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मध्यप्रदेश : इंफोसिस में 12 लाख महीने की नौकरी छोड़ चुनाव मैदान में उतरेगा यह मूक-बधिर

सतना निवासी सुदीप (36) चुनाव की तैयारियां के बीच शहर-शहर जाकर सांकेतिक भाषा के जानकारों से मिल रहे हैं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 08 Oct 2018 08:22 PM (IST)Updated: Mon, 08 Oct 2018 08:27 PM (IST)
मध्यप्रदेश : इंफोसिस में 12 लाख महीने की नौकरी छोड़ चुनाव मैदान में उतरेगा यह मूक-बधिर
मध्यप्रदेश : इंफोसिस में 12 लाख महीने की नौकरी छोड़ चुनाव मैदान में उतरेगा यह मूक-बधिर

मनीष पाराशर, इंदौर। इंफोसिस में 12 लाख रुपये महीने की सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी छोड़कर एक मूकबधिर विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटा है। वह मूक-बधिरों और गरीब जनता की आवाज बनना चाहते हैं। उनका मानना है कि जो जनप्रतिनिधि बोल सकते हैं, पर मूक हैं। मैं बोल नहीं सकता पर चुप नहीं बैठूंगा।

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 सतना निवासी सुदीप पुत्र रमेशकुमार शुक्ला (36) चुनाव की तैयारियां के बीच शहर-शहर जाकर सांकेतिक भाषा के जानकारों से मिल रहे हैं। इसके लिए सतना में वॉलेंटियर्स की टीम भी तैयार कर ली है। इंदौर में भी वह उन बच्चों से मिले जो शेल्टर होम में यौन शोषण का शिकार हुए हैं।

तुकोगंज स्थित पुलिस सहायता केंद्र चलाने वाले सांकेतिक भाषा के जानकार ज्ञानेंद्र पुरोहित के जरिये अपनी बात साझा करते हुए उन्होंने बताया कि वह सतना से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। दो क्षेत्रीय दलों ने उन्हें समर्थन दिया है।

सुदीप के परिवार में पिता, मां प्रसून, दो बहनें श्रद्धा व कोमल और पत्नी दीपमाला हैं। दादा भगवान प्रसाद शुक्ला सतना में कांग्रेस नेता हैं। सुदीप व उनकी पत्नी दीपमाला ही परिवार में मूक-बधिर है, बाकि सभी बोल-सुन सकते हैं।

सुदीप के कारण श्रद्धा ने सांकेतिक भाषा का कोर्स किया और वह सुदीप की बातों को अन्य लोगों तक पहुंचाती हैं। सुदीप ने भोपाल के आशा निकेतन विद्यालय से हायर सेकंडरी की पढ़ाई करने के बाद चेन्नई से बीकॉम व एमएससी (आइटी) की पढ़ाई की। पढ़ाई के बाद बेंगलुरू में 2006 से ही इंफोसिस में नौकरी। यहीं उनकी मुलाकात सॉफ्टवेअर इंजीनियर दीपमाला से हुई। इनकी तनख्वाह 12 लाख रुपये प्रतिमाह है।

यौन शोषण और बढ़ता क्राइम रेट देख मन हुआ विचलित
सुदीप ने बताया कि मूक-बधिर युवक-युवतियों के साथ यौन शोषण हुई। मध्य प्रदेश में क्राइम रेट बढ़ता जा रहा है। यौन शोषित बच्चों को हर दल के पास मदद के लिए पहुंचाया। किसी ने उनका साथ नहीं दिया। वह उनकी आवाज नहीं बन पाए। यह बात मुझे विचलित कर गई। इसके बाद ही चुनाव लड़कर उनकी बात विधानसभा में उठाने का विचार आया।

तीन देशों में मूक-बधिर प्रतिनिधि
अमेरिका, युगांडा और नेपाल में मूक-बधिर जनप्रतिनिधि हैं। यदि मैं विधानसभा पहुंचा तो अपनी बात रखने के लिए सांकेतिक भाषा के जानकार को रखने के लिए कानूनी अनुमति लूंगा।

चुनाव लड़ने का संवैधानिक अधिकार
मप्र के मुख्य चुनाव अधिकारी एल कांताराव ने बताया हर नागरिक को चुनाव लड़ने का संवैधानिक अधिकार है।


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