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Lok Sabha Election Phase III Voting: कहीं लकवा पर भारी पड़ा उत्‍साह, कहीं पैर से दबाया EVM

Lok Sabha Election Phase III Voting बिहार के पांच लोकसभा क्षेत्रों में मंगलवार को मतदान के दौरान उत्‍साह चरम पर दिखा। इसमें उम्र व बीमारी के साथ प्रकृति भी बाधा नहीं बन सकी।

By Amit AlokEdited By: Published: Tue, 23 Apr 2019 12:56 PM (IST)Updated: Tue, 23 Apr 2019 05:47 PM (IST)
Lok Sabha Election Phase III Voting: कहीं लकवा पर भारी पड़ा उत्‍साह, कहीं पैर से दबाया EVM
Lok Sabha Election Phase III Voting: कहीं लकवा पर भारी पड़ा उत्‍साह, कहीं पैर से दबाया EVM
पटना [जेएनएन]। बिहार में लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में पांच लोकसभा सीटों (झंझारपुर, मधेपुरा, सुपौल, अररिया व खगडि़या) के लिए मतदान जारी है। लोग बारिश व गर्मी से बेपरवाह वोट देते दिख रहे हैं। लोकतंत्र के इस महापर्व को पहली बार मतदान करने वालों से लेकर लेकर वृद्धों तक में उत्‍साह देखा जा रहा है। इस उत्‍साह का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कहीं लकवाग्रस्‍त मरीज ने वोट दिया तो कहीं हाथ नहीं रहने पर दिव्‍यांग ने पैर से इवीएम का बटन दबाया।
लकवा के मरीज को ठेला पर लेकर पहुंचे परिजन
खगड़िया के  मथुरापुर बूथ पर आए 69 वर्षीय बिंदेश्वरी पासवान को लकवा है। खुद चल नहीं सकते, लेकिन वोट देना जरूरी लगा,सो परिजनों के सहयोग से बूथ पर पहुंचे। आर्थिक हालात अच्‍छे नहीं, इसलिए ठेला पर बैठकर आना मजबूरी थी।

हाथ नहीं तो पैर के अंगूठे से दबाया ईवीएम का बटन
लकवाग्रस्‍त बिंदेश्वरी पासवान के पास फिर भी ईवीएम का बटन दबाने के लिए हाथ था, लेकिन उनका क्‍या जिन्‍हें हाथ ही न हो? झंझारपुर लोकसभाक्षेत्र स्थित अंधराठाढ़ी के बूथ संख्‍या 244 पर पहुंचे दिव्यांग जगन्‍नाथ कुमार राय को हाथ ही नहीं है। लेकिन वोट तो देना ही था। उन्‍होंने पैर के अंगूठे से ईवीएम का बटन दबाकर वोट डाला।

जब तक सांस, जब तक वोट जरूर देंगी लुटनी देवी
मधेपुरा के गम्हरिया प्रखंड के बूथ संख्या 15 पर 98 वर्षीय लुटनी देवी ने मतदान किया। लुटनी ने आजादी की लड़ाई का दौर देखा है,इसलिए उनका दावा है कि आजादी के महत्‍व को उनसे अधिक कोई नहीं समझ सकता है। वे लोकतंत्र को आजादी की रक्षा के लिए महत्‍वपूर्ण मानती हैं। कहती हैं, जब तक सांस चल रही है, वोट जरूर देंगी।

बारिश पर भारी पड़ा मतदाताओं का उत्‍साह
वोट के दौरान कई जगह बारिश के कारण हल्‍का व्‍यवधान जरूर आया, लेकिन यह वोटरों के उत्‍साह को कम नहीं कर सका। अररिया के फारबिसगंज स्थित बूथ संख्या 118 पर बारिश के बीच छाता लेकर पहली बार मतदान करने पहुंची काजल प्रिया कहतीं हैं, ''जो भी हो, वोट तो देना ही था। फिर बारिश क्‍या चीज है।'' अररिया के नरपतगंज में भी बारिश में कई लोग मतदान करते दिखे।

जात व जमात पर नहीं, विकास के नाम पर दिए वोट
अररिया के नरपतगंज के बूथ संख्या 84 पर नेहा कुमारी ने भी पहली बार मतदान किया। खगडि़या की रंजीता हों या मधुपरा की रश्मि व संजना, पहली बार मतदान करने वालों में उत्‍साह चरम पर दिखा। इन युवाओं ने विकास के नाम पर वोट किया। जात व जमात के नाम पर वोटिंग के लिए बदनाम रहे बिहार में यह भविष्‍य का शुभ संकेत है।

रास्‍ता नहीं तो नाव की कर ली सवारी
बात जब लोकतंत्र के महापर्व में शामिल होने की हो तो बारिश या गर्मी क्‍या, आवागमन की बाधाएं भी रास्‍ता नहीं रोक पाती हैं। कोसी व सीमांचल के कई इलाकों में मतदाताओं को ऐसी समस्‍याओं से दो-चार होना पड़ा। सहरसा के नवहट्टा प्रखंड में मतदाता नाव से मतदान केंद्र पर जाते दिखे।

हर आयु के मतदाताओं में दिख रहा उत्‍साह
बहरहाल, मतदान जारी है। इसे लेकर हर आयु के मतदाताओं का उत्‍साह बता रहा है कि हमारा लोकतंत्र कितना मजबूत है।

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