LokSabha Election 2019: धनबाद का जवाब नहीं! यहां आकर जिसने भी बड़ा दिल दिखाया उसे जनता ने सिर-आंखों पर बिठाया
धनबाद देश का एक ऐसा लोकसभा सीट है जहां से अब तक कोई स्थानीय व्यक्ति चुनाव जीत कर संसद पहुंचा ही नहीं। पहले चुनाव से अब तक सीमा से बाहर जन्मे लोग ही यहां से चुनाव जीतते रहे हैं।
धनबाद, जेएनएन। चुनाव में जीत के लिए बाहरी-भीतरी का मुद्दा लगभग सभी सीटों पर अहम रहता है। तकरीबन सभी सीटों पर मांग रहती है कि यहां से स्थानीय निवासी को ही टिकट दिया जाए। धरतीपुत्र ही स्थानीय समस्याओं को समझ सकता है और लोगों को अपने साथ जोड़ सकता है। ऐसे में आपको जानकर आश्चर्य होगा कि झारखंड की धनबाद लोकसभा सीट इस मामले में कुछ अलग मिजाज का रहा है। यहां के लोगों के साथ जिसने भी अपनापन दिखाया उसे मतदाताओं सिर-आंखों पर बिठाया।
धनबाद देश का एक ऐसा लोकसभा सीट है जहां से अब तक कोई स्थानीय व्यक्ति चुनाव जीत कर संसद पहुंचा ही नहीं। वर्ष 1952 में स्वतंत्र भारत के पहले आम चुनाव से लेकर अब तक धनबाद की सीमा से बाहर जन्मे लोग ही यहां से चुनाव जीतते रहे हैं। इनमें दो ऐसे रहे जिनका जन्म वर्तमान भारत की सीमा से पार हुआ लेकिन वे भी यहां आकर बस गए और सांसद बने। देश बंटवारा के बाद बांग्लादेश से आने वाले कॉ. एके राय भी तीन बार धनबाद से सांसद चुने गए। विवाह के बाह बहू बनकर पहुंचीं नेपाल राजघराने की बेटी रानी ललिता राज्यलक्ष्मी को भी मतदाताओं ने सिर-आंखों पर बिठाया।
धनबाद लोकसभा सीट पश्चिम बंगाल की सीमा से सटा हुआ है। यह पहले मानभूम जिला का ही हिस्सा था। राज्य पुनर्गठन के दौरान मानभूम का एक हिस्सा पुरुलिया जिला के रूप में पश्चिम बंगाल में है जबकि धनबाद बिहार में शामिल किया गया। जाहिर है कि तब यहां भी बांग्लाभाषियों की आबादी काफी थी। विशेषकर शहरी इलाकों में। लिहाजा पहले सांसद प्रभातचंद्र बोस और उनके बाद पीआर चक्रवर्ती भी बांग्लाभाषी ही थे। रानी ललिता राजलक्ष्मी ने इस क्रम को तोड़ा।
कोलियरियों के विस्तार और डीवीसी, बोकारो स्टील प्लांट जैसे सार्वजनिक उपक्रमों की स्थापना ने इसे देश के औद्योगिक मानचित्र पर अग्रणी बनाया तो इसे श्रमिक बहुल क्षेत्र का तमगा भी मिला। इनमें अधिकतर उत्तर बिहार के थे। इस बदली परिस्थिति में श्रमिक नेता रामनारायण शर्मा पहले सांसद बने जो उत्तर बिहार के भोजपुरी भाषी थे। उनके बाद एके राय भी बांग्लाभाषी थे। राय के बाद फिर शंकरदयाल सिंह से पीएन सिंह तक बिहार पृष्ठभूमि के ही सांसद रहे हैं। झारखंड राज्य गठन के बाद वर्ष 2004 में चुने गए चंद्रशेखर दुबे खालिस झारखंडी मिïट्टी-पानी के हुए भी तो वे पलामू से आकर बने।
धनबाद के अब तक के सांसद व उनका गृहक्षेत्र
1. सांसद प्रभातचंद्र बोस
सांसद बने : 1952, 1957
जन्म : 17 अगस्त 1899 को जेसोर जिला (बांग्लादेश)
2. पीआर चक्रवर्ती
सांसद बने : 1962
जन्म : बंगाल के पुरुलिया जिला में
3. रानी ललिता राज्यलक्ष्मी
सांसद बनीं : 1967
जन्म : 25 फरवरी 1936 को नेपाल के राणा खानदान में
4. राम नारायण शर्मा
सांसद बने : 1971
जन्म : 31 अगस्त 1915, छपरा, (बिहार)
5. एके राय (अरुण कुमार राय)
सांसद बने : 1977, 1980 व 1989
जन्म : 15 जून 1935 को राजशाही जिला (बांग्लादेश)
6. शंकरदयाल सिंह
सांसद बने : 1984
जन्म : 24 दिसंबर 1925 को सिताब दियारा, छपरा, (बिहार)
7. प्रो. रीता वर्मा
सांसद बनीं : 1991, 1996, 1998, 1999
जन्म : 15 जुलाई 1953 को पटना, (बिहार)
8. चंद्रशेखर दुबे
सांसद बने : 2004
जन्म : दो जनवरी 1946 को गढ़वा, (झारखंड)
9. पशुपतिनाथ सिंह
सांसद बने : 2009, 2014
जन्म : 11 जुलाई 1949 को लखनपुर, पटना (बिहार)