Lok Sabha Election 2019 : मतपेटी भरे ट्रकों के साथ स्ट्रांग रूम तक जाते थे कार्यकर्ता
ईवीएम के चलन के पहले मतपेटियों के बदलने के आरोप लगाए जाते थे। ऐसे में राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता मतपेटियों के साथ स्ट्रांग रूम तक ट्रकों के साथ अपने वाहनों से जाते थे।
By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sat, 13 Apr 2019 11:48 AM (IST)Updated: Sat, 13 Apr 2019 11:48 AM (IST)
प्रयागराज : एक समय वह भी था जब मतदान खत्म होने के बाद मतपेटियों को सील करके और ट्रकों के जरिए स्टांग रूम में भेजा जाता था। मतपेटी के साथ में प्रत्याशियों के समर्थक और कार्यकर्ता भी ट्रकों के साथ अपने वाहनों से स्ट्रांग रूम तक जाते थे। स्थिति यह तक थी कि मतगणना की तिथि तक कार्यकर्ता स्टांग रूम की निगरानी भी करते थे, ताकि मतपेटियां बदली न जा सकें।
सत्ताधारी राजनीतिक पार्टी के प्रत्याशियों पर लगते थे अधिक आरोप
वर्तमान चुनाव में जिस तरह ईवीएम में गड़बड़ी करने के आरोप लगाए जाते हैैं, उसी तरह पूर्व में बैलेट पेपर से होने वाले मतदान में भी मतपेटी बदलने के आरोप लगते थे। इस तरह के आरोप ज्यादातर सत्ताधारी राजनीतिक पार्टी के प्रत्याशियों पर लगते थे। अन्य पार्टियों के प्रत्याशी सीधे स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत से सत्ताधारी दल के प्रत्याशी पर मतपेटी बदलवाने का आरोप लगाते थे। हालांकि मतपेटी बदलने का मामला शायद ही कभी साबित हो सका। हालांकि विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के नेता मतपेटी बदलने की आशंका को लेकर बेहद सतर्क रहते थे।
मतदान केंद्र से स्टांग रूम तक सतर्कता से निगरानी करने की हिदायत देते थे
समाजवादी नेता कृष्ण कांत श्रीवास्तव बताते हैैं कि ईवीएम से मतदान प्रारंभ होने के पहले तक इस तरह के आरोप खूब लगते थे। मतपेटी बदलने की आशंका जताने वाले राजनीतिक दल के प्रत्याशी अपने समर्थकों और कार्यकर्ताओं को मतदान केंद्र से लेकर स्टांग रूम तक बेहद सतर्कता से निगरानी करने की हिदायत देते थे। मतपेटी सील होने के बाद उसे ट्रकों पर रखकर स्ट्रांग रूम के लिए रवाना किया जाता तो पार्टियों के कार्यकर्ता ट्रकों के साथ-साथ स्ट्रांग रूम तक जाते थे।
कार्यकर्ता टोलियों में ट्रकों के साथ अपने दुपहिया वाहनों से स्ट्रांग रूम तक जाते थे
दूर-दराज इलाकों के मतदान केंद्र से मतपेटियों को लेकर आने वाले ट्रकों को लेकर इस तरह की आशंका ज्यादा होती थी, सो कार्यकर्ता टोलियों में ट्रकों के साथ अपने दुपहिया वाहनों से स्ट्रांग रूम तक आते थे। जब तक मतगणना का दिन नहीं आ जाता था, स्ट्रांग रूम की बराबर निगरानी की जाती थी।
कार्यकर्ता टोलियों में ट्रकों के साथ अपने दुपहिया वाहनों से स्ट्रांग रूम तक जाते थे
दूर-दराज इलाकों के मतदान केंद्र से मतपेटियों को लेकर आने वाले ट्रकों को लेकर इस तरह की आशंका ज्यादा होती थी, सो कार्यकर्ता टोलियों में ट्रकों के साथ अपने दुपहिया वाहनों से स्ट्रांग रूम तक आते थे। जब तक मतगणना का दिन नहीं आ जाता था, स्ट्रांग रूम की बराबर निगरानी की जाती थी।
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