MP Election 2018 : मंदसौर विधानसभा में 'अपनों' के असंतोष से निपटना बड़ी चुनौती
MP Election 2018 मंदसौर का 1957 से लेकर 2013 तक का चुनाव इतिहास देखें तो 13 चुनावों में 7 बार भाजपा व 6 बार कांग्रेस विजयी हुई है।
आलोक शर्मा, मंदसौर। मंदसौर विधानसभा में इस बार भाजपा-कांग्रेस उम्मीदवारों के अलावा एक भी प्रत्याशी ऐसा नहीं है जो मुकाबले को रोचक बना सके। कांग्रेस ने इस बार पूर्व मंत्री नरेंद्र नाहटा को उतारकर अप्रत्याशित कदम उठाया है। तो भाजपा ने दो बार के विधायक यशपालसिंह सिसौदिया पर ही भरोसा जताया है।
दोनों ही उम्मीदवारों में एक बात समान है कि उन्हें विपक्ष से पहले अपनों के असंतोष से निपटना होगा। जो इनसे जीत गया वही सिकंदर बन जाएगा। विधायक के विकास कामों पर कार्यकर्ताओं का असंतोष भारी पड़ता नजर आ रहा है।
मंदसौर का 1957 से लेकर 2013 तक का चुनाव इतिहास देखें तो 13 चुनावों में 7 बार भाजपा व 6 बार कांग्रेस विजयी हुई है। भाजपा 2003 से लगातार यहां जीत दर्ज कर रही है। वर्तमान विधायक यशपालसिंह सिसौदिया के खाते में विकास कार्य की संख्या अच्छी खासी है पर भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं में असंतोष, भूमाफियाओं व खनन माफियाओं से जुड़े मुद्देे, तेलिया तालाब की सीमा कम करने के मामले में चुप्पी साधना, अपनी जिद से कलेक्टोरेट शहर से 8 किमी तक दूर ले जाना जैसे कई मुद्दे ऐसेे हैं जिन पर कोई आमजन सहित पार्टी कार्यकर्ताओं की भी नाराजगी है।
कांग्रेस ने पिछले दो चुनाव हार चुके महेंद्रसिंह गुर्जर को हटाकर इस बार पूर्व मंत्री नरेंद्र नाहटा को मैदान में उतारा है। नाहटा इससे पहले नीमच जिले की मनासा से चुनाव लड़ते रहे हैं। पहली बार वे मंदसौर से चुनाव मैदान में हैं। 2008 में पहली बार चुनाव लड़े सिसौदिया महज 1600 मतों से जीते थे।
2013 की मोदी लहर में जीत का आंकड़ा 24 हजार से अधिक मतों का हो गया। कांग्रेस में गुटबाजी के चलते वैसे भी कार्यकर्ता अनेक गुटों में बंटे हुए हैं और उनको साथ लेकर चलना अनुभवी नाहटा के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। चुनाव प्रचार का शुरुआती दौर अभी ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहा है। इसलिए शहर में ज्यादा हलचल नहीं है। फिर भी एट्रोसिटी एक्ट व आर्थिक आधार पर आरक्षण की मांग ने कहीं न कहीं सवर्णों को लामबंद तो किया है। उसका असर भी यहां पड़ना निश्चित लग रहा है।
कुल मतदाता- 244510
पुरुष -124641
महिला -119862
क्यों चर्चित
वर्तमान में यशपालसिंह सिसौदिया विधायक हैं। यहां से कांग्रेस ने पूर्व मंत्री नरेंद्र नाहटा को उतारा है। कांग्रेस 1998 में आखिरी बार जीती थी। इस बार यहां भाजपा कांग्रेस में आमनेे-सामने का मुकाबला है।
2013 के विस चुनाव का परिणाम
यशपालसिंह सिसौदिया, भाजपा -84975
महेंद्रसिंह गुर्जर, कांग्रेस -60680
आशिया बी, निर्दलीय -17332
कुल मतदान केंद्र 285