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Lok Sabha Election 2019 : अमिताभ बच्चन के लिए घर-घर वोट मांगती थी साहित्यकारों की टोली

पिता हरिवंश राय बच्चन की वजह से अमिताभ बच्‍चन को यहां के साहित्‍यकारों का काफी सहयोग था। अमिताभ इलाहाबाद संसदीय सीट से 1984 के कांग्रेस के प्रत्‍याशी थे। प्रचार का अनोखा ढंग था।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Tue, 02 Apr 2019 06:12 PM (IST)Updated: Tue, 02 Apr 2019 06:12 PM (IST)
Lok Sabha Election 2019 : अमिताभ बच्चन के लिए घर-घर वोट मांगती थी साहित्यकारों की टोली
Lok Sabha Election 2019 : अमिताभ बच्चन के लिए घर-घर वोट मांगती थी साहित्यकारों की टोली

मनीष मिश्रा, प्रयागराज : वर्ष 1984 के आम चुनाव में इलाहाबाद संसदीय सीट हिट और हीट थी। वजह थी चुनाव में मेगास्टार अमिताभ बच्चन की उम्मीदवारी। वह कांगे्रस की टिकट पर मैदान में उतरे थे और उनके सामने थे तत्कालीन सियासी धुरंधर हेमवती नंदन बहुगुणा। शहर के साहित्यिक जगत का एक बड़ा वर्ग महानायक के समर्थन में खड़ा हो गया था। साहित्यकारों की टोली घर-घर जाकर लोगों से अनोखे अंदाज में अमिताभ बच्चन के लिए वोट मांगती थी।

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अमिताभ का चुनाव प्रचार अलग स्टाइल में होता था

अमिताभ बच्चन का चुनाव प्रचार अन्य प्रत्याशियों की अपेक्षा थोड़ा हटकर होता था। उनके पक्ष में कवि, साहित्यकार, लेखक जैसे बुद्धिजीवी वर्ग के लोग शामिल थे। वह प्रचार के दौरान अमिताभ बच्चन की फिल्मों के मशहूर डायलॉग भी बोलते थे। मसलन दीवार फिल्म का मशहूर डायलॉग 'आज मेरे पास बंगला है, गाड़ी है, बैंक बैलेंस है, क्या है तुम्हारे पास।' त्रिशूल फिल्म का डायलाग 'सही बात को सही वक्त पे किया जाए तो उसका मजा ही कुछ और है, और मैं सही वक्त का इंतजार कर रहा हूं।' यह सुनकर लोग प्रभावित भी होते थे। अमिताभ भी जनसंपर्क के दौरान स्थानीय भाषा, जिसमें अवधी, भोजपुरी का पुट ज्यादा होता था, उसका प्रयोग करते थे।

 साहित्यिक गोष्ठी बनाम चुनावी सभा

हरिवंश राय बच्चन ने बेटे अमिताभ के चुनाव में समर्थन के लिए सिविल लाइंस स्थित एक मिल में चुनावी सभा बुलाई गई थी। कवि यश मालवीय बताते हैं कि इसमें उन्होंने शहर के साहित्यकार, कवि, लेखक, शायर आदि को आमंत्रित किया था। चुनावी सभा पूरी तरह से साहित्यिक सभा के रूप में तब्दील हो गई थी। कोई भी साहित्यकार या कवि ऐसा नहीं था जो इसमें शामिल नहीं हुआ हो। महादेवी वर्मा, रामकुमार वर्मा, जगदीश गुप्ता, अमृत राय, लक्ष्मीकांत वर्मा, दूधनाथ सिंह, डॉ. रामजी पांडेय के अलावा वह (यश मालवीय) भी वहां थे। सभी ने मंच पर रचनाएं भी प्रस्तुत की थीं।


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