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Madhya Pradesh Election Result 2018 : MP में कांटे का मुकाबला, किसी दल को बहुमत नहीं

Madhya Pradesh Election Result 2018 : चुनाव नतीजाें में सत्ता की चाबी बसपा, सपा और निर्दलीयों के पास। भाजपा सरकार के कई मंत्री धराशायी।

By Hemant UpadhyayEdited By: Published: Tue, 11 Dec 2018 07:17 PM (IST)Updated: Wed, 12 Dec 2018 08:42 AM (IST)
Madhya Pradesh Election Result 2018 : MP में कांटे का मुकाबला, किसी दल को बहुमत नहीं
Madhya Pradesh Election Result 2018 : MP में कांटे का मुकाबला, किसी दल को बहुमत नहीं

भोपाल, नईदुनिया (ब्यूरो)। पंद्रह साल पुरानी भाजपा सरकार को पीछे धकेलते हुए कांग्रेस ने सत्ता का वनवास आखिरकार समाप्त कर ही लिया। कांटे के मुकाबले के बाद कांग्रेस ने भाजपा से पांच सीटों की बढ़त हासिल करते हुए बसपा, सपा और निर्दलीय विधायकों के सहारे सत्ता की राह तलाश ली। चुनाव आयोग की वेबसाइट पर जारी आंकड़ों के मुताबिक कांग्रेस ने 114 सीट, भाजपा ने 109, बसपा ने 2, सपा ने 1 और अन्य ने 4 सीटों पर जीत दर्ज की है।

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देर रात प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को पत्र लिखकर सरकार बनाने का दावा भी पेश कर दिया। बुधवार को पार्टी विधायक दल की भोपाल में बैठक हो रही है, जिसमें नए नेता का चयन किया जाएगा। उधर, भाजपा का मानना है कि कांग्रेस को बहुमत नहीं मिला है।

बुधवार को भाजपा भी राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा करेगी। मंगलवार को हुई मतगणना में रात बारह बजे तक भाजपा और कांग्रेस दोनों बहुमत से दूर थे। ऐसा पहली बार हो रहा है, जब किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बुदनी सीट से विजयी हुए, उनके मंत्रिमंडल के एक दर्जन सदस्यों को हार का सामना करना पड़ा।

आधी रात भाजपा ने कहा-कांग्रेस को जनादेश नहीं, हम करेंगे दावा
रात डेढ़ बजे तक रुझान में पांच सीटों पर पीछे चल रही भारतीय जनता पार्टी ने हार स्वीकार करने के बजाय सरकार बनाने के फार्मूले पर कवायद की। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह ने ट्वीट कर कहा कि विधानसभा चुनाव के परिणामों में जनादेश कांग्रेस के पक्ष में नहीं आया है। कई निर्दलीय विधायक और अन्य दलों से जीतकर आए प्रत्याशी भाजपा के संपर्क में हैं।

इस आधार पर हम बुधवार को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मिलकर प्रदेश में सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे। पहले बताया जा रहा था कि देर रात तक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मीडिया को बुलाकर विजय के लिए कांग्रेस को बधाई देंगे और बुधवार को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को इस्तीफा देने का एलान करेंगे।

सवा बजे के लगभग भाजपा सूत्रों ने बताया कि पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की मौजूदगी में तय किया गया कि चुनाव आयोग के अंतिम परिणाम आने के बाद ही सरकार इस्तीफा सौंपेगी। समर्थन जुटाने की कवायद में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती से भी बातचीत की थी।

भाजपा सूत्रों के मुताबिक, प्रदेश में जीत की बॉर्डर तक पहुंचने के बाद भी सत्ता से दूर रहने के मामले में हार की जिम्मेदारी लेने को कोई भी तैयार नहीं है। माना जा रहा है कि अब दिग्गज नेताओं के बीच सिर फुटौव्वल की नौबत बनने वाली है। सूत्र कहते हैं कि टिकट वितरण की नाराजगी का मुद्दा पार्टी में अब उठेगा।

