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शैक्षणिक संस्थानों में जमे RSS के करीबी अब कमलनाथ सरकार के रडार पर

सरकार विश्वविद्यालयों में संविदा पर नियुक्त शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक स्टाफ की नियुक्तियां रद्द कर सकती है।

By Rahul.vavikarEdited By: Published: Thu, 27 Dec 2018 02:33 PM (IST)Updated: Thu, 27 Dec 2018 02:33 PM (IST)
शैक्षणिक संस्थानों में जमे RSS के करीबी अब कमलनाथ सरकार के रडार पर
शैक्षणिक संस्थानों में जमे RSS के करीबी अब कमलनाथ सरकार के रडार पर

भोपाल, नवदुनिया (स्टेट ब्यूरो)। निगम-मंडलों के अध्यक्षों और नगरीय निकायों से एल्डरमैन को हटाने के बाद अब शैक्षणिक संस्थानों में जमे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पृष्ठभूमि वाले लोग सरकार के रडार पर हैं।

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सूत्रों के मुताबिक सरकार विश्वविद्यालयों में संविदा पर नियुक्त शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक स्टाफ की नियुक्तियां रद्द कर सकती है। मुख्यमंत्री सचिवालय में भी इसे लेकर काम चल रहा है। सरकार में उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक कई विश्वविद्यालयों में पिछले कुछ सालों में नियुक्तियां हुई हैं। इसमें कुछ लोग संविदा पर रखे गए हैं। उन्हें हटाया जा सकता है। इसके साथ ही कई रुकी पड़ी जांचें फिर शुरू हो सकती हैं।

उल्लेखनीय है कि पिछले 15 साल में भाजपा सरकार के दौरान संघ के एजेंडे पर कई नए विश्वविद्यालय शुरू किए गए और इसके साथ ही उनमें संघ की पृष्ठभूमि से जुड़े लोगों की नियुक्तियां भी हुई हैं। इसके अलावा पुराने विवि में भी कई नियुक्तियों को लेकर खुद कांग्रेस सरकार को कटघरे में खड़ा कर चुकी है। इन सभी विवि में नियुक्त स्टाफ को लेकर नई सरकार में काम चल रहा है। सभी की संविदा नियुक्तियां खत्म की जा सकती हैं।

पिछले 15 साल में राज्य में अलग-अलग विषयों से जुड़े चार विवि नए खुले हैं। इन सभी विवि में संघ से जुड़े लोगों को ही कुलपति बनाया गया था। इसके साथ ही वहां नियुक्त स्टाफ में भी संघ पृष्ठभूमि के लोग हैं। नियमित स्टाफ को लेकर फिलहाल सरकार कोई बड़ा कदम नहीं उठा रही है, लेकिन संविदा पर जमे कर्मचारी सरकार के निशाने पर हैं। माखनलाल विवि निशाने पर कांग्रेस सरकार माखनलाल विवि को लेकर निश्चित रूप से कोई कार्रवाई कर सकती है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री ने अनौपचारिक रूप से एक अधिकारी से माखनलाल विवि को लेकर बातचीत भी की थी।

गौरतलब है कि माखनलाल विवि के कामकाज और नियुक्तियों को लेकर कांग्रेस कई बार सरकार पर आरोप लगा चुकी है। विवि की विशेषाधिकार प्राप्त महापरिषद के अध्यक्ष भी मुख्यमंत्री होते हैं, इसलिए यहां कुछ बड़े फैसले हो सकते हैं। कुलपति अभी खतरे से बाहर सूत्रों के मुताबिक विवि के कुलपति फिलहाल खतरे से बाहर हैं, क्योंकि कुलपति की नियुक्ति राज्यपाल करती हैं। अभी सरकार कोई टकराव नहीं चाहती है। हालांकि कई विवि में ध्ाारा 52 की संभावनाएं देखी जा रही हैं।

संघ एजेंडे पर भाजपा सरकार में यह विवि खुल

- राजा मान सिंह तोमर संगीत विश्वविद्यालय : 2008 में ग्वालियर में स्थापित

- महर्षि पाणिनी संस्कृत वश्वविद्यालय : 2008 में उज्जैन में स्थापित

- अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय : 2011 में भोपाल में स्थापित

- सांची यूनिवर्सिटी : 2013 में सांची में स्थापित


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