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Madhya Pradesh Chunav 2018: त्रिकोणीय संघर्ष का अखाड़ा बनी बुंदेलखंड की ये सीटें

Madhya Pradesh Chunav 2018 बुंदेलखंड के सात जिलों की सीमाएं उत्तर प्रदेश से लगी हुई हैं। इसलिए यहां बसपा और सपा का भी असर है।

By Arvind DubeyEdited By: Published: Tue, 27 Nov 2018 03:35 PM (IST)Updated: Tue, 27 Nov 2018 03:35 PM (IST)
Madhya Pradesh Chunav 2018: त्रिकोणीय संघर्ष का अखाड़ा बनी बुंदेलखंड की ये सीटें
Madhya Pradesh Chunav 2018: त्रिकोणीय संघर्ष का अखाड़ा बनी बुंदेलखंड की ये सीटें

मल्टीमीडिया डेस्क। उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे मध्यप्रदेश के बुंदलेखंड में 26 विधानसभा सीटे हैं। शेष मध्यप्रदेश की तुलना में यहां बसपा और सपा का असर कुछ ज्यादा है। यही कारण है कि इस बार कई सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबले हो रहे हैं। 2013 में यहां की 26  में 20 सीटें भाजपा और शेष 6 कांग्रेस ने जीती थी।

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बुंदेलखंड: 6 जिले, 26 विधानसभा, 1 संभाग

1. सागर (8) : सागर, नरयावली, रहली, बंडा, सुरखी, खुरई, बीना, देवरी

2. छतरपुर (6 सी): छतरपुर, राजनगर, महाराजपुर, बिजावर, मलहरा, चंदेला

3. दमोह (4 सीट): दमोह, पथरिया, हटा, जबेरा

4. टीमकगढ़ (3 सीट): टीकमगढ़, जतारा, खरगापुर

5. पन्ना (3 सीट): पन्ना, पवई, गुन्नौर

6. निवाड़ी (2 सीट): निवाड़ी, पृथ्वीपुर

बसपा-सपा का असर होने से त्रिकोणीय मुकाबला

 बुंदेलखंड के सात जिलों की सीमाएं उत्तर प्रदेश से लगी हुई हैं। इसलिए यहां बसपा और सपा का भी असर है। बीना, खुरई, बंडा, निवाड़ी, खरगापुर, महाराजपुर, चांदला, राजनगर, बिजावर, मलहरा, पवई, गुन्नौर और पन्ना सीटें ऐसी हैं जहां बसपा का असर है। यानी यहां भाजपा और कांग्रेस के अलावा तीसरी ताकत के रूप में बसपा भी मौजूद है। वैसे भी बसपा को प्रदेश में ग्वालियर-चंबल और विंध्य-बुंदेलखंड से उम्मीदें हैं।

 छतरपुर की 5 टीकमगढ़ की 2 और पन्ना की 1 सीट पर कहीं सपा तो कहीं बसपा प्रत्याशी मुकाबले को त्रिकोणीय बना रहे हैं। जबकि 11 सीटों पर सीधा मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है।

टिकट ने मिलने के बाद भाजपा से खफा हुए मंत्री रामकृष्ण कुसमारिया 'बाबा' दमोह और पथरिया से चुनाव लड़ रहे हैं।  कुरमी समाज के विंध्य और बुंदेलखंड की करीब ढाई दर्जन सीटों पर निर्णायक मतदाता हैं। कुसमारिया इस समाज के दिग्गज नेता माने जाते हैं।

दमोह सीट पर वित्तमंत्री जयंत मलैया की चुनावी राह में बाबा ने बारूदी सुरंग बिछा दी है। अंतिम चुनाव मानकर रण में खड़े मलैया कड़े संघर्ष में फंस गए हैं। यहां भाजपा के पारंपरिक लोधी-कुरमी वोटों का गणित गड़बड़ाने से यह स्थिति बनी है। भाजपा, कांग्रेस और बसपा के राष्ट्रीय नेता भी पार्टी की साख बचाने में जुटे रहे। कांग्रेस ने राहुल सिंह लोधी का मौका दिया है।  सपा, बसपा के अलावा 7 निर्दलीय प्रत्याशी भी किस्मत आजमा रहे हैं। 

पथरिया सीट पर भी रामकृष्ण कुसमरिया प्रत्याशी हैं। यहां से भाजपा प्रत्याशी लखन पटेल अपनी सीट बचाने की जद्दोजहद में हैं। कांग्रेस भी यहां अपने वोट कटुआ बागी की शिकार है। 21 प्रत्याशियों के बावजूद चुनावी लड़ाई त्रिकोणीय दिख रही है। जबेरा और हटा में भी कमोबेश यही स्थिति है।

मुद्दे जो रहे हावी : महंगाई, बेरोजगारी, पलायन, जलसंकट, जीएसटी, नोटबंदी, किसानों की नाराजगी, एंटी इंकम्बेंसी, एट्रोसिटी एक्ट से उपजा असंतोष जैसे मुद्दे कांग्रेस-बसपा ने उठाए। वहीं भाजपा ने शिवराज सरकार और केंद्र सरकारी की योजनाओं से पहुंचे लाभ को भुनाने की कोशिश की। भाजपा नेताओं ने मप्र सरकार की संबल योजना और प्रधानमंत्री आवास योजना का बार-बार जिक्र किया। इसके अलावा किसानों के लिए भावांतर योजना, जीरो प्रतिशत ब्याज और अन्य राहत को भी भाजपा ने भुनाने की कोशिश की। 

जानिए सभी 26 सीटों के प्रमुख प्रत्याशियों के बारे में


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