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Lok Sabha Election 2019: क्‍या इस बार फिर चलेगा मोदी फैक्टर, जानें पलामू का हाल

Lok Sabha Election 2019. पलामू संसदीय क्षेत्र में केंद्रीय योजनाओं के जमीन पर उतरने से लोग खुश लेकिन सिस्टम और बिचौलियों की मार झेल रहे वंचित नाराज हैं।

By Alok ShahiEdited By: Published: Mon, 22 Apr 2019 06:56 AM (IST)Updated: Mon, 22 Apr 2019 07:46 AM (IST)
Lok Sabha Election 2019: क्‍या इस बार फिर चलेगा मोदी फैक्टर, जानें पलामू का हाल
Lok Sabha Election 2019: क्‍या इस बार फिर चलेगा मोदी फैक्टर, जानें पलामू का हाल

मेदिनीनगर से आनंद मिश्र-संदीप कुमार। Lok Sabha Election 2019 - हांडी के चावल का एक दाना बता देता है कि वह पका है या नहीं। डालटनगंज के चैनपुर प्रखंड के काराकाट गांव की तस्वीर पलामू संसदीय क्षेत्र के लिए कुछ वैसा ही चावल का दाना है। यहां विकास जमीन पर आकार ले रहा है लेकिन सिस्टम की खामियां उसकी दुश्वारियां बढ़ा रही हैं। पक्की सड़क, आवास योजना के तहत बने मकान और शौचालय बनने से गांव का एक कोना खुश नजर आ रहा है तो दूसरा कोना एक धब्बे की तरह नजर आता है।

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गांव में लोग खुश भी हैं और नाराज भी। खुशी उनके चेहरे पर नजर आती है, जिन्हें आवास व शौचालय मिल गया है। और गुस्सा उनका दिखता है, जिनके मकान की छत महज पांच सौ रुपये रिश्वत नहीं देने के कारण अधूरी रह गई। चैनपुर के काराकाट गांव के शुरुआती मकान में विकास दिखता है। शीला देवी बताती हैं कि उनके घर में अभी हाल ही में शौचालय बना है। आशीष पांडेय भी मोदी सरकार के विकास कार्यों का हवाला देते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा तक के मुद्दों पर अपना पक्ष रखते हैं। गांव की बनी पक्की सड़क दिखाते हैं। हालांकि दूर खड़ी मंगरी देवी बड़बड़ाती नजर आती हैं। कुछ पूछने पर पकड़कर अपने गांव ले जाती हैं, कच्चा मकान दिखाती हैं। सिर्फ उन्हीं का नहीं, यहां कच्चे मकानों की कतार है। यह हरिजन बस्ती है।

गांव के एक कोने से इतर विकास का दूसरा चेहरा। गांव के लोगों की भीड़ हमें घेर लेती है और सिस्टम की खामियों से हमें अवगत कराती है। हम कुछ बोलें इससे पहले भाजपा नेता शशिभूषण पांडेय लोगों से बहस में उलझ जाते हैं। कहते हैं कि सूची में नाम नहीं होगा तो आवास कहां से मिलेगा। यहां कबूतरी कुंअर का आवास अधूरा पड़ा है, छत नहीं बनी। पूछने पर पता चला कि रिश्वत नहीं दे सकी। जाहिर है यहां योजनाएं पहुंच रही हैं लेकिन सिस्टम में खामी होने के कारण लोगों को उसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। समस्या सिर्फ शौचालय या आवास योजना मिलने तक सीमित नहीं हैं। यहां बिजली पहुंची है लेकिन एक-दो घंटे से अधिक नहीं आती।

