MP Chunav 2018: बगलामुखी के दरबार में शत्रुनाश के मंत्रों से नेता करा रहे हवन
MP Chunav 2018: 15 दिन में करीब 1500 हवन हो चुके हैं और आने वाले 15 दिन में इतने ही हवन और होंगे।
शाजापुर/नलखेड़ा, ईश्वरसिंह परमार/भूपेंद्र शर्मा, नईदुनिया। मप्र और राजस्थान के सैकड़ों 'भावी" विधायक और उनके समर्थक आगर जिले के नलखेड़ा स्थित विश्व प्रसिद्ध मां बगलामुखी की शरण में हैं। तंत्रोक्त अनुष्ठानों के लिए प्रसिद्ध इस मंदिर में चुुनाव में जीत के लिए विजयश्री एवं शत्रुनाश के मंत्रों के उच्चारण के साथ हवन-अनुष्ठान करवाए जा रहे हैं।
औसत 100 हवन-अनुष्ठान रोज हो रहे हैं। 15 दिन में करीब 1500 हवन हो चुके हैं और आने वाले 15 दिन में इतने ही हवन और होंगे। कई नेता, समर्थक तो तीन से चार दिन की वेटिंग पर हैं। सुबह से हवन-अनुष्ठान शुरू हो जाते हैं, जो रात तक जारी रहते हैं। हवन से पहले नेता-समर्थक सवा लाख मंत्र उच्चारण का संकल्प भी लेते हैं।टिकट वितरण के साथ ही मंदिर में मप्र एवं राजस्थान के नेताओं का जमावड़ा लगना शुरू हो गया। जो नहीं आ सके वे अपने समर्थकों के जरिए विशेष पूजा करवा रहे हैं।
पं. दुर्गाप्रसाद शर्मा बताते हैं 'बगला हृदय" आदि मंत्रों से हवन कुंड में आहुतियां डाली जाती हैं। फिर संबंधित व्यक्ति मन में ही संकल्प लेेते हैं। अभी चुनाव में विजयश्री के लिए नेता या समर्थक संकल्प ले रहे हैं। हवन से पहले उन्हें मंत्रों का संकल्प लेकर उनका उच्चारण करना पड़ता है। पं. आनंद शर्मा ने बताया कि चुनावी विजय के लिए 'बगलामुखी ब्राह्मस्त्र" के मंत्रों को जपा जाता है। जप के साथ हवन में करीब तीन घंटे लगते हैं। साधारण हवन में डेढ़ घंटे का समय लगता है। इंदौर, भोपाल, उज्जैन, शाजापुर समेत प्रदेशभर से नेता या उनके समर्थक हवन करवा चुके हैं। करीब 40 से ज्यादा नेता अगले तीन-चार दिनों में अनुष्ठान करवाएंगे।
टिकट मिलने से मतगणना तक होते हैं हवन
पहले टिकट के लिए दावेदारों ने मां बगलामुखी के दरबार में विशेष हवन, पूजन कराया। जिन्हें टिकट मिल गए। अब वे चुनाव में जीत के लिए विशेष पूजा, हवन करवा रहे हैं। टिकट के लिए ही 10 दिन में करीब 150 नेताओं ने हवन-पूजन करवाया था। वहीं टिकट मिलने के बाद प्रतिदिन औसत 100 हवन हो रहे हैं। शुक्रवार माता का विशेष दिन माना जाता है और रविवार को अवकाश रहता है। इसलिए इन दो दिनों में हवन का आंकड़ा 150 तक पहुंच जाता है। मंदिर में करीब 60 पंडित हैं, जो हवन कर रहे हैं।
क्यों खास है मंदिर
देश में मां बगलामुखी के तीन महत्वपूर्ण प्राचीन मंदिर हैं जिन्हें सिद्धपीठ कहा जाता है। उनमें से एक नलखेड़ा में मां भगवती बगलामुखी का महत्व समस्त देवीयों में सबसे विशिष्ट है। अन्य दो ऐतिहासिक मंदिर दतिया (मप्र) और कांगड़ा (हिमाचल) में है। तीनों का अपना अलग-अलग महत्व है। मंदिर के आसपास चारों दिशा में कई साधु-संतों की प्राचीन समाधियां भी हैं। पं. शर्मा ने बताया कि बगलामुखी दस महाविद्या में अष्ठम महाविद्या होती है। एक मात्र बगलामुखी ऐसी शक्ति हैं, जिन्हें ब्राह्मस्त्र विद्या कहा जाता है। ब्राह्मस्त्र विद्या वह है, जिसका वार अचूक हो। यह श्रीकुल की देवी हैं। इसलिए सात्विकएवं तामसिक पूजन दोनों होती है। सात्विक पूजन में मंदिर परिसर में बैठकर आसानी से सात्विक व वैदिक मंत्रों द्वारा पूजन करते हैं। तामसिक पूजा रात के समय होती है। इसमें मद्य, मांस, मदिरा आदि का उपयोग होता है। चुनाव में सात्विक पूजा होती है।