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मध्य प्रदेशः कांग्रेस चल रही दोहरा दांव, गठबंधन से पहले ही बसपा, सपा के नेताओं को ही तोड़ने में जुटी

पांच दिन में कांग्रेस ने सपा व बसपा के कुछ नेताओं को अपने साथ किया है और कमलनाथ के सामने सदस्यता दिलाई गई।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 02 Sep 2018 12:40 AM (IST)Updated: Sun, 02 Sep 2018 12:40 AM (IST)
मध्य प्रदेशः कांग्रेस चल रही दोहरा दांव, गठबंधन से पहले ही बसपा, सपा के नेताओं को ही तोड़ने में जुटी
मध्य प्रदेशः कांग्रेस चल रही दोहरा दांव, गठबंधन से पहले ही बसपा, सपा के नेताओं को ही तोड़ने में जुटी

नई दुनिया, भोपाल। विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मध्य प्रदेश में कांग्रेस, गैर भाजपाई दलों के गठबंधन की बातें तो कर रही है लेकिन दूसरी तरफ बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के नेताओं को तोड़कर अपने साथ करने से भी नहीं चूक रही है। पहले समाजवादी पार्टी ने मूलचंद यादव उर्फ बंते को कांग्रेस से तोड़कर अपने साथ लिया था तो अब पांच दिन में कांग्रेस ने सपा व बसपा के कुछ नेताओं को अपने साथ किया है और कमलनाथ के सामने सदस्यता दिलाई गई।

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आगामी नवंबर-दिसंबर में होने जा रहे विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस गैर भाजपाई दलों व सामाजिक संगठनों को एक साथ करने का प्रयास कर रही है। जहां बसपा और सपा से हाईकमान स्तर पर चर्चाएं चल रही हैं,

वहीं गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (गोंगपा) और जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन (जयस) से प्रदेश स्तर पर बातचीत की जा रही है। हालांकि चर्चाओं पर अभी तक एकराय जैसी स्थिति नहीं बनी है। बसपा जहां 75 सीटों पर पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है तो जयस 80 सीटों पर अपनी ताकत लगाए है। सपा व गोंगपा की इस तरह की तैयारी अभी दिखाई नहीं दी है।

एक-दूसरे के संगठनों में सेंध लगाने की शुरुआत समाजवादी पार्टी ने की थी। इंदौर के पूर्व पार्षद मूलचंद यादव उर्फ बंते को सपा ने कांग्रेस से तोड़कर अपने साथ किया। उन्हें चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बना दिया। इसके बाद कांग्रेस ने बहुजन समाज पार्टी के जोन प्रभारी दुलीचंद पटेल, पूर्व जिला अध्यक्ष विष्णु काकड़े, सदाराम यादव जैसे नेताओं को कमलनाथ की मौजूदगी में पार्टी ज्वाइन कराई।

इसी क्रम में सपा का प्रदेश सचिव बताकर रामस्वरूप यादव को शनिवार को कमलनाथ ने उनके समर्थकों के साथ कांग्रेस में शामिल किया। हालांकि सपा के प्रवक्ता यश यादव का कहना है कि रामस्वरूप यादव किसी भी पद पर नहीं थे। 12 जून को पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उन्हें लखनऊ में आयोजित बैठक में बिना बुलावे के पहुंचने और बोलने की कोशिश करने पर हटा दिया था।

स्वेच्छा से जो आ रहे हैं, उन्हें हम शामिल कर रहे
हम किसी पार्टी को तोड़ नहीं रहे हैं। जो व्यक्तिगत रूप से हमसे मिलकर स्वेच्छा से आना चाह रहे हैं उन्हीं को हम पार्टी ज्वाइन करा रहे हैं। हमारा उद्देश्य किसी पार्टी को नुकसान पहुंचाना या तोड़फोड़ करना नहीं है।
-चंद्रप्रभाष शेखर, संगठन प्रभारी उपाध्यक्ष, प्रदेश कांग्रेस कमेटी


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