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Lok Sabha Election 2019: हिमाचल की इस संसदीय क्षेत्र में 2017 में हुई थी कांटे की टक्कर

Lok Sabha Election 2019 हिमाचल की शिमला संसदीय क्षेत्र में 17 विधानसभा क्षेत्रों में इस बार भाजपा व कांग्रेस के पास आठ-आठ विधायक हैं।

By BabitaEdited By: Published: Wed, 27 Mar 2019 02:50 PM (IST)Updated: Wed, 27 Mar 2019 02:50 PM (IST)
Lok Sabha Election 2019: हिमाचल की इस संसदीय क्षेत्र में 2017 में हुई थी कांटे की टक्कर
Lok Sabha Election 2019: हिमाचल की इस संसदीय क्षेत्र में 2017 में हुई थी कांटे की टक्कर

नाहन, राजन पुंडीर। शिमला संसदीय क्षेत्र में इस बार भाजपा और कांग्रेस में कांटे की टक्कर होने की संभावना है। जहां वर्तमान विधायकों के लिए अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में लीड दिलाने की जिम्मेदारी पार्टियों ने सौंप दी है।

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वहीं, शिमला संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाले 17 विधानसभा क्षेत्रों में से इस बार भाजपा व कांग्रेस के पास आठ-आठ विधायक हैं, जबकि एक विधायक सीपीआइ (एम) के राकेश सिंघा है,  जिन्होंने कांग्रेस को समर्थन दिया हुआ है। यदि शिमला संसदीय क्षेत्र की सभी 17 सीटों पर वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में वोटों का आकलन किया जाए, तो कोई बड़ा अंतर नहीं है। गत विधानसभा चुनावों में शिमला संसदीय क्षेत्र की 17 विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस को 4,0,4080 वोट मिले हैं, जबकि भाजपा को 4,21,303 मत मिले हैं। यानी भाजपा की 17 विधानसभा क्षेत्रों में मात्र 17,223 मतों की लीड है। वहीं, जीती हुई आठ-आठ विधानसभा क्षेत्रों का आकलन करें, तो जिन सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। उन आठ सीटों में कांग्रेस को 2,17,240 वोट मिले हैं।

भाजपा को आठ विधानसभा क्षेत्रों में 2,22,189 मत मिले। यानी आठ विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा की जीत का अंतर मात्र 4949 मतों का है। भले ही कुछ विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा ने गत चुनावों में भारी लीड ली है। इनमें पांवटा निर्वाचन क्षेत्र में सबसे अधिक भाजपा को 12,619 मतों से कांग्रेस के प्रत्याशी को शिकस्त दी थी। वहीं, 17 विधानसभा क्षेत्रों में यदि कांग्रेस की लीड की बात करें तो रोहड़ू निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस को सबसे अधिक

9408 वोटों की लीड मिली थी।

शिमला संसदीय क्षेत्र के विधानसभा क्षेत्रों में सबसे कम अंतर की जीत आरक्षित कसौली विधानसभा क्षेत्र से भाजपा को मात्र 442 मत की बढ़त मिली थी। अब देखना होगा कि क्या लोकसभा चुनाव में कांग्रेस व भाजपा के विधायक अपनी-अपनी बढ़त बनाए रखते हैं या नहीं?


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