Lok Sabha Election 2019: कड़िया मुंडा का राजनीतिक सफर बेमिसाल, आठ बार बने सांसद
Lok Sabha Election 2019. सत्तर के दशक में कड़िया मुंडा साइकिल को धक्का देकर खूंटी आ रहे थे। तभी खूंटी से कुछ लोग एंबेस्डर कार में सवार हो कड़िया मुंडा को खोजने उनके गांव जा रहे थे।
खूंटी, [कंचन कुमार]। Lok Sabha Election 2019 - खूंटी से आठ बार सांसद रहे कड़िया मुंडा की राजनीतिक दास्तां भी कुछ अजीब है। सत्तर के दशक में कड़िया मुंडा साइकिल को धक्का देकर खूंटी आ रहे थे। तभी खूंटी से कुछ लोग एंबेस्डर में सवार हो कड़िया मुंडा के गांव जा रहे थे। उनलोगों ने रोका। पूछा, कहां जा रहे हो। चलो मेरे साथ। हमलोग तुम्हारा गांव देखना चाहते हैं। फिर कड़िया उन्हें अपना गांव अनिगड़ाा ले गए। बाहर चौकी पर बिठाया। लाल चाय पिलाई। वहां वे कुछ बच्चों को पढ़ाते थे। उनसे भी बातचीत हुई।
फिर वे लोग कड़िया को साथ लेकर रांची चले गए। वहां अटल बिहारी वाजपेयी से मिलवाया। फिर उनका जनसंघ से लोकसभा चुनाव का टिकट फाइनल हो गया। दरअसल जयपाल सिंह मुंडा के निधन के बाद कड़िया एवं कुछ युवाओं ने तय किया कि चुनाव लड़ा जाए। लेकिन न तो उनके पास पैसे थे और न ही किसी संगठन की पहचान। फिर भी युवाओं ने चुनाव लड़ने का मन बनाया। नेता के रूप में कड़िया मुंडा को आगे किया।
लेकिन महज आठ-दस लड़कों की टोली लोकसभा चुनाव लड़ लेगी, ऐसा आसान नहीं था। फिर तलाश हुई किसी संगठन की। कांग्रेस में दिग्गजों की भरमार थी। इसलिए वहां दाल नहीं गलने वाली थी। वाम दल के सिद्धांतों से उन युवाओं के विचार नहीं मिलते थे। जनसंघ में किसी से खास परिचय नहीं था। तभी जनसंघ को दिल्ली से संवाद आया कि खूंटी लोकसभा से प्रत्याशी देना है।
इस बीच एक आर्यसमाजी ने उनके नाम का प्रस्ताव दे दिया। अटल बिहारी वाजपेयी रांची में रूके थे। उन्होंने ही कड़िया को बुलवाया था। उन्होंने जिला कमेटी से उनका परिचय कराया। साथ ही निर्देश दिया कि इसका साथ देना है। खाने एवं रहने का इंतजाम भी कार्यकर्ता ही करेंगे। कड़िया मुंडा ने जागरण को बताया, मेरे पास ढंग के कपड़े भी नहीं थे। उनके नाम की घोषणा के बाद कुछ वरिष्ठ लोगों ने विरोध भी किया। कहा कि उनसे राय ली जानी थी। इस पर वाजपेयीजी ने उन्हें समझाते हुए साथ देने की अपील की।
1971 के चुनाव में कड़िया मुंडा खूंटी लोकसभा से प्रत्याशी बनाए गए। उन्होंने बताया कि साइकिल के बाद चुनाव में जीप से घूमने का मौका मिलेगा। कहीं-कहीं जीप को धक्का भी देनी पड़ती थी। दो चार मोटरसाइिकलों पर कार्यकर्ता प्रचार करने निकलते थे। मतदान के दो-तीन दिनों पूर्व डिग्री कॉलेज में सम्मेलन हुआ। उसमें भीड़ एवं व्यवस्था को देखकर काफी उत्साह बढ़ा।
हालांकि एनई होरो से उन्हें 2814 मतों से पराजय का मुंह देखना पड़ा। लेकिन उनका राजनैतिक प्लैटफार्म काफी मजबूत बन गया। बाद में साइिकल को धक्का देनेवाले कड़िया मुंडा को खूंटी से आठ बार सांसद, केंद्रीय मंत्री एवं लोकसभा उपाध्यक्ष बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।