Madhya Pradesh Elections 2018: प्रत्याशी-पार्टी का नाम बताओ, मिल जाएगी प्रचार की स्क्रिप्ट
Madhya Pradesh Elections 2018: प्रत्याशी वोटर्स तक अपनी बात पहुंचाने के लिए खास वीडियो का सहारा ले रहे हैं। इसे तैयार करने में इन बातों का ध्यान रखा जा रहा।
जबलपुर। विधानसभा चुनाव में मतदाताओं को रिझाने फोक और फिल्मी धुन आधारित पैरोडी प्रचार सामग्री का उपयोग हो रहा है। प्रत्याशी इसके माध्यम से लोगों तक अपनी बात पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं। यही वजह है कि शहर में भाजपा, कांग्रेस सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के अलावा निदर्लीय प्रत्याशियों की डिमांड पर फोक और फिल्मी धुन आधारित पैरोडी प्रचार सामग्री तैयार करने का काम युद्धस्तर पर जारी है।
शहर के प्राय: सभी रिकॉर्डिंग स्टूडियो में सुबह से देर रात तक आवाज के धनी जुटे हुए हैं। वे अलग-अलग प्रत्याशी के लिए एक्सपर्ट द्वारा तैयार स्क्रिप्ट के आधार पर अपनी आवाज दे रहे हैं। तैयार सामग्री सबसे पहले व्हाट्सएप पर भेजी जाती है, इसके बाद पैनड्राइव में हैंडओवर कर दी जाती है।
3 से 5 मिनट की रिकॉर्डिंग में लग रहे हैं कई घंटे
रिकॉर्डिंग स्टूडियो के संचालक बताते हैं कि महज 3 से 5 मिनट की रिकॉर्डिंग में कई घंटे लगते हैं। इसलिए अलग-अलग पार्ट में काम किया जाता है। पहले मूल बात रिकॉर्ड कर लेते हैं फिर गाने तैयार करवाए जाते हैं। अंत में मिक्सिंग एडिटिंग होती है। इस तरह चुनावी युद्ध का शस्त्र तैयार हो जाता है।
परम्परागत शैली ही काम आ रही
प्रत्याशियों के लिए आवाज देने वाले बताते हैं कि परम्परागत शैली ही अब भी काम आ रही है। ज्यादातर प्रत्याशियों की ओर से अपना नाम, राजनीतिक दल और विधानसभा क्षेत्र की जानकारी भेजी जाती है, जिसमें रंग भरने का काम हमारा होता है। हम सिर्फ यह देखते हैं कि प्रत्याशी सत्ताधारी दल का है या विपक्ष का और वह पूर्व में विधायक था या नहीं। इसी आधार पर स्क्रिप्ट को आकार दिया जाता है।
अधिकतर काम पुराने शब्दों के आधार पर ही चल जाता है। हालांकि सबसे खास बात यह है कि बड़े ही संतुलित शब्दों में मतदाताओं को रिझाने के लिहाज से प्रत्याशी विशेष के लिए वोट मांगा जाता है। इस तरह बेसिक काम परम्परागत ही है, सिर्फ फोक या फिल्मी सांग्स की मिक्सिंग अनुबंध और राशि के हिसाब से की जाती है।
सोशल मीडिया ग्राफिक्स मशक्कत भरा काम
प्रत्याशियों द्वारा सोशल मीडिया में भी प्रचार के लिए सामग्री की डिमांड की जा रही है। ग्राफिक्स डिजाइनरों के मुताबिक यह काफी मशक्कत भरा काम है। इसके लिए कई सैम्पल व्हाट्सएप करने होते हैं, जिनमें से चुनिंदा पसंद आते हैं। उनमें भी सुधार के बाद कोई पीस फाइनल हो पाती है। प्रत्याशियों के शुभचिंतक और अनुभवी कार्यकर्ता जब तक किसी पीस पर स्वीकृति की मुहर नहीं लगा देते उसे वायरल नहीं किया जाता। कुछ प्रत्याशी स्टिल और वीडियो के साथ भी सोशल मीडिया पीस बनाने की डिमांड रखते हैं।
10 हजार से लेकर 50 हजार तक चार्ज कर रहे
एक प्रत्याशी के काम में रिकॉर्डिंग, आवाज और सांग सहित अन्य कार्य में पूरी टीम जुटती है, अत: न्यूनतम 10 हजार से लेकर 50 हजार तक एक प्रत्याशी के लिए पैनड्राइव तैयार करने के लिए चार्ज किए जा रहे हैं।