कांग्रेस की बढ़त के तीन नायक

कमलनाथ
कांग्रेस की जीत के सबसे बड़े नायक। मतदान के बाद से ही सबसे ज्यादा विश्वास में दिखे। कुशल प्रबंधक माने जाने वाले कमलनाथ ने अपने प्रबंधन से बिखरी हुई पार्टी को एक सूत्र में पिरोए रखा। हर फैसले में उनकी राय सर्वोपरि रही। कमलनाथ ने अपने जिले छिंदवाड़ा में सात में से छह सीट पर कांग्रेस को जीत दिलाई। टिकट वितरण में न सिर्फ अपना पूरा प्रभाव रखा, बल्कि सभी बड़े नेताओं को भरोसे में रखकर उनकी पसंद को भी तवज्जो दी। कमलनाथ के कसे हुए प्रबंधन ने कांग्रेस को मप्र में सबसे बड़ी पार्टी बनाया।

दिग्विजय सिंह
दिग्विजय सिंह को परदे के पीछे रखने पर भाजपा ने भले ही बार-बार कांग्रेस पर हमले किए, लेकिन दिग्विजय सिंह चुपचाप कांग्रेस में अंदर ही अंदर अपना काम करते रहे। समन्वय समिति के अध्यक्ष बनाए जाने के बाद दिग्विजय ने पूरे प्रदेश का दौरा कर पार्टी के कार्यकर्ताओं को न सिर्फ सक्रिय किया, बल्कि जिलों में भी गुटों में बंटी पार्टी को एक साथ खड़ाकर चुनाव लड़वाया। दिग्विजय का पूरे प्रदेश में प्रभाव रहा। उन्होंने कई बागियों को मनाकर कुछ सीटों पर पार्टी की राह आसान भी कर दी।

ज्योतिरादित्य सिंधिया
सिंधिया राजघराने से ताल्लुक रखने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया युवाओं के बीच कांग्रेस का सबसे लोकप्रिय चेहरा। सिंधिया ने कांग्रेस की तरफ से चुनाव प्रचार में 122 सभाएं ली, इसलिए कांग्रेस की सफलता में उनका महत्वपूर्ण योगदान है। ग्वालियर-चंबल इलाके में भी उन्होंने कांग्रेस को अच्छीखासी बढ़त दिलाई है। इस क्षेत्र में भाजपा के ज्यादातर हैवीवेट प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा है और इसमें सिंधिया की अहम भूमिका है, क्योंकि यहां कांग्रेस ने उनकी मर्जी से टिकट दिए थे।


एक दर्जन मंत्रियों की हार
शिवराज सरकार के लगभग एक दर्जन मंत्रियों को इस बार चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। कई मंत्री ऐसे भी रहे, जो पहले राउंड से पिछड़ते रहे और अंत में पराजित हो गए। ऐसे मंत्रियों में ओमप्रकाश धुर्वे, लालसिंह आर्य, दीपक जोशी, अर्चना चिटनीस, जयभान सिंह पवैया, ललिता यादव, अंतरसिंह आर्य, रुस्तम सिंह, शरद जैन उमाशंकर गुप्ता, बालकृष्ण पाटीदार के नाम मुख्य हैं। कुछ मंत्री जैसे जयंत मलैया, नारायण कुशवाह की भी पराजय हो चुकी है लेकिन परिणामों को रोक लिया गया। इसके अलावा भाजपा के कई दिग्गज नेता भी चुनावी वैतरणी पार नहीं कर पाए। इनमें सांसद अनूप मिश्रा, पूर्व मंत्री रंजना बघेल, पांच बार की विधायक रहीं निर्मला भूरिया, चौधरी राकेश सिंह, चौधरी चंद्रभान सिंह, प्रेमनारायण ठाकुर, सुदर्शन गुप्ता, केन्द्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोत के पुत्र जीतेन्द्र गेहलोत मुख्य हैं।


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