मध्य प्रदेश में इस वजह से रुकी हैं कांग्रेस की 59 सीटें
यह भी संभावना है कि भाजपा को झटका देने के लिए भाजपा के बागियों को कांग्रेस बाहर से समर्थन दे दे।
भोपाल (रवींद्र कैलासिया)। विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस इस बार फूंक-फूंककर कदम रख रही है। दो दिन में कांग्रेस ने 171 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। जिन 59 विधानसभा क्षेत्रों के उम्मीदवारों पर फैसला होना बाकी है, इनमें से कहीं राजनीतिक समीकरण तो कुछ सीटों को लेकर दिग्गजों में सहमति नहीं बन पा रही है। वहीं, कांग्रेस की रविवार को जारी दूसरी सूची में 50 फीसदी नए चेहरों को मौका देकर पार्टी ने क्षेत्र के लोगों को विकल्प देने का प्रयास किया है।
पार्टी ने स्क्रीनिंग कमेटी और केंद्रीय चुनाव समिति की कई दौर की बैठकें कर प्रत्याशियों के नाम पर मंथन किया और भाजपा की पहली सूची के इंतजार में समय बिताया। दो नवंबर को भाजपा की पहली सूची जारी होने के बाद कांग्रेस ने करीब 36 घंटे तक विचार किया। फिर रविवार को दूसरी सूची जारी की गई। इन सूचियों के बाद अब तक कांग्रेस में महाराजपुर, सिरोंज के अलावा अन्य सीटों पर छिटपुट विरोध को छोड़ दें तो वैसा असंतोष दिखाई नहीं दिया है, जैसा भाजपा में नजर आ रहा है।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व संगठन प्रभारी महामंत्री चंद्रिका प्रसाद द्विवेदी ने महाराजपुर सीट पर प्रत्याशी चयन में गड़बड़ी की हाईकमान को शिकायत की है तो सिरोंज की पार्षद रशीदा खान ने वहां भाजपा प्रत्याशी को जिताने के लिए कमजोर प्रत्याशी दिए जाने का आरोप लगाते हुए प्रदेश कार्यालय में प्रदर्शन कर वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद को शिकायत सौंपी।
राजनीतिक समीकरणों के तहत कांग्रेस नेतृत्व ने बालाघाट की वारासिवनी, भोपाल की गोविंदपुरा व हुजूर, छिंदवाड़ा, बुदनी जैसी कुछ सीटों को रोक लिया है। वारासिवनी में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साले संजय सिंह मसानी को चुनाव मैदान में उतारे जाने की संभावना है। भोपाल में कांग्रेस ने जिन तीन सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है, उनमें से गोविंदपुरा और हुजूर सीट के लिए भाजपा के कुछ नेताओं के रुख स्पष्ट होने का इंतजार किया जा रहा है।
सूत्र बताते हैं कि यह भी संभावना है कि भाजपा को झटका देने के लिए भाजपा के बागियों को कांग्रेस बाहर से समर्थन दे दे। राजनीतिक समीकरणों के तहत छिंदवाड़ा की सीट पर प्रत्याशी का एलान भी फिलहाल टाला गया है। इसी तरह कांग्रेस मुख्यमंत्री के खिलाफ अपने प्रत्याशी के पत्ते नहीं खोल रही है। सूत्र बताते हैं कि मुख्यमंत्री के खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह अपना प्रत्याशी उतारेंगे। इसमें पूर्व विधायक राजकुमार पटेल या अर्जुन आर्य की संभावना है।
हाईकमान ने कराया सख्ती का अहसास
कांग्रेस हाईकमान ने प्रदेश के दिग्गज नेताओं को अपनी सख्ती का अहसास करने के लिए कुछ फैसलों से संकेत दे दिए। इसमें विजयपुर से विधायक रामनिवास रावत अपनी सीट बदलना चाह रहे थे और सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया भी इसके लिए प्रयास कर रहे थे। मगर रावत को दूसरी सूची में उसी सीट से प्रत्याशी घोषित कर दिया गया। इसी तरह पूर्व सांसद सत्यव्रत चतुर्वेदी अपने बेटे नितिन को राजनगर से प्रत्याशी बनाना चाह रहे थे, जबकि उस सीट पर विक्रमसिंह नातीराजा तीन बार से विधायक हैं। सूत्रों के मुताबिक चतुर्वेदी को बिजावर सीट से बेटे को उतारने का विकल्प भी दिया गया, लेकिन वे राजनगर के लिए कोशिश करते रहे। हाईकमान ने पहली सूची में बिजावर और दूसरी सूची में राजनगर का टिकट घोषित कर चतुर्वेदी को किनारे कर दिया।
अपने-अपनों के लिए भी अड़े
सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस ने जिन 59 सीटों पर प्रत्याशी घोषित नहीं किए, उनमें से कुछ पर दिग्गजों के बीच सहमति नहीं बन पा रही। गोहद सीट पर जहां सिंधिया और विधायक डॉ. गोविंद सिंह के समर्थकों के बीच फैसला नहीं हो पा रहा तो रामपुर बघेलान में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह और विधानसभा उपाध्यक्ष डॉ. राजेंद्र कुमार सिंह अपने-अपने समर्थकों के लिए प्रयासरत हैं। मैहर में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ व सिंधिया समर्थक दावेदारों को लेकर पार्टी धर्मसंकट में है। बालाघाट में सपा प्रत्याशी को समर्थन देने की कोशिशें हैं, जिसके लिए दिग्विजय सिंह तैयार नहीं हैं।