Move to Jagran APP

Madhya Pradesh Chunav 2018: गुरू-चेले के इस मुकाबले पर पूरे प्रदेश की निगाहें

5 सालों में ये भाजपा के अभेद्य किले में बदला और अब इस किले को भेदने के लिए कांग्रेस ने गुरू के सामने चेले को उतारा।

By Rahul.vavikarEdited By: Published: Tue, 27 Nov 2018 02:34 PM (IST)Updated: Tue, 27 Nov 2018 02:34 PM (IST)
Madhya Pradesh Chunav 2018: गुरू-चेले के इस मुकाबले पर पूरे प्रदेश की निगाहें
Madhya Pradesh Chunav 2018: गुरू-चेले के इस मुकाबले पर पूरे प्रदेश की निगाहें

रीवा। उंगली पकड़कर जिस गुरू ने राजनीति की जमीन पर चलना सिखाया, आज परिस्थितियों ने उन्हीं गुरू-चेले को चुनावी रण में आमने-सामने लाकर खड़ा कर दिया। जी हां हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश के रीवा जिले की। ये इलाका कभी कांग्रेस का गढ़ रहा, लेकिन बीते 15 सालों में ये भाजपा के अभेद्य किले में बदला और अब इस किले को भेदने के लिए कांग्रेस ने गुरू के सामने चेले को उतारा। गुरू और चेले में से कौन श्रेष्ठ साबित होता है ये अगले कुछ दिनों में पता चल जाएगा।

loksabha election banner

साल 2003 के चुनाव में भाजपा के राजेंद्र शुक्ल ने तत्कालनी पूर्व मंत्री पुष्पराज सिंह को हराकर रीवा में भाजपा का झंडा गाड़ा। इसके बाद से शुक्ल इस क्षेत्र को भाजपा के अभेद्य किले के रूप में बदलने में कामयाब रहे। लेकिन अब भाजपा के इस गढ़ में सेंध लगाने की चुनौती कांग्रेस ने अभय मिश्रा को सौंपी। अभय एक समय राजेंद्र शुक्ल के करीबी थे। शुक्ल ने ही उन्हें राजनीति में पहचान दिलाई। लेकिन ऐनवक्त अभय मिश्रा ने कांग्रेस का दामन थामा और वे अपने राजनीतिक गुरू के सामने ही चुनावी रण में उतरे। राजनीति के मैदान में अभय मिश्रा की पहचान बाहुबली और महत्वाकांक्षी दोनों की है। ऐसे में मौजूदा परिस्थित में ये बेहद रोमांचक टक्कर है। 

शुक्ल की पहचान अनुभवी और सौम्य नेता के साथ मतदाताओं को प्रभावित करने की है। शुक्ल पुराने तरीके से ही लोगों से मिले और अपनी बात कही। उनका सौम्य तरीका लोगों को प्रभावित करता रहा है। वहीं अभय मिश्रा  रीवा में अधोसंरचना विकास के मुद्दे को लेकर उतरे। अपने गुरू के खिलाफ मैदान में उतरने के सवाल पर वे बिना कुछ कहे आगे बढ़ते रहे। व्यक्तिगत टिप्पणियों से दोनों ही प्रत्याशी पूरे प्रचार के दौरान बचते रहे और रीवा के विकास पर ही दावे और वादे करते रहे। राजेंद्र शुक्ल 15 साल से यहां से विधायक और मंत्री हैं। लेकिन इस बार वोटरों की खामोशी ने दोनों ही प्रत्याशियों को परेशानी में डाला हुआ है। दोनों प्रत्याशी ब्राह्मण हैं लिहाजा क्षेत्र का सबसे बड़ा वोट शेयर बंटेगा, ये तय है।

गुरू-चेले की ये जंग पूरे प्रदेश में भी सुर्खियों में है और सभी की निगाहें इस मुकाबले पर है। जनता का रूख किस ओर रहता है ये देखना दिलचस्प है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.