election banner

प्रत्याशी वोटरों को उनकी उम्र के लिहाज से संबोधित कर पुराने संबंधों की याद भी ताजा कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि रिश्तों की डोर वोटरों से एक बार बंधने के बाद वोट कहीं और नहीं खिसकेगा।

पुराने रिश्तेदारों के घर भी पहुंच रहे

प्रत्याशियों के रिश्तेदार अब यह ध्यान रख रहे हैं कि विधानसभा क्षेत्र में उनके कोई पुराने रिश्तेदार हैं कि नहीं। यदि पुराना कोई रिश्ता निकलकर सामने आता है तो उसके घर प्रत्याशी मिलने जा रहे हैं और उस भूले-बिसरे रिश्ते को याद करके उसे संजीवनी दे रहे हैं। इसके बाद फिर उस रिश्तेदार से वोट तो मांग ही रहे हैं। इसके साथ ही उनसे जुड़े हुए अन्य रिश्तेदार व दोस्तों से भी वोट अपने पक्ष में डालने की अपील कर रहे हैं।

कार्यकर्ता के रिश्तेदार से जोड़ रहे रिश्ते

प्रत्याशियों की नजर हर रिश्ते पर है। वह यह देख रहे हैं कि हर घर से कोई न कोई रिश्ता निकलकर आए और उसे भुनाया जाए। इसमें कार्यकर्ता भी उनकी मदद कर रहे हैं। कार्यकर्ताओं के चाचा, मामा, दादा, भैया, जीजा या अन्य कोई भी रिश्तेदार होते हैं तो उनसे प्रत्याशी भी अपना वही रिश्ता बनाकर लेते हैं।

गांवों में दद्दा, भौजाई, कक्का का चलन

ग्रामीण विधानसभा सीटों पर दद्दा, भौजाई, कक्का यह शब्द प्रचलन में हैं। गांवों में इनसे ही अपनापन झलकता है। इसलिए प्रत्याशी जिस घर में भी वोट मांगने जाते हैं, वहां बुजुर्गों को दद्दा, कक्का और महिलाओं को अम्मा, भौजाई कहकर संबोधित कर रहे हैं। गांवों में इस तरह के संबोधन से मतदाता भी प्रभावित हो रहे हैं।

हक से कह रहे, दद्दा चाय तो पिलाओ

ग्रामीण वोटरों में पैठ बनाने के लिए प्रत्याशी न केवल उनसे घर-घर जाकर मिल रहे हैं, बल्कि बड़े ही हक से 'दद्दा चाय तो पिलाओ" कहकर साथ बैठने से भी नहीं चूक रहे हैं। इससे पूरे परिवार के साथ प्रत्याशियों का अपनत्व भी बढ़ रहा है। प्रत्याशी महसूस कर रहे हैं कि इस भावना को वह वोट में कन्वर्ट कर लेंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.