Hazaribagh, Jharkhand Lok Sabha Election 2019: पिता यशवंत भाजपा से नाराज, मां का साथ पाकर क्या जंग जीतेंगे जयंत, हाल-ए-हजारीबाग
Lok Sabha Election 2019. हजारीबाग में जयंत सिन्हा के लिए मुकाबला बेहद अहम माना जा रहा है। वह भी तब जब उनके पिता यशवंत भाजपा और मोदी के बड़े विरोधी रहे हैं।
हजारीबाग, [विकास कुमार]। Lok Sabha Election 2019 - लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में हजारीबाग संसदीय क्षेत्र में छह मई को वोट डाले जाने हैं। चुनाव प्रचार समाप्त हो गया है। डोर टू डोर जनसंपर्क में सारे प्रत्याशी जुटे हैं। सांसद जयंत सिन्हा के लिए मुकाबला बेहद अहम माना जा रहा है। वह भी तब, जब उनके पिता यशवंत सिन्हा देश से लेकर राज्य तक भाजपा, खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुखर और बड़े विरोधी रहे हैं।
भाजपा प्रत्याशी केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा की मां नीलिमा सिन्हा।
ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या वे भाजपा प्रत्याशी और अपने पुत्र जयंत सिन्हा के खिलाफ वोट करेंगे? क्या पिता के भाजपा विरोध के बावजूद जयंत सिन्हा हजारीबाग की जंग जीतने में कामयाब होंगे? बहरहाल चुनाव प्रचार के दौरान भले ही इस बार जयंत सिन्हा को अपने पिता यशवंत सिन्हा का साथ नहीं मिला हो। लेकिन हर कदम पर मां नीलिमा सिन्हा उनके साथ रही हैं।
तीन मई को गांधी मैदान में आयोजित सभा में वे यूपी के मुख्यमंत्री और भाजपा के फायर ब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ को सुनने पहुंची थीं। हालांकि, सभा के दौरान योगी आदित्यनाथ यहां नहीं पहुंचे। वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम ही उन्होंने लोगों को संबोधित किया। लेकिन, नीलिमा सिन्हा कार्यक्रम के अंत तक बनी रहीं।
वैसे चुनाव प्रचार के दौरान भी जयंत के पिता यशवंत सिन्हा ने एक-दो बार ट्वीट कर भाजपा के प्रति चल रही अपनी नाराजगी जताई। यशवंत चुनाव प्रचार के दौरान कभी भी अपने बेटे के साथ नहीं दिखे, लेकिन जयंत को उनकी मां का आशीर्वाद हमेशा मिलता रहा है। इससे पूर्व भी 17 फरवरी को गांधी मैदान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा हुई थीं। इसमें भी वे अकेले ही सबसे आगे सीट पर बैठी हुई थी। वे बेटे के साथ हमेशा बनी रही हैं।
दूसरी ओर उनकी पत्नी पुनिता सिन्हा भी चुनाव प्रचार में लगातार साथ रहीं और जनसंपर्क करती रहीं। नामांकन से लेकर चुनाव प्रचार के अंतिम दिन तक पुनिता ने जयंत के लिए स्वयं जनसंपर्क किया और उन्हें वोट देने की अपील की। वहीं वोटरों में यशंवत सिन्हा की नाराजगी का असर नहीं दिखा। संसदीय क्षेत्र में मोदी फैक्टर पूरी तरह हावी रहा। साथ ही विपक्ष भी यशवंत सिन्हा के विरोध को पूरी तरह से भुना नहीं सका।
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