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गुरदासपुर लोकसभा क्षेत्रः पाक सीमा से सटे इस क्षेत्र से चार बार सांसद रहे विनोद खन्ना

विनोद खन्ना चार बार गुरदासपुर से सांसद बने। 2017 में उनके निधन के बाद भाजपा ने कारोबारी स्वर्ण सलारिया को मैदान में उतारा। उन्हें कांग्रेस के सुनील जाखड़ ने बड़े अंतर से हराया।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 11 Mar 2019 03:18 PM (IST)Updated: Mon, 11 Mar 2019 05:21 PM (IST)
गुरदासपुर लोकसभा क्षेत्रः पाक सीमा से सटे इस क्षेत्र से चार बार सांसद रहे विनोद खन्ना
गुरदासपुर लोकसभा क्षेत्रः पाक सीमा से सटे इस क्षेत्र से चार बार सांसद रहे विनोद खन्ना

जेएनएन, गुरदासपुर। भारत-पाक सीमा के बिल्कुल नजदीक होने के कारण इस सीट का सामरिक महत्व भी है। अक्सर बॉर्डर पर रावी के रास्ते घुसपैठ की घटनाएं होती रहती हैं। गुरदासपुर के कस्बा कलानौर में मुगल सम्राट अकबर की ताजपोशी हुई थी। महंत गुरिया दास की वजह से इसे गुरदासपुर नाम मिला। इस हलके पर अधिकतर कांग्रेस का ही कब्जा रहा है। इस दबदबे को खत्म करने के लिए भाजपा को फिल्म स्टार विनोद खन्ना को चुनाव मैदान में उतारना पड़ा था।

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विनोद खन्ना चार बार यहां से सांसद बने। 2017 में उनके निधन के बाद भाजपा ने कारोबारी स्वर्ण सलारिया को मैदान में उतारा। उन्हें कांग्रेस के सुनील जाखड़ ने बड़े अंतर से हराया। पठानकोट जिले के विधानसभा हलके भी इस सीट में आते हैं। शहरी क्षेत्रों में ज्यादातर लोग कारोबारी हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि मुख्य व्यवसाय है। गुज्जर समुदाय मुख्यत: पशुपालन से जुड़ा है।

विधानसभा हलकों में किसका दबदबा

  1. गुरदासपुर-कांग्रेस
  2. दीनानगर- कांग्रेस
  3. कादियां- कांग्रेस
  4. फतेहगढ़ चूडिय़ां- कांग्रेस
  5. डेरा बाबा नानक- कांग्रेस
  6. बटाला- शिअद
  7. पठानकोट- कांग्रेस
  8. भोआ- कांग्रेस
  9. सुजानपुर- भाजपा

डेमोग्राफी

  • कुल वोटर्स: 1495269
  • पुरुष: 788176
  • महिला वोटर्स: 707079

पांच साल में बड़ी घटना

2015 में दीनानगर थाने पर आतंकी हमला। चार आतंकी व तीन नागरिक मारे गए। तीन पुलिसकर्मी शहीद हुए। 2016 में पठानकोट एयरबेस पर आतंकी हमला। इसमें पांच आतंकी मारे। 7 जवान शहीद हुए। एक नागरिक की भी मौत हुई।

विकास का हाल

सीमावर्ती हलका होने के बावजूद यह क्षेत्र विकास में पिछड़ा रहा है। बटाला का औद्योगिक केंद्र तबाही की कगार पर है। विश्व प्रसिद्ध धारीवाल वूलन मिल भी तकरीबन बंद हो चुकी है। मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव है।

स्थानीय मुद्दे

  • बटाला औद्योगिक केंद्र को पुनर्जीवित करना।
  • धारीवाल वूलन मिल को पुनर्जीवित करना।
  • रोजगार के साधनों की कमी।
  • घोषित हो चुके मेडिकल कॉलेजों का निर्माण।

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