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अब कांग्रेस को भी याद आने लगे हैं राम, छवि बदलने को निकालेगी यात्रा!

गौरतलब है कि भाजपा सरकार ने दस साल पहले राम वन गमन पथ विकसित करने की घोषणा की थी, लेकिन वह पूरी नहीं हो पाई।

By Vikas JangraEdited By: Published: Fri, 14 Sep 2018 01:08 AM (IST)Updated: Fri, 14 Sep 2018 01:08 AM (IST)
अब कांग्रेस को भी याद आने लगे हैं राम, छवि बदलने को निकालेगी यात्रा!
अब कांग्रेस को भी याद आने लगे हैं राम, छवि बदलने को निकालेगी यात्रा!

भोपाल [ऋषि पाण्डे]। चुनावी बेला में कांग्रेस सॉफ्ट हिंदुत्व के रंग में रंग रही हैं। यही वजह है कि वनवास के दौरान भगवान राम मध्य प्रदेश में जिन मार्गो से गुजरे थे उस 'राम वन गमन पथ' पर यात्रा का एलान कर पार्टी ने भाजपा को उसके एकाधिकार वाले क्षेत्र में जाकर चुनौती दी है। यात्रा 23 सितंबर से शुरू होगी जो नौ अक्टूबर तक चलेगी। गौरतलब है कि भाजपा सरकार ने दस साल पहले राम वन गमन पथ विकसित करने की घोषणा की थी, लेकिन वह पूरी नहीं हो पाई। कांग्रेस की इस यात्रा का एक मकसद भाजपा को इस मसले पर आईना दिखाना भी है।

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पिछले कुछ समय से कांग्रेस अपनी छवि को लेकर लगातार बदलाव के संकेत दे रही है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की कैलाश मानसरोवर यात्रा हो या पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की नर्मदा परिक्रमा यात्रा या फिर प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की मंदिर दौड़, कांग्रेस नेता अपनी धार्मिक आस्था को प्रकट करने और उनका प्रचार करने से पीछे नहीं हट रहे हैं।

राम वन गमन पथ पर यात्रा की घोषणा कर कांग्रेस ने एक साथ कई निशाने साधे हैं। पहला-जनता के बीच अपनी हिंदू विरोधी छवि को सुधारना। दूसरा- घोषणा के बावजूद मार्ग न बनाने के लिए भाजपा को कठघरे में खड़ा करना। तीसरा- 15 दिनी यात्रा के दौरान विंध्य अंचल में कांग्रेस के पक्ष में माहौल खड़ा करना। राम वन गमन पथ का बड़ा हिस्सा विंध्य में आता है, जहां विधानसभा की 30 सीटें हैं। पिछले चुनाव में कांग्रेस की स्थिति विंध्य में मजबूत थी।
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शिवराज ने की थी पथ निर्माण की घोषणा
पौराणिक मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने सीताजी और लक्ष्मणजी के साथ चित्रकूट से मौजूदा मध्य प्रदेश में प्रवेश किया और अमरकंटक होते हुए वे रामेश्वरम् की ओर रवाना हो गए। 14 साल वनवास के दौरान भगवान राम ने लगभग 11 वर्ष पांच माह का समय इन जंगलों में बिताया। इस दौरान जिन रास्तों से निकले होंगे, वे आज सतना, रीवा, पन्ना, छतरपुर, शहडोल और अनूपपुर के नाम से जाने जाते हैं।

मुख्यमंत्री बनने के बाद शिवराज सिंह चौहान ने 2007 में राम वन गमन पथ विकसित करने का एलान किया था। मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद संस्कृति विभाग ने 11 विद्वानों की समिति बनाकर राम वन गमन पथ योजना पर शोध का काम शुरू किया। शोध समिति ने इन जिलों का दो चरणों में सर्वेक्षण किया।

समिति ने व्यापक शोध के बाद उन रास्तों के बारे में सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी। रिपोर्ट तैयार करने में रामकथा साहित्य, पुरातत्व, भूगोल, हिंदी और भूगर्भ शास्त्र विषयों के करीब 29 विद्वानों की मदद भी ली गई थी। चिह्नित किए गए मार्गो का विकास धार्मिक पर्यटन क्षेत्र के रूप में किया जाना था। सरकार ने मार्ग की पहचान करने पर ही लगभग तीन करोड़ रुपये खर्च कर दिए। मार्ग के विकास की योजना 35 करोड़ रुपये की बनाई गई थी।
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धर्म का राजनीतिक इस्तेमाल नहीं करती है कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी राम वन गमन पथ पर 23 सितंबर से यात्रा निकालेगी। कांग्रेस कभी भी धर्म या भगवान राम का उपयोग राजनीति के लिए नहीं करती। शिवराज सिंह चौहान ने 11 साल पहले इस पथ को बनाने की घोषणा की थी जो आज तक पूरी नहीं हो पाई। कांग्रेस न सिर्फ यात्रा निकालेगी, बल्कि सरकार में आने पर हरसंभव प्रयास कर इस पथ का निर्माण भी कराएगी।
- कमलनाथ, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष

प्रदेश को अंतराष्ट्रीय पर्यटन क्षेत्र के रूप में करेंगे विकसित
मध्य प्रदेश कांग्रेस की मीडिया प्रभारी शोभा ओझा ने पत्रकार वार्ता में बताया कि राम वन गमन पथ पर यात्रा के लिए कांग्रेस ने 33 सदस्यीय समिति का गठन किया है। यात्रा चित्रकूट से अमरकंटक तक जाएगी। राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने पर नर्मदा परिक्रमा मार्ग भी सुविधायुक्त बनाया जाएगा।


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