MP Chunav 2018: जिन्हें मिला निमाड़ का प्यार MP में उसी पार्टी की सरकार
Madhya Pradesh Chunav 2018: जिस पार्टी ने निमाड़ के चार जिलों खंडवा, बड़वानी, बुरहानपुर व खरगोन में ज्यादा सीटें हासिल कर ली, सरकार भी उसी की बनी।
सेंधवा (बड़वानी), रमन बोरखड़े। मध्य प्रदेश की राजनीति में निमाड़ खासा महत्व रखता है। यहां के नेताओं ने जहां प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर तक नेतृत्व किया है वहीं निमाड़ के साथ एक संयोग यह भी है कि जिस पार्टी ने निमाड़ के चार जिलों खंडवा, बड़वानी, बुरहानपुर व खरगोन में ज्यादा सीटें हासिल कर ली, सरकार भी उसी की बनी। आदिवासी बहुल निमाड़ क्षेत्र में वर्ष 2003 तक विधानसभा की 17 सीटें थीं। 2008 में एक सीट शाहपुर खत्म कि ए जाने से 16 सीटें बची हैं। निमाड़ की 16 सीटों में से फिलहाल 11 भाजपा के कब्जे में हैं।
1998 में निमाड़ की 17 सीटों में से 11 कांग्रेस ने जीती और कांग्रेस की दिग्विजय सिंह सरकार बनी। वहीं पांच सीट भाजपा और एक सीट निर्दलीय ने जीती थी। 2003 में निमाड़ की 17 में से 13 सीट भाजपा ने जीती और उमा भारती की सरकार बनी। तीन सीट कांग्रेस ने और एक सीट पर राकांपा जीती थी। 2008 में निमाड़ की 16 सीटों में से 14 जीतकर भाजपा ने रिकॉर्ड और सरकार दोनों बनाई। कांग्रेस महज दो सीट पानसेमल व महेश्वर पर जीत दर्ज करा पाई थी। 2013 के चुनाव में निमाड़ की 16 सीटें में से भाजपा ने 11 सीट जीतकर फिर सरकार बनाई थी। कांग्रेस ने पांच सीट जीती थी।
निमाड़ से एक सीएम, एक डिप्टी सीएम : प्रदेश की स्थापना के बाद से अब तक निमाड़ से एक मुख्यमंत्री और एक उप मुख्यमंत्री मिला है। खंडवा के भगवंतराव मंडलोई दो बार मुख्यमंत्री बने। वहीं खरगोन जिले के सुभाष यादव दो बार उप मुख्यमंत्री बने।
परिसीमन के बाद 2008 में एक सीट खत्म हुई : परिसीमन के कारण 2008 में बुरहानपुर जिले की शाहपुर सीट खत्म हुई। इससे निमाड़ की सीट घटकर 16 हो गई। खंडवा जिले की निमाड़खेड़ी सीट 2008 में खत्म कर मांधाता सीट बनाई गई। बड़वानी जिले की अंजड़ सीट को 2008 में खत्म कर पानसेमल सीट बनाई गई। 2008 में बुरहानपुर जिले की शाहपुर सीट को खत्म कर दिया गया। 2008 में खरगोन जिले की धूलकोट सीट को खत्म कर भगवानपुरा सीट बनाई गई।
निमाड़ से भाजपा के चार मंत्री
निमाड़ की 16 सीटों का कि ला बचाने की जिम्मेदारी प्रदेश सरकार के चार मंत्री अर्चना चिटनीस, विजय शाह, अंतरसिंह आर्य और बालकृष्ण पाटीदार के जिम्मे है। वहीं पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव और प्रदेश कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष बाला बच्चन कांग्रेस की ओर से किला लड़ा रहे हैं। अरुण यादव के बुधनी से चुनाव लड़ने के कारण बच्चन अके ले इस क्षेत्र में भाजपा से लोहा लेते नजर आ रहे हैं।