MP Election 2018: मतदान के बाद भी प्रत्याशियों को देना होगा खर्चे का हिसाब
MP Election 2018: नामांकन दाखिल करने के साथ ही आयोग प्रत्याशी के खर्चे का लेखा-जोखा रखना शुरू कर देता है। ऐसे में नतीजों के बाद प्रत्याशियों को इस पर ध्यान देना होगा।
जबलपुर। विधानसभा चुनावी मैदान में उतरे प्रत्याशियों को अपने चुनावी खर्च का हिसाब नामांकन दाखिल करने से लेकर मतदान और मतगणना तक का देना है। जीत हासिल करने वाले प्रत्याशी विजय जुलूस निकालते हैं तो उसके खर्च का भी हिसाब-किताब आयोग को देना होगा। यदि रिजल्ट घोषित होने के 30 दिन में कोई प्रत्याशी ब्योरा पेश नहीं करता है, तब आयोग ऐसे प्रत्याशी को अयोग्य घोषित कर सकता है।
ऐसे पेश करना है खर्च का ब्योरा
जिस दिन नामांकन दाखिल किया जाता है, उसी दिन से प्रत्याशी के हर तरह के खर्चे का हिसाब रखा जाने लगता है। खुद प्रत्याशी को खर्च बताना है और आयोग भी अपने स्तर पर प्रत्येक उम्मीदवार के खर्च का हिसाब तैयार करता है। जिसका मिलान समय-समय पर किया जाता है। कोई कमी होने पर उस प्रत्याशी से संबंधित खर्च के बारे में नोटिस देकर पूछताछ की जा सकती है।
मतदान से पहले तीन बार और मतदान के बाद मतगणना वाले दिन तक होने वाले खर्च की जानकारी प्रत्याशी को देने का नियम है। मतगणना के बाद जीतने वाले उम्मीदवार विजय जुलूस भी निकालते हैं, या किसी तरह का आयोजन करते हैं। ऐसे सभी कार्यक्रमों पर होने वाला खर्च उस प्रत्याशी के खाते में जोड़ा जाता है।
नहीं बताया खर्च तो ये होगा
निर्वाचन आयोग का नियम कहता है कि रिजल्ट घोषित होने के 30 दिन के भीतर सभी प्रत्याशियों को अपने चुनावी खर्च का फाइनल हिसाब पेश करना है। जो उम्मीदवार खर्च की जानकारी नहीं देगा, तब उसे नोटिस जारी होगा। इस नोटिस के बाद भी जवाब नहीं देने वाले उम्मीदवारों को अयोग्य घोषित किया जा सकता है। जो प्रत्याशी हारेंगे उन्हें भी खर्च का ब्योरा देना अनिवार्य है। यदि वे ऐसा नहीं करते तो वे अगले चुनाव के लिए अयोग्य घोषित हो जाएंगे।
हर सामग्री, हर काम के रेट तय
आयोग ने उम्मीदवारों के झंडे-बैनर, वाहन, कार्यालय, चाय-नाश्ता से लेकर हर तरह के कार्यों की सूची तैयार की है। यदि प्रत्याशी अपने ब्योरे में खुद ही सभी जानकारी देता है, तो उसका मिलान आयोग की सूची से भी किया जाता है। कोई अनियमितता या कमी दिखाई देने पर आयोग प्रत्याशी से उस विषय पर जवाब तलब कर सकता है।