Lok Sabha Elections 2019: शिवसेना के दबाव में किरीट सोमैया की बलि, मनोज कोटक को टिकट
Shiv Sena. माना जा रहा है कि शिवसेना की किरीट से नाराजगी के कारण भाजपा को उनका टिकट काटना पड़ा है। मनोज का मुकाबला राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के संजय से होना है।
राज्य ब्यूरो, मुंबई। भाजपा ने उत्तर-पूर्व मुंबई के अपने सांसद किरीट सोमैया का टिकट काट दिया है। उनके स्थान पर मुंबई महानगरपालिका के सभासद मनोज कोटक को उम्मीदवारी दी गई है। माना जा रहा है कि शिवसेना की किरीट से नाराजगी के कारण भाजपा को उनका टिकट काटना पड़ा है। मनोज कोटक का मुकाबला राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के संजय पाटिल से होना है।
पिछले साढ़े चार वर्षों से शिवसेना-भाजपा के बीच चली आ रही कड़ुवाहट के दौरान शिवसेना द्वारा बार-बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस पर हमले किए जाते रहे। मुंबई महानगरपालिका चुनावों के दौरान दोनों दलों के बीच खटास अपने चरम पर पहुंच गई थी। उस दौरान किरीट सोमैया ने भाजपा की तरफ से मोर्चा संभालते हुए कहा था कि मुलायम सिंह, मायावती और उद्धव ठाकरे जैसे नेताओं को स्पष्ट करना चाहिए कि वे जनता की समस्याओं के प्रति चिंतित हैं या धन की पेटियों के प्रति। किरीट द्वारा दिए गए इन बयानों को शिवसेना ने उद्धव ठाकरे पर व्यक्तिगत प्रहार मान लिया था। पिछले फरवरी माह में शिवसेना भाजपा के बीच संबंध सामान्य होने के बावजूद उत्तर-पूर्व मुंबई के शिवसेना कार्यकर्ता किरीट के लिए काम करन को तैयार नहीं हुए। यहां तक कि उद्धव ठाकरे ने किरीट के मुलाकात के प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया था।
किरीट सोमैया पिछला लोकसभा चुनाव तीन लाख से ज्यादा मतों से जीते थे। क्षेत्र में उनकी सक्रियता में भी कोई कमी नहीं थी। खासतौर से पिछले दो दशक में मुंबई में हुए आतंकी हमलों के पीड़ितों को मदद दिलवाने में किरीट सोमैया ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके बावजूद उनका टिकट कटने के पीछे शिवसेना के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की उनसे नाखुशी भी एक कारण मानी जा रही है। पार्टी ने किरीट के स्थान पर उत्तर-पूर्व मुंबई से किरीट के ही सहयोगी रहे गुजराती भाषाभाषी मनोज कोटक को टिकट देकर गुजराती समाज को संतुष्ट रखने की कोशिश की है। बता दें कि मुंबई में गुजराती मतदाताओं की संख्या करीब 23 फीसद हैं। इनमें से 13 फीसद उत्तर-पूर्व मुंबई में ही हैं। मनोज कोटक लोहाना समुदाय के गुजराती हैं। इस समुदाय की संख्या भी क्षेत्र में अधिक है। 1996 के बाद से उत्तर-पूर्व मुंबई से कोई पार्टी या प्रत्याशी दो बार लगातार नहीं जीती है। प्रत्याशी का चेहरा बदलकर पार्टी क्षेत्र का यह रिकॉर्ड भी तोड़ना चाहती है।