Madhya Pradesh Election Result 2018: पीएम मोदी ने तोड़ा मंदसौर का सालों पुराना मिथक
Madhya Pradesh Election Result 2018 यहां की चार में से तीन सीटों पर न केवल भाजपा जीती, बल्कि मंदसौर सीट पर तो भाजपा प्रत्याशी को 1 लाख से ज्यादा वोट मिले। सुवासरा सीट पर भाजपा महज 350 सीट से हारी।
मंदसौर। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव परिणाम मंगलवार को घोषित हो गए। प्रदेश में सरकार किसकी बनेगी, इसको लेकर थोड़ा सस्पेंस था, जो बुधवार सुबह खत्म हो गया। 15 साल बाद प्रदेश में कांग्रेस की वापसी हुई है। बहरहाल, इस बीच, मंदसौर जिले की चारों सीटों (मंदसौर, मल्हारगढ़, सुवासरा और गरोठ) का परिणाम दिलचस्प रहा।
चारों सीटों का परिणाम 3-1 से भाजपा के पक्ष में
1. मंदसौर: भाजपा के जशपाल सिंह सिसोदिया ने कांग्रेस के नरेंद्र नाहटा को 18,370 वोटों से हराया।
2. मल्हारगढ़: भाजपा के जगदीश देवड़ा ने कांग्रेस के परशुराम सिसोदिया को 11,872 मतों से हराया।
3. सुवासरा: कांग्रेस के हरदीप सिंह डांग ने भाजपा के राधेश्याम पाटीदार को 350 वोट से हराया।
4. गरोठ: भाजपा के देवीलाल धाकड़ ने कांग्रेस के सुभाष कुमार सोजातिया को 2108 मतों से हराया।
मंदसौर पर थी पूरे देश की नजर
- चुनाव से ठीक पहले किसान आंदोलन के कारण मंदसौर देशभर में चर्चा में रहा था। मंदसौर जिले की सियासत की एक दिलचस्प बात यह है कि यहां जब-जब कोई प्रधानमंत्री प्रचार करने आया, उनकी पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा। इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आए थे और दशकों से चला आ रहा मिथक तोड़ दिया।
- यहां की चार में से तीन सीटों पर न केवल भाजपा जीती, बल्कि मंदसौर सीट पर तो भाजपा प्रत्याशी को 1 लाख से ज्यादा वोट मिले। सुवासरा सीट पर भाजपा महज 350 सीट से हारी।
- 1989 के लोकसभा चुनाव में यहां कांग्रेस के उम्मीदवार तत्कालीन सांसद बालकवि बैरागी थे और भाजपा से डॉ. लक्ष्मीनारायण पांडेय। राजीव गांधी क्रीड़ा परिसर में पूरे संसदीय क्षेत्र की चुनावी सभा हुई। इसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी अपनी पत्नी सोनिया गांधी के साथ आए थे। उन्हें देखने और सुनने के लिए भारी भीड़ उमड़ी। लगभग एक लाख लोगों की भीड़ देखकर कांग्रेस के तत्कालीन पदाधिकारी व नेता भी खुश और जीत के प्रति आश्वस्थ थे। लेकिन जब परिणाम आए तो वह बिल्कुल विपरीत रहे। बैरागी चुनाव हार गए और डॉ. पांडेय जीतकर दिल्ली पहुंच गए।
- 1998 के विधानसभा चुनाव में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी मंदसौर में सभा लेने आए। 1993 में मंदसौर-नीमच जिले की सात सीटों में से चार कांग्रेस के पास थी और तीन भाजपा के पास। मप्र में कांग्रेस की सरकार थी। मंदसौर में सातों सीटों में उतरे भाजपा प्रत्याशियों के लिए वाजपेयी की सभा मंदसौर में हुई। यहां भी अनुमानित एक लाख लोग पहुंचे थे। संबोधित करते हुए अटलजी ने कहा कि जूता पुराना हो जाए तो बदल देना चाहिए। भाजपा प्रत्याशियों को भी उम्मीद थी कि यह सभा काम कर जाएगी, पर हुआ इसका उलटा ही। मंदसौर-नीमच जिले की सातों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार जीत गए।
...और जब पीएम नहीं थे तब आए तो...
इंदिरा गांधी भी एक बार मंदसौर में चुनाव प्रचार के लिए आ चुकी हैं, पर तब वे प्रधानमंत्री नहीं थीं। उस समय रात के दो बजे भी उन्हें सुनने के लिए वर्तमान नेहरू बस स्टैंड के पास भारी भीड़ जमा हुई थी। तब जनता ने उनकी बात सुनी और अविभाजित मंदसौर जिले की सातों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस को जीत दिलवा दी। इसी तरह 2013 के विस चुनाव में भी गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी मंदसौर में सभा करने आए थे। मतदान के बाद जो परिणाम आए तो सात में से छह सीट पर भाजपा जीती थी। एकमात्र सुवासरा सीट पर कांग्रेस के हरदीप सिंह डंग ने जीत दर्ज की थी।