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MP Election Result 2018: Atrocity Act पर ग्वालियर-चंबल संभाग में BJP को गंवानी पड़ीं 13 सीटें

Madhya Pradesh Election Result 2018 : Atrocity Act पर कर्मचारियों की नाराजगी से गई भोपाल दक्षिण-पश्चिम सीट।

By Hemant UpadhyayEdited By: Published: Wed, 12 Dec 2018 10:43 PM (IST)Updated: Thu, 13 Dec 2018 07:54 AM (IST)
MP Election Result 2018: Atrocity Act पर ग्वालियर-चंबल संभाग में BJP को गंवानी पड़ीं 13 सीटें
MP Election Result 2018: Atrocity Act पर ग्वालियर-चंबल संभाग में BJP को गंवानी पड़ीं 13 सीटें

भोपाल। जिस एट्रोसिटी एक्ट और आरक्षण के भरोसे भाजपा प्रदेश में चौथी बार सरकार बनाने का तानाबाना बुन रही थी, वहीं ये मुद्दे भाजपा की विदाई का कारण बन गए। आरक्षण के कारण सुलगे ग्वालियर-चंबल संभाग में पार्टी को 13 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा।

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दोनों संभाग के आठ जिलों की 34 विधानसभा सीटों से 2013 में भाजपा के 20 विधायक आए थे और इस बार महज सात विधायक आए हैं। जबकि कांग्रेस ने 12 से बढ़ाकर 26 विधायक कर लिए। उधर, भोपाल की दक्षिण-पश्चिम विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी और मंत्री उमाशंकर गुप्ता को हराकर कर्मचारियों ने भी अपना गुस्सा निकाल लिया। इस सीट पर कर्मचारी निर्णायक भूमिका में रहते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने एट्रोसिटी एक्ट में तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी। आरक्षित वर्ग ने दो अप्रैल 2018 को भारत बंद का आह्वान किया था। बंद के दौरान ग्वालियर और चंबल संभाग में आगजनी, तोड़फोड़ की घटनाएं हुईं थीं। बाद में सपाक्स के नेतृत्व में अनारक्षित वर्ग ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में केंद्र सरकार स्तर से संशोधन के खिलाफ प्रदर्शन किया था। दोनों ही आंदोलन इन संभागों में प्रभावी रहे जिसका खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ा। 2013 में भाजपा ने मुरैना की चार सीटों पर कब्जा किया था, जो इस बार पार्टी से छिन गईं।

जिले की सभी छह सीटें कांग्रेस के खाते में गई हैं। जबकि भिंड जिले की पांच में से तीन सीटें कांग्रेस ने जीती हैं। बंद का सबसे ज्यादा असर ग्वालियर जिले में देखा गया था। यहां की छह सीटों में से पांच सीट कांग्रेस ने हथिया ली हैं। जबकि भाजपा एक सीट बचाने में सफल रही है। शिवपुरी की पांच में से तीन सीटें कांग्रेस को मिली हैं।

पिछले चुनाव में भी यही आंकड़ा था। गुना की चार में से तीन सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशी जीते हैं। जबकि अशोक नगर की तीनों सीटें कांग्रेस के खाते में गई हैं। 2013 में इनमें से एक सीट पर भाजपा काबिज हुई थी। श्योपुर की दोनों सीटों पर पार्टियों ने अदला-बदली कर ली है। जो सीट पिछली बार भाजपा के पास थी। इस बार कांग्रेस ने जीती हैं। जबकि दतिया की तीनों सीटों में से भाजपा सिर्फ एक सीट बचा पाई है।

गुप्ता को भारी पड़ी नाराजी

कर्मचारियों की नाराजगी शिवराज सरकार में राजस्व मंत्री रहे उमाशंकर गुप्ता को भारी पड़ गई। भोपाल दक्षिण-पश्चिम सीट कांग्रेस ने भाजपा से छीन ली है। गुप्ता करीब साढ़े छह हजार वोटों से हार गए हैं। उन्हें कांग्रेस के पीसी शर्मा ने पराजित किया है। गुप्ता की इस हार का कारण सरकार से नाराज कर्मचारी हैं।

यह सीट कर्मचारी बहुल है और सभी प्रमुख कर्मचारी संगठनों के राज्य स्तरीय पदाधिकारी इसी क्षेत्र में निवास करते हैं। कर्मचारियों का आरोप है कि तीसरे कार्यकाल में मुख्यमंत्री ही नहीं, मंत्रियों ने भी उन्हें महत्व नहीं दिया। इसलिए उन्होंने सबक सिखाने की ठान ली थी।

मालवा में वोट बैंक पर किसान आंदोलन का असर नहीं

जहां जातिवाद और कर्मचारियों के मुद्दों पर भाजपा को मुंह की खानी पड़ी, वहीं मालवा के किसान आंदोलन का चुनाव परिणाम पर कोई असर नहीं दिखाई दिया। मंदसौर, नीमच और रतलाम जिलों में फसल के सही दाम को लेकर किसान आंदोलन उग्र हुआ था और पुलिस की गोली से किसानों की मौत भी हुई थी। इन जिलों की कुल 12 सीटों में से 9 सीटें भाजपा ने जीती हैं। जबकि दो सीटें भाजपा के हाथ से छिटक गई हैं। एक सीट पर कांग्रेस पहले से काबिज थी, जिसका कब्जा उसने बरकरार रखा है। 


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