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MP Election 2018: प्रदेश की चुनौतीभरी सीटों पर भी महिला प्रत्याशियों ने दिखाया दम

MP Election 2018- इस बार के विधानसभा चुनाव में कई सीटें ऐसी हैं, जहां महिला उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतरी थीं। ऐसे में इनके नतीजों पर भी सबकी नजर बनी हुई है।

By Saurabh MishraEdited By: Published: Mon, 10 Dec 2018 06:11 PM (IST)Updated: Tue, 11 Dec 2018 07:33 PM (IST)
MP Election 2018: प्रदेश की चुनौतीभरी सीटों पर भी महिला प्रत्याशियों ने दिखाया दम
MP Election 2018: प्रदेश की चुनौतीभरी सीटों पर भी महिला प्रत्याशियों ने दिखाया दम

भोपाल। मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव के नतीजों की तस्वीर लगभग साफ हो चुकी है। इस बार प्रदेश के दोनों ही बड़े राजनीतिक दलोें भाजपा और कांग्रेस की ओर से कई महिला उम्मीदवार मैदान में थी। इन महिला उम्मीदवारों की किस्मत कहीं जमकर चमकी तो कई सीटों पर महिला प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा है।

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शिवपुरी सीट पर दोबारा यशोधरा राजे की जीत तय 

2013 की तरह ही इस बार भी भाजपा ने प्रदेश में उद्योग मंत्री रहीं यशोधरा राजे सिंधिया को चुनावी मैदान में उतारा था। इस सीट को सिंधिया परिवार का गढ़ माना जाता है। पिछले चुनाव में तो यशोधरा ने 76 हजार वोटों से जीत हासिल की थी। लेकिन इस बार का चुनाव काफी दिलचस्प रहा। कांग्रेस ने उनके खिलाफ युवा उम्मीदवार सिद्धार्थ लढ़ा को मैदान में उतारा था। माना जा रहा था कि कांग्रेस इस सीट पर राजघराने की यशोधरा राजे को कड़ी टक्कर देंगे, हालांकि इस सीट पर यशोधरा ने अपने प्रतिद्वंदी पर आसान जीत दर्ज की।

साल 2013 में सिंधिया परिवार का गढ़ होने के बावजूद वोट प्रतिशत के मामले में बीजेपी और कांग्रेस में कड़ा मुकाबला रहा था। ऐसे में इस सीट के नतीजे पर सबकी नजरें थी। 

भाजपा की इकलौती मुस्लिम उम्मीदवार फातिमा रसूल हारी

इस बार प्रदेश की 230 सीटों में से भाजपा ने सिर्फ इसी सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार फातिमा रसूल सिद्दिकी को मौका दिया गया था। इसके पीछे की वजह भी साफ थी, इस सीट पर मुस्लिम वोटर्स की संख्या आधी थी। इस सीट से भाजपा सिर्फ एक बार ही जीती है, जब राम मंदिर आंदोलन की लहर में रमेश शर्मा के सिर पर जीत का सेहरा बंधा था। लेकिन इस बार भाजपा का ये दांव सफल होता नजर नहीं आया। इस सीट से कांग्रेस प्रत्याशी आरिफ अकील ने अंतिम दौर तक बड़ी बढ़त हासिल कर ली थी,ऐसे में कांग्रेस प्रत्याशी की इस सीट पर जीत औपचारिकता भर बनकर रह गई है।

इंदौर को सफाई में नंबर वन बनाने वाली गौड़ फिर जीतीं

इंदौर की विधानसभा चार सीट से मालिनी गौड़ तीसरी बार अपनी किस्मत आजमा रही थीं। इस सीट को इंदौर की अयोध्या कहा जाता है। एक बार फिर इस अयोध्या पर भाजपा का झंडा लहरा गया है। यहां से मालिनी गौड़ ने कांग्रेस प्रत्याशी सुरजीत सिंह चड्ढा को बड़े अंतर से हरा दिया है। चड्ढा पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे थे।

भांडेर सीट पर महिला उम्मीदवारों के बीच थी जंग

प्रदेश में इस सीट पर सबकी नजर इसलिए नहीं थी कि यहां से कोई सियासी दिग्गज मैदान में उतरा है, बल्कि यहां कांग्रेस, भाजपा और बसपा तीनों ही बड़ी पार्टियों ने महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था। यहां से कांग्रेस प्रत्याशी रक्षा सरोनिया ने भाजपा प्रत्याशी रजनी प्रजापति को बड़े अंतर से हराकर इस सीट पर अपना कब्जा जमाया। वहीं बसपा की उम्मीदवार इस सीट से अपनी जमानत बचाने में भी नाकाम रहीं। 

इसके अलावा चाचौड़ा सीट के नतीजे पर भी सबकी निगाहें थी, क्योंकि इस सीट पर दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। उनके खिलाफ भाजपा ने ममता मीणा को मैदान में उतारा था। इस सीट पर मतगणना की शुरूआत से ही कांटे की टक्कर नजर आई,हालांकि अंतिम दौर में भाजपा प्रत्याशी ममता मीणा कांग्रेस प्रत्याशी लक्ष्मण सिंह से पिछड़ गईं।

धार विधानसभा सीट पर रही कांटे की टक्कर

धार सीट से वरिष्ठ भाजपा नेता विक्रम वर्मा की पत्नी नीना वर्मा और कांग्रेस नेता बालमुकुंद गौतम की पत्नी प्रभा गौतम के बीच मुकाबला था। इस सीट पर दोनों ही प्रत्याशियों के बीच कांटे की टक्कर अंतिम दौर तक चली। नेट टू नेट इस मुकाबले में दोनों ही प्रत्याशी पतियों की प्रतिष्ठा और राजनीतिक भविष्य दाव पर लगा है। 

महू विधानसभा के नतीजे पर सबकी नजर

महू विधानसभा सीट से इस बार भाजपा ने कट्टर हिंदूवादी छवि वाली उषा ठाकुर को चुनावी मैदान में उतारा था। हालांकि वो इंदौर की विधानसभा तीन से विधायक थीं। लेकिन पार्टी ने इस सीट से भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय को मौका दिया था। ऐसे में सीट बदलने के बाद तीखे बयानों, पार्टी की खुली मुखालफत के बाद वो चुनावी मैदानी में उतरीं। कठिन चुनौती के बीच उषा ठाकुर ने इस मुकाबले में  कांग्रेस केअंतर सिंह दरबार से को 

उस चुनाव में भाजपा के इस कद्दावर नेता को उन्होंने कड़ी टक्कर दी थी। ऐसे में उषा ठाकुर के लिए राह आसान नहीं रही। ठाकुर की सीट बदलने से उन्हें नई विधानसभा सीट पर सिर्फ 15 दिन ही प्रचार करने का मौका मिला था,बावजूद इसके भी अंतिम दौर के रूझान आने तक अंतर सिंह दरबार और उषा ठाकुर के बीच कड़ी टक्कर जारी है।


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