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MP : मतभेद से विभाजन की कगार पर जय आदिवासी युवा शक्ति

जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) संगठन में मत भिन्नता से दो फाड़ होते दिखाई दे रहे हैं।

By Prashant PandeyEdited By: Published: Tue, 30 Oct 2018 03:27 PM (IST)Updated: Tue, 30 Oct 2018 03:27 PM (IST)
MP : मतभेद से विभाजन की कगार पर जय आदिवासी युवा शक्ति
MP : मतभेद से विभाजन की कगार पर जय आदिवासी युवा शक्ति

विवेक पाराशर, बड़वानी। विधानसभा चुनाव के ऐन पहले आदिवासी बहुल जिलों में तीसरी शक्ति माने जा रहे जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) संगठन में मत भिन्नता से दो फाड़ होते दिखाई दे रहे हैं। एक पक्ष जहां सक्रिय राजनीति से दूर रख सिर्फ समाज हित की गतिविधियों को प्रमुखता देने की बात कर रहा है। वहीं दूसरे पक्ष का मानना है कि संगठन बनाकर पिछले 60 वर्षों से कोई खास परिवर्तन नहीं आया है, इसलिए सक्रिय राजनीति में आए बगैर समाज का उत्थान संभव नहीं है। जयस के संस्थापक सदस्य विक्रम अछालिया का दावा है कि गोविंदा को देखने आई भीड़ वोटों में नहीं बदलेगी, वहीं नेशनल जयस के संस्थापक डॉ. हीरालाल अलावा का कहना है कि सिर्फ बड़वानी जिले में ही कु छ लोग हमारा विरोध कर रहे हैं, बाकी हमारे साथ हैं।

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संस्थापक सदस्य अछालिया ने कहा कि 'जयस' के पदाधिकारी तथा सदस्य बड़वानी, धार, आलीराजपुर, झाबुआ, खंडवा, बुरहानपुर, खरगोन, रतलाम, जबलपुर, देवास आदि जिलों में कार्यरत हैं। इन्हें आदिवासी मुक्ति संगठन सहित करीब 15 संगठनों का समर्थन प्राप्त है। अछालिया का कहना है कि हमारा कि सी समाज, संगठन, दल या राजनीतिक पार्टी से विरोध नहीं है। हम तो बस समाज हित की बात कर रहे हैं। कि सी भी पार्टी का उम्मीदवार जो हमारी विचारधारा को सहमति देगा, हम उसके साथ रहेंगे।

फेसबुक के बाद मिले थे फेस-टू-फेस

फे सबुक के माध्यम से शुरुआत के बाद विभिन्न स्थानों के आदिवासी युवा 16 मई 2013 को बड़वानी की कृषि उपज मंडी परिसर में फेस-टू-फेस मिले थे और जयस की स्थापना की थी।

हमारी लोकप्रियता का उठाया लाभ

अछालिया ने आरोप लगाए हैं कि 'नेशनल जयस' के डॉ. हीरालाल अलावा ने हमारे 'जयस' की लोकप्रियता का लाभ उठाते हुए आदिवासी संगठनों की मंजूरी के बगैर गैर आदिवासी लोगों के साथ राजनीति में पदार्पण का एलान करते हुए चुनाव में जाने का फै सला ले लिया है, जो अनुचित है। उन्होंने स्पष्ट कि या कि डॉ. अलावा के 'नेशनल जयस' को आगामी विधानसभा चुनावों में हमारे संगठनों के माध्यम से भरपूर प्रतिरोध का सामना करना पड़ेगा।

मुद्दों पर सशर्त साथ, चुनाव में नहीं

आदिवासी मुक्ति संगठन के प्रादेशिक महासचिव गजानंद ब्राह्मणे ने स्पष्ट किया कि हमें कि सी भी राजनीतिक दल से गुरैज नहीं है। कहने को तो आज भी कई आदिवासी विधायक व सांसद हैं, लेकि न वे समाज के मूल मुद्दों को नहीं उठा पा रहे। आदिवासी समाज के ही कि सी भी चुने हुए जनप्रतिनिधि ने आज तक पलायन के मुद्दे पर बात नहीं की है, तो ये समाज के कि स काम के। उन्होंने कहा कि डॉ. अलावा राजनीतिक लाभ के चक्कर में गैरआदिवासी लोगों से जुड़ गए हैं, जो ठीक नहीं है। हम चुनावी मामले में उनके साथ नहीं हैं, लेकि न यदि वे समाज हित के मुद्दे उठाते हैं और इसमें समाज के जनआंदोलनों की सहमति पूर्व में लेते हैं तो हम उनके साथ लड़ाई लड़ने को तैयार हैं।

राजनीति में आए बिना सामाजिक मुद्दों का समाधान कैसे?

नेशनल जयस के डॉ. अलावा ने बताया कि मत भिन्नता सिर्फ बड़वानी जिले के कु छ संगठनों के लोग कर रहे हैं, वो जयस नहीं है। उनका राष्ट्रीय स्तर पर वजूद नहीं है। जहां तक राजनीति में जाने की बात है कि तो सालों से संगठन बनाकर कोई हल नहीं निकला है, राजनीति में आए बगैर सामाजिक मुद्दों का हल कै से निकलेगा? ये संगठन पलायन, कु पोषण, पेसा कानून, पांचवी अनुसूची आदि की बात नहीं करते, लेकि न हम इन मुद्दों लेकर आगे बढ़ रहे हैं, तो ये विरोध कर रहे हैं। जो लोग विरोध कर रहे हैं वे खुद पंच से सांसद तक के चुनाव लड़े हैं और हारे हैं। इन्हीं में कु छ लोग गत 9 अगस्त को धार जिले में मुख्यमंत्री के साथ एक मंच पर बैठे थे। राजनीति न करने का इनका सिर्फ बहाना है, इन्हें टिकट नहीं मिल रहे तो अब ये विरोध कर रहे हैं। डॉ. अलावा ने कहा 80 सीटों पर हमारे प्रतिनिधि उतारने की तैयारी में हैं। कुछ सीटों पर कांग्रेस से भी चर्चा की है। नहीं तो हम निर्दलिय प्रत्याशी भी उतार सकते हैं।


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