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Lok Sabha Election 2019: युवा नेता हार्दिक पटेल के सामने वजूद की चुनौती

Lok Sabha Election 2019 युवा नेता हार्दिक पटेल ने कांग्रेस का दामन जरूर थामा लेकिन अब जमीन पर न तो रुतबा है न चर्चा।

By BabitaEdited By: Published: Fri, 19 Apr 2019 10:45 AM (IST)Updated: Fri, 19 Apr 2019 10:45 AM (IST)
Lok Sabha Election 2019: युवा नेता हार्दिक पटेल के सामने वजूद की चुनौती
Lok Sabha Election 2019: युवा नेता हार्दिक पटेल के सामने वजूद की चुनौती

जामनगर, नीलू रंजन। डेढ़ साल पहले गुजरात विधानसभा चुनाव में बड़ी चुनौती बनकर सामने आए युवा नेता हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवाणी की राजनीतिक तिकड़ी का अब निशां नहीं रहा है। जिग्नेश मेवाणी जहां गुजरात में चुनाव प्रचार से दूर हैं, वहीं अल्पेश ठाकोर कांग्रेस से इस्तीफा देकर चुनावी प्रचार से दूर हो गए हैं।

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अकेले बचे हार्दिक पटेल ने कांग्रेस का दामन जरूर थामा है, लेकिन अब जमीन पर न तो रुतबा है न चर्चा। कानूनी पेंच के कारण चुनाव लड़ने से वंचित रहने वाले हार्दिक पटेल अब सौराष्ट्र के पटेल बहुल इलाके में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली बढ़त को बचाने की कोशिश में जुटे हैं।

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विधानसभा चुनाव के पहले पटेल आरक्षण के मुद्दे पर हार्दिक ने ओबीसी, अल्पेश ने शराबबंदी और जिग्नेश ने दलित उत्पीड़न के मुद्दे पर भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोला था। चुनाव के दौरान कांग्रेस ने इन तीनों का जमकर इस्तेमाल किया। भाजपा किसी तरह अपनी सरकार बचाने में सफल रही। लेकिन डेढ़ साल बाद हालत यह है कि जिग्नेश मेवाणी ने गुजरात की चुनावी सरगर्मी से खुद को दूर कर लिया है और यहां की बजाय बिहार के बेगूसराय में कन्हैया कुमार के चुनाव प्रचार में दिख रहे हैं। जिग्नेश कांग्रेस के समर्थन के बल पर निर्दलीय जीते थे। जाहिर है उनकी अनुपस्थिति में दलित वोटों को विधानसभा चुनाव की तर्ज पर अपने पक्ष में करना कांग्रेस के लिए मुश्किल होगा। वहीं कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतने वाले अल्पेश

ठाकोर ने भी पार्टी से खुद को अलग कर लिया है। अभी तक अल्पेश भाजपा में शामिल नहीं हुए हैं, लेकिन यहां हर जगह चर्चा है कि वह लोकसभा चुनाव में परोक्ष रूप से भाजपा उम्मीदवारों की मदद में जुटे

हैं। युवा नेताओं की तिकड़ी में अकेले बचे हार्दिक ने एक माह पहले औपचारिक रूप से कांग्रेस का दामन थाम लिया। 2015 में 21 साल के हार्दिक को आरक्षण के मुद्दे पर पटेल समुदाय का भरपूर समर्थन मिला था।

हार्दिक के बलबूते पर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस भाजपा के परंपरागत पटेल वोटों को काफी हद तक तोड़ने में सफल रही। खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में पटेल वोटरों की भाजपा से दूरी साफ दिखी। परिणाम हुआ कि भाजपा को कई परंपरागत सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। विधानसभा चुनाव के परिणाम के आधार पर अनुमान लगाया जाने लगा था कि लोकसभा चुनाव में सौराष्ट्र की सात में तीन सीटें कांग्रेस जीत सकती है।

जूनागढ़ लोकसभा के तहत आने वाली सात विस सीटों में से सभी पर कांग्रेस विजयी रही थी, अमरेली में सात में से पांच व जामनगर में सात में से चार पर कांग्रेस को जीत मिली थी। अल्पेश, हार्दिक और जिग्नेश की तिकड़ी के बिखर जाने के बाद विस चुनाव की तुलना में स्थिति बदल गई है। सवर्ण गरीबों को 10 फीसद आरक्षण का प्रावधान होने के बाद पटेल आरक्षण का मुद्दा खत्म हो गया है। 

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