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Kaushambi Lok Sabha Election 2019 : कौशांबी में इनके चेहरे पर खुशी तो इन प्रत्याशियों के लटके चेहरे

कौशांबी लोकसभा सीट से विनोद सोनकर को लगातार दूसरी बार जीत का ताज मिला है। उन्‍होंने गठबंधन के प्रत्‍याशी इंद्रजीत सरोज को 38722 मतों से हराया है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Fri, 24 May 2019 04:23 PM (IST)Updated: Fri, 24 May 2019 04:23 PM (IST)
Kaushambi Lok Sabha Election 2019 : कौशांबी में इनके चेहरे पर खुशी तो इन प्रत्याशियों के लटके चेहरे
Kaushambi Lok Sabha Election 2019 : कौशांबी में इनके चेहरे पर खुशी तो इन प्रत्याशियों के लटके चेहरे

कौशांबी, जेएनएन। कौशांबी लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी विनोद सोनकर लगातार दूसरी बार जीतने में सफल रहे। विनोद सोनकर ने गठबंधन प्रत्याशी इंद्रजीत सरोज को 38722 मतों से शिकस्त दी। विनोद सोनकर को 383009 मत मिले, जबकि इंद्रजीत सरोज को 344287 मत मिले। तीसरे नंबर पर रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक रही। इस दल के प्रत्याशी शैलेंद्र कुमार पासी को 156406 मत मिले। कांग्रेस प्रत्याशी गिरीश पासी को कुल 16442 मतों से संतोष करना पड़ा। 

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   मोदी की आंधी में गठबंधन व जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के प्रत्याशियों को यदि छोड़ दिया जाए तो बाकी शेष सभी प्रत्याशी अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए। यहां कुल मत प्रतिशत 54.44 रहा। पोस्टल-बैलेट में सर्वाधिक विनोद सोनकर को 1492 मत मिले जबकि 1013 मत इंद्रजीत सरोज को मिले। 

2014 में प्रमुख दलों के प्रत्याशियों को मिले मत

पार्टी              प्रत्याशी             कुल वोट 

भाजपा        विनोद सोनकर         383009

गठबंधन      इंद्रजीत सरोज         344287

जदलो          शैलेंद्र कुमार           156406 

कांग्रेस          गिरीश पासी           16442

2019 में प्रमुख दलों के प्रत्याशियों को मिले मत

पार्टी               प्रत्याशी               कुल वोट 

भाजपा           विनोद सोनकर        331724

सपा              शैलेंद्र कुमार            288824

बसपा            सुरेश कुमार पासी     201322

कांग्रेस           महेंद्र कुमार            31905 

 1996 में पहली बार कौशांबी में खिला था कमल

 आजादी के बाद 1951 में पहली बार चुनाव हुआ था। तब से चार बार लोस चुनाव में जनता के बीच कांग्रेस की लोकप्रियता अधिक थी जिससे लोकसभा क्षेत्र चायल में भी कांग्रेस का ही जलवा बरकरार था और इसी पार्टी के प्रत्याशी को जनता से सांसद बनाया। समय बदला 1977 में संसदीय सीट कांग्रेस के हाथ से चली गई। भाजपा ने हवा का रुख भांप लिया। लालकृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर निर्माण के लिए आंदोलन छेड़ा तो 1996 में पहली बार कौशांबी में कमल खिला और केंद्र में भाजपा की सरकार भी बनी।

 खत्म हो गई हिटलरशाही 

1977 में कांग्रेस सरकार की हिटलर शाही खत्म हो गई। वहीं जनता का रुख दूसरे राजनैतिक दलों की ओर हो गया। भाजपा नेताओं ने सत्ता में आने के लिए पहल शुरू कर दी। लालकृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर निर्माण आंदोलन छेडऩे से जातिगत आंदोलन के साथ हिंदुस्‍तवाद भी प्रमुख हिंदू बन चुका था। जहां-जहां आडवाणी का रथ गया, वहां-वहां पार्टी का आधार बढ़ता गया। 11वें लोकसभा चुनाव में संसदीय सीट चायल से भाजपा के डॉ. अमृल लाल भारतीय कांग्रेस के प्रत्याशी रामनिहोर राकेश को हराकर सांसद बने। यही नहीं अटलजी के नेतृत्व में केंद्र में पहली बार भाजपा की सरकार बनी। 

फिर चली मोदी लहर

इसके बाद 2014 में मोदी लहर में विनोद सोनकर सांसद बने। राष्ट्रवाद और विकास के नाम पर मोदी के नाम का जादू फिर सिर चढ़कर बोला और विनोद सोनकर को दोबारा जिताकर संसद भेजा।

मतदाताओं का मौन कोलाहल नहीं भांप पाए दल

अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित और अति पिछड़े जिलों में शुमार किए जाने वाले कौशांबी की जनता की नब्ज इस बार बड़े राजनीतिक पंडित भी नहीं टटोल सके। सभी जातीय गुणा-गणित धरे के धरे रह गए। न तो सपा-बसपा गठबंधन का जातीय समीकरण चला और न ही रघुराज प्रताप ङ्क्षसह उर्फ राजा भैया का तिलिस्म। राजा भैया को उन्हीं के गढ़ कुंडा और बाबागंज में भाजपा ने शिकस्त दे दी। मतदाताओं के मौन कोलाहल के आगे सारे दावे धरे के धरे रह गए। हां, इतना जरूर रहा कि भाजपा जीत का शुरू से ही दावा करती रही। भाजपा का प्रदर्शन बाबागंज और कुंडा में उतना उम्दा रहेगा इसकी कल्पना भी किसी ने नहीं की थी। 

2014 में 42, 900 वोट से जीते थे सोनकर 

कौशांबी संसदीय सीट के लिए 2014 में हुए चुनाव के दौरान कुल 52.38 फीसदी मत पड़े। भाजपा के विनोद सोनकर ने सपा के शैलेंद्र कुमार को 42 हजार 900 वोटों से मात दी थी। विनोद सोनकर को कुल तीन लाख 31 हजार 724 वोट मिले थे। सपा के शैलेंद्र कुमार को दो लाख  88 हजार 824 वोट और बसपा के सुरेश कुमार पासी को दो लाख लाख एक हजार 322 वोट मिले थे। कांग्रेस के प्रत्याशी महेंद्र कुमार को सिर्फ 31 हजार 905 पर संतोष करना पड़ा था।

नोटा से कम वोट पाने वाले प्रत्याशी

नोटा - 14769

शैलेंद्र कुमार पुत्र स्व. शिव प्रसाद -8011

राम सुमेर - 4224

प्रदीप कुमार - 2377

छेद्दू - 3566

राजदेव - 4986 

मिश्रीलाल - 3183

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