Madhya Pradesh Assembly Election: कांग्रेस-भाजपा का सबसे बड़ा रणक्षेत्र बना मध्य भारत
Madhya Pradesh Assembly Election: भोपाल राजधानी होने के कारण इस क्षेत्र को प्रदेश की सियासत का गढ़ माना जाता है। जानिए यहां की 36 सीटों का हिसाब-किताब -
मल्टीमीडिया डेस्क। मध्यभारत क्षेत्र में 8 जिले और 36 विधानसभा सीटें आती हैं। राजधानी भोपाल यही स्थित होने के कारण यहां की सियासत में पूरे देश की दिलचस्पी रहती है। पिछली बार भोपाल और आसपास की 25 विधानसभा सीटों में से 19 पर भाजपा और 5 पर कांग्रेस को जीत मिली थी। एक सीट निर्दलीय के खाते में गई थी।
मध्य भारत: 8 जिले, 36 विधानसभा, 2 संभाग
1. भोपाल (7 सीट): भोपाल उत्तर, भोपाल दक्षिण, भोपाल मध्य, गोविंदपुरा, हूजूर, बैरसिया, नरेला
2. राजगढ़ (5 सीट): राजगढ़, ब्यावरा, नरसिंहगढ़, खिलचीपुर, सारंगपुर
3. विदिशा (5 सीट): विदिशा, शमशाबाद, कुरवाई, सिरोंज, बासोदा
4. रायसेन (4 सीट): सांची, सिलवानी, उदयपुरा, भोजपुर
5. सीहोर (4 सीट): बुधनी, सीहोर, इच्छावर, आष्टा
6. बैतूल (5 सीट): बैतूल, मुलताई, घोड़ाडोंगरी, भैंसदेही, आमला
7. होशंगाबाद (4 सीट): होशंगाबाद, पिपरिया, सोहागपुर, सिवनी-मालवा
8. हरदा (2 सीट): हरदा, टिमरनी
भोपाल की दो सीटों पर दिलचस्प राजनीति
- भाजपा के कद्दावर नेता बाबूलाल गौर, जो पिछले चार दशकों से इस सीट और जीत का पर्याय बन चुके थे, अपनी उम्र के चलते घर बैठा दिए गए हैं। 1980 में पहली बार उन्होंने गोविंदपुरा से चुनाव लड़ा था। हालांकि बगावती तेवर के बाद उनकी बहू कृष्णा गौर को इस सीट से प्रत्याशी बना दिया गया। कुल मिलाकर चालीस साल बाद यह सीट विधायक के रूप में नया चेहरा देखेगी। कांग्रेस ने पहले की तरह ही इस बार भी नया उम्मीदवार उतारा है, लेकिन इस बार युवा चेहरा और सक्रिय व्यक्तित्व है। गिरीश शर्मा की शख्सियत का सबसे ताकतवर पहलू पार्षदी के दौरान उनके द्वारा कराए गए काम हैं।
- भोपाल उत्तर विधानसभा सीट कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों के लिए सबसे बड़ा रणक्षेत्र बन गई है। 1998 से इस सीट पर काबिज आरिफ अकील की ताकत अपनी अलग छवि और जनता के बीच पकड़ है। वहीं, भाजपा उम्मीदवार फातिमा रसूल सिद्दीकी प्रदेश की पहली मुस्लिम महिला उम्मीदवार हैं। तीन तलाक, महिलाओं से जुड़े मुद्दों के साथ ही फातिमा के पिता स्व. रसूल अहमद सिद्दीकी की राजनीतिक विरासत को देखते हुए भाजपा ने युवा चेहरा मैदान में उतारा है। फातिमा टिकट मिलने के एक दिन पहले ही कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुई थीं।
...यहां कोई लगातार दो बार नहीं जीता और जीता तो बदल गई सरकार
राजगढ़ विधानसभा सीट का अपना अजब मिजाज रहा है। यहां पर या तो कोई भी उम्मीदवार लगातार दो बार नहीं जीत पाया और यदि किसी ने यह मिथक तोड़ा तो उसकी पार्टी की सरकार बदल जाती है। पिछले 13 विधानसभा चुनावों में यहां से जीते अधिकांश उम्मीदवारों को विपक्षी विधायक के रूप में ही काम करना पड़ा है। इस बार भाजपा ने अमर सिंह यादव को मौका दिया है, वहीं कांग्रेस ने बापू सिंह तोमर को उतारा है।
चुनाव लड़ने-लड़ाने वाले बड़े नेता
भाजपा से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सबसे बड़े नेता हैं। वहीं बाबूलाल गौर की सीट से चुनाव लड़ रहीं उनकी बहू कृष्णा गौर, रामेश्वर शर्मा, उमा शंकर गुप्ता, सुरेंद्र नाथ सिंह, सीताशरण शर्मा, गौरीशंकर शेजवार, विश्वास सारंग पर भी सबकी नजरें हैं। कांग्रेस से अरुण यादव, आरिफ अकील और सरताज सिंह बड़े नाम हैं।
जानिए मध्यभारत की सभी 36 विधानसभा के उम्मीदवारों के बारे में