MP Election 2018: शरद यादव की पहल पर जतारा सीट छोड़ने को राजी हुई कांग्रेस
यादव की पहल पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने गठबंधन की हरी झंडी दे दी।
भोपाल (नईदुनिया स्टेट ब्यूरो)। मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने टीकमगढ़ जिले की जतारा सीट समाजवादी नेता शरद यादव की नवगठित पार्टी के लिए छोड़ दी है। जतारा में कांग्रेस ने लोकतांत्रिक जनता दल के साथ गठबंधन और उसके प्रत्याशी डॉ विक्रम चौधरी को समर्थन देने की सहमति दे दी है। यादव की पहल पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने गठबंधन की हरी झंडी दे दी।
रतलाम जिले की सैलाना सीट पर कांग्रेस ने लोजद के साथ फ्रेंडली फाइट के लिए सहमति दी है। जतारा में लोजद और कांग्रेस ने डॉ विक्रम चौधरी को अपना साझा प्रत्याशी घोषित किया है जो कि लोजद के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। लोजद के समन्वयक एवं प्रदेश जदयू के पूर्व अध्यक्ष गोविंद यादव ने बताया कि उनकी पार्टी ने बुंदेलखंड में यह पहला प्रयोग किया है। प्रत्याशी के बारे में उन्होंने बताया कि डॉ चौधरी समाजवादी मूवमेंट और कांग्रेस विचारधारा से जुड़ रहे हैं। राहुल गांधी की टीम में भी वह काम कर चुके हैं, कांग्रेस के टैलेंट हंट कार्यक्रम से भी जुड़े रहे। करीब डेढ़ दशक से वह शरद यादव के संपर्क में आए और एक सीट पर गठबंधन की रणनीति बनाई गई।
गैर भाजपाई महागठबंधन बनाने में विफल रहे शरद
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव में गैर भाजपाई महागठबंधन बनाने के लिए गोविंद के माध्यम से की गई कोशिशों में शरद यादव को सफलता नहीं मिली। यह प्रयोग यदि सफल होता तो लोकसभा चुनाव में इसे व्यापक स्तर पर आजमाया जाता। इसी तरह बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी से भी कांग्रेस का गठबंधन नहीं हो पाया।
2013 में भी 229 सीट
नामांकन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि के एक दिन पहले ही शरद यादव की पहल पर कांग्रेस जतारा सीट छोड़ने को तैयार हो गई। कांग्रेस इस बार भी मप्र में 229 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, वर्ष 2013 के चुनाव में भी कांग्रेस 229 सीट पर ही चुनाव लड़ी थी। तब देवसर विधानसभा सीट पर कांग्रेस का घोषित प्रत्याशी तकनीकी कारणों से अपात्र घोषित हो गया था। इसके बाद कांग्रेस ने वंशमणि वर्मा को समर्थन देने का एलान भी किया था।
इसलिए जतारा का चयन
गठबंधन के लिए बुंदेलखंड की जतारा सीट का ही चयन क्यों? इस सवाल पर समाजवादी नेता गोविंद यादव कहते हैं कि जतारा में समाजवादी आंदोलन का पुराना इतिहास रहा है। शरद यादव के पूर्वजों का यह गृह ग्राम रहा है, इस क्षेत्र में यादव के परिजन-रिश्तेदार अब भी यहां रहते हैं। इसके अलावा रतलाम जिले के सैलाना में भी समाजवादियों का प्रभाव है। यही वजह है कि वहां भाजपा को हराने के लिए लोजद ने कांग्रेस के साथ फ्रेंडली फाइट की रणनीति बनाई है।