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लोकसभा चुनाव 2019 : चुनाव में चुनौती हैं भारत-नेपाल सीमा की पगडंडियां

भारत-नेपाल की खुली सीमा मतदान के लिए काफी संवदेनशील है। पगडंडी पर तो सुरक्षा करना ही पड़ेगा। इसके लिए व्यवस्था की जा रही है।

By Edited By: Published: Thu, 21 Mar 2019 02:29 PM (IST)Updated: Thu, 28 Mar 2019 02:20 PM (IST)
लोकसभा चुनाव 2019 : चुनाव में चुनौती हैं भारत-नेपाल सीमा की पगडंडियां
लोकसभा चुनाव 2019 : चुनाव में चुनौती हैं भारत-नेपाल सीमा की पगडंडियां
गोरखपुर, जेएनएन। नेपाल की खुली सीमा देश की सुरक्षा के लिहाज से हमेशा बड़ी चुनौती साबित होती रही है। चुनाव के समय यह चुनौती और भी बढ़ जाती है। इस बात की आशंका हर समय बनी रहती है कि देश विरोधी तत्व चुनाव प्रक्रिया में व्यवधान डालने के लिए खुली सीमा का दुरपयोग कर सकते हैं।
इसीलिए पुलिस ने इस बार लोकसभा चुनाव से पहले कुछ पगडंडी रास्तों पर बैरियर लगाकर अनाधिकृत आवाजाही को रोकने की योजना तो तैयार की है, लेकिन तमाम ऐसे भी रास्ते हैं, जिनका इस्तेमाल दोनों देशों के सीमावर्ती गांवों के लोग रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने के लिए सामान्य ढंग से करते हैं। लोकसभा चुनाव को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने में यही पगडंडियां कठिन चुनौती साबित होंगी। दोनों देशों के बीच आने-जाने के लिए चार अधिकृत रास्ते हैं।
सिद्धार्थनगर जिले में खनुआ और बढ़नी बार्डर तथा महराजगंज जिले में सोनौली और ठूठीबारी से होकर एक देश से दूसरे देश में आया-जाया जा सकता है। कड़ी जांच-पड़ताल और कई कागजी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद ही इन चारों रास्तों से सीमा पार करने की अनुमति मिलती है। इसके अलावा सिद्धार्थनगर में अलीगढ़वा और महराजगंज में झुलनीपुर बार्डर से भी आवाजाही होती है लेकिन यहां से पैदल चलकर ही सीमा पार किया जा सकता है। वाहन के साथ सीमा पार करने अनुमति नहीं है। सीमावर्ती गांवों के लोगों ने बना रखे हैं पगडंडी रास्ते भारत और नेपाल की सीमा पर बसे गांवों के लोगों की रोजमर्रा की कई ऐसी जरूरतें हैं, जिनको पूरी करने के लिए पड़ोसी देश पर निर्भर रहना पड़ता है। इसके लिए रोज कई बार उन्हें एक देश से दूसरे देश में आना-जाना पड़ता है।
इसीलिए उन्होंने आवाजाही के लिए गांवों के आसपास कई पगडंडी रास्ते बना लिए हैं। सुरक्षा एजेंसियां, इन रास्तों से होकर आने-जाने वालों पर नजर रखने की फिलहाल कोई ठोस व्यवस्था नहीं बना पाई हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने चिह्नित कराए थे पगडंडी रास्ते सुरक्षा एजेंसियों ने करीब एक दशक पहले स्वयंसेवी संगठनों की मदद से सिद्धार्थनगर और महराजगंज जिले की नेपाल से लगने वाली सीमा पर आवाजाही के लिए आमतौर से इस्तेमाल होने वाले पगडंडी रास्तों को चिह्नित कराया था। उस समय 122 किलोमीटर लंबी सीमा पर 174 पगडंडी रास्ते चिह्नित किए गए थे।
दोनों तरफ के गांवों, खेतों और जंगलों के बीच से होकर गुजरने वाले ये ऐसे रास्ते हैं, जिन पर हर समय सुरक्षाकर्मियों को रखना या उन पर नजर रखना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है। कई पगडंडी रास्ते ऐसे हैं जहां सुरक्षाकर्मी तो तैनात रहते हैं लेकिन रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने के लिए सीमावर्ती गांवों और कस्बों के लोगों की दूसरे देश के गांवो और कस्बों पर निर्भरता को देखते हुए वे भी उनकी आवाजाही को नजरअंदाज करते हैं। चुनाव में बैरियर तो लगेंगे मगर नाकाफी है संख्या लोकसभा चुनाव के समय पुलिस ने सिद्धार्थनगर और महराजगंज जिले की सीमा पर पगडंडी रास्तों से आवाजाही रोकने के लिए 58 स्थानों पर बैरियर लगाने का फैसला किया है। हालांकि दोनों जिलों से नेपाल जाने के लिए चिह्नित किए गए पगडंडी रास्तों की संख्या की तुलना में बैरियर लगाने के लिए चिह्नित स्थानों की संख्या आधे से भी कम है।
ये हैं विशेषताएं
54 किलोमीटर महराजगंज जिले की सीमा लगती है नेपाल से। 104 पगडंडी रास्ते हैं महराजगंज व नेपाल के बीच। 68 किलोमीटर सीमा नेपाल से लगती है सिद्धार्थनगर जिले की। 70 पगडंडी रास्तों हैं सिद्धार्थनगर और नेपाल के बीच। नेपाल सीमा पर यहां लगेंगे बैरियर निचलौल में पथलहवा, झुलनीपुर, गेड़हवा, रेगहिया, मटरा धमउर, शीतलापुर, नहर पुलिया पर बैरियर लगेंगे। जबकि सौनौली में भगवानपुर, डंडाहेड, हरदीडाली, खनुवां, सौनौली, श्यामकाट और परसामलिक में सेवतरी, झिंगटी, मर्यादपुर में लगाए जाएंगे। इसी तरह बरगदवा में अशोगवा, बरगदवा, चकरार और नौतनवां में मोहाना, चंडीथान, बैरिहवा में बैरियर लगाए जाएंगे। वहीं ठूठीबारी में थाना गेट, लक्ष्मीपुर, मरचहवा और कोल्हुई में खैराघाट, जिगिनिहा, राजमंदिर में बैरियर लगाए जाएंगे।
हर समय रखी जा रही नजर एडीजी जोन दावा शेरपा का कहना है कि नेपाल की खुली सीमा पर सुरक्षा के लिहाज से हर समय नजर रखी जाती है। लोकसभा चुनाव को देखते हुए सुरक्षा को और चाकचौबंद किया जा रहा है। आवाजाही रोकने के लिए कई स्थानों पर बैरियर लगाने की तैयारी चल रही है। सीमा पार से देश में आने वालों पर नजर रखने के लिए पुलिस को खासतौर से निर्देश दिए गए हैं।

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