MP Chunav 2018: कांग्रेस के पोस्टरों में झलकता विश्वास, मुख्यमंत्री और मंत्रियों की चर्चाएं
Madhya Pradesh Elections 2018 मतदान और मतगणना के बीच शून्यकाल में प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में चर्चाओं का दौर चल रहा है।
भोपाल (नईदुनिया स्टेट ब्यूरो)। कांग्रेस में पिछले तीन बार के विधानसभा चुनाव की तुलना में इस बार ज्यादा आत्मविश्वास दिखाई दे रहा है। होर्डिंग-पोस्टर से लेकर चर्चाओं तक में यह विश्वास झलक रहा था। प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में जहां एक कार्यकर्ता ने मतदान के अगले ही दिन पोस्टर में भाजपा के प्रदेश से सफाया का संदेश दे दिया तो वहीं प्रत्याशियों की बैठकस्थल के बाहर एक अन्य कार्यकर्ता चुनाव परिणाम के पहले ही कांग्रेस उम्मीदवारों का मंत्री व विधायक के रूप में स्वागत कर दिया। हालांकि इस तरह के पोस्टरों को कांग्रेस नेता गलत नहीं मानते और अपने कार्यकर्ताओं के अतिउत्साह का रूप में बताते हैं।
विधानसभा चुनाव में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ हो या ज्योतिरादित्य सिंधिया या फिर दिग्विजय-अजय सिंह, सभी अधिसूचना जारी होने के पहले कांग्रेस की जीत को लेकर आश्वास्त थे। कांग्रेस नेताओं की भूमिकाएं इस बार तय नजर आईं जिससे टिकट बंटवारे के दौरान कुछ घटनाक्रमों को छोड़ दें तो कहीं टकराव जैसी स्थिति दिखाई नहीं दी। प्रदेश कांग्रेस नेताओं के इस रवैये का असर कार्यकर्ताओं पर दिखाई भी दिया।
पोस्टर में भाजपा का सफाया
मतदान खत्म होने के बाद कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता शहरयार ने पीसीसी के सामने बड़ा-सा पोस्टर खड़ा कर दिया। इस पोस्टर में कमलनाथ को बधाई देने के साथ ही भाजपा के सफाये का संदेश लिखा था। इस पोस्टर में प्रदेश को कांग्रेस सरकार के इंतजार में बताया और छिंदवाड़ा विकास मॉडल का जिक्र किया गया है। वहीं, कांग्रेस प्रत्याशियों को मंत्री और विधायक बताने वाले दो पोस्टर भी शहर में दिखाई दिए हैं। भोपाल के स्थानीय नेता असमत सिद्धीकी गुड्डू ने ऐसे दो पोस्टर लगाए हैं जिनमें से एक पोस्टर मानस भवन के पास गुरुवार को देखा गया और दूसरा पोस्टर पीसीसी की दीवार किनारे लगा है। इस तरह के पोस्टरों को सोशल मीडिया में भी खूब जगह मिली और कई लोगों ने शेयर कर आगे भी बढ़ाया है।
पीसीसी के कक्ष में सरकार की चर्चाएं
मतदान और मतगणना के बीच शून्यकाल में प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में चर्चाओं का दौर चल रहा है। पीसीसी में जो भी पदाधिकारी मौजूद रहता है, वह आने वाले व्यक्ति से उसका विचार जरूरत पूछता है। जैसे कांग्रेस के बहुमत की बात होती है तो सरकार बनाने की चर्चाएं होने लगती हैं। मुख्यमंत्री पर कोई बात नहीं करता लेकिन मंत्रियों के नाम पर जरूर बात शुरू हो जाती है।