स्थानीय भाजपा नेता भी यह स्वीकारते हैं कि बिजली की समस्या है। मुख्यमंत्री तक भी बात पहुंचाई गई है। कांग्रेस के बुजुर्ग नेता सागर दास कहते हैं कि भाजपा वाले झूठ बोलते हैं। सिर्फ जुमलेबाजी हो रही। आज से ये थोड़े ही कर रहे कि बिजली की समस्या दुरुस्त हो जाएगी। यहां लोग कराह रहे तो खेतों में बिना सिंचाई के किसान। किसानों की समस्या तो बड़ी परेशानी है। लेकिन बिजली की हालत पूरे संसदीय क्षेत्र में बदहाल है ऐसा नहीं। डालटनगंज शहर में पहले लोग बिजली की समस्या से त्रस्त थे, लेकिन पूर्व में हटिया ग्रिड और बाद में नेशनल ग्रिड से जुडऩे के बाद यहां 20-22 घंटे रह रही है। 

पानी के लिए हाहाकार, खेतों में दरार
पेयजल और सिंचाई पलामू की बड़ी समस्या है। चैनपुर प्रखंड से डालटनगंज को जोडऩे वाले पुल से गुजरने पर सूखी कोयल नदी को देखकर समस्या की भयावहता का एहसास होता है। नदी में पानी नहीं, रेत उड़ रही है। हर बार चुनाव में यह बड़े मुद्दे के रूप में उभरकर लोगों को मुंह चिढा़ती है। जनप्रतिनिधियों के भी पसीने छू्टते हैं, लेकिन समस्या जस की तस बनी है। चैनपुर की तहले सिंचाई परियोजना 2006 से शिलान्यास की बाट जोह रही है। इसके शिलान्यास की तिथि तय हो गई थी।

तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा इसका शिलान्यास करने वाले थे लेकिन तब जो काम लटका वह आज तक पूरा नहीं हुआ। लोगों की उम्मीदें अब दम तोड़ चुकी हैं। 600 करोड़ की यह योजना पूरी होती तो चैनपुर में 20 हजार हेक्टेयर भूमि सिंचित होती। आज किसानों को खून के आंसू न रोने पड़ते। सुखाड़ पलामू की नियति बन चुका है, हर दूसरे वर्ष यहां सुखाड़ पड़ता है। अपने सूखे खेत छोड़कर लोग दूसरे राज्यों में रोजी-रोजगार के लिए दर-दर की ठोकरें खाते हैं।

डालटगंजन फेज टू जलापूर्ति योजना पूरी न होने से पूरा शहर पीने के पानी के लिए हाहाकार कर रहा है। यह योजना 2009 से ही लटकी हुई है। बहरहाल, पेयजल व सिंचाई के मुद्दों से आक्रोशित पलामू की जनता इन समस्याओं के निराकरण के लिए किसे अपना जनप्रतिनिधि चुनती है यह आनेवाला वक्ततय करेगा। दूसरी लोकसभा सीटों की तरह यहां भी मोदी फैक्टर हावी है इसमें कोई दो मत नहीं। 

सुलझे-अनसुलझे मुद्दे
सुलझे :- सड़क के क्षेत्र में पलामू में अच्छा काम हुआ है। सिर्फ शहरी ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी सड़कों की सूरत बदली है।- बिजली की दशा पिछले कुछ सालों में काफी काम हुआ है। बिजली गांव-गांव तक पहुंची है। शहरों में पर्याप्त बिजली की आपूर्ति है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति को लेकर अवरोध देखने को मिलते हैं।- आवास और शौचालय के क्षेत्र में काफी काम हुआ है। कुछ मामलों को छोड़कर लोग यह मानते हैं कि उनके सिर पर छत का सपना साकार हुआ। 

अनसुलझे
- सिंचाई के संसाधनों का अभाव। तमाम योजनाएं लटकी पड़ी हैं। मंडल डैम का काम भी शिलान्यास के बाद भी रुका हुआ है।-शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में पेयजल की स्थिति खराब है। शहरों में लोग पानी खरीदकर काम चला रहे हैं।-बेरोजगारी पलामू की बड़ी समस्या है। खेत सूखे हैं, उद्योग लग नहीं रहे है। रोजगार की तलाश में लोग दूसरे राज्यों में जाने को विवश हैं।


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