EC ने योगी आदित्यनाथ पर 72 घंटे और मायावती पर 48 घंटे का प्रतिबंध लगाया, नहीं करेंगे प्रचार
चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर 72 घंटे और बसपा सुप्रीमो मायावती पर 48 घंटे के लिए प्रतिबंध लगा दिया है।
नई दिल्ली, एजेंसी। Lok Sabha Election-2019 में आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने वाली बयानबाजियों के खिलाफ चुनाव आयोग ने कड़ा रुख अपनाया है। चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर 72 घंटे और बसपा सुप्रीमो मायावती पर 48 घंटे के लिए प्रतिबंध लगा दिया है। इस तरह से यह दोनों बड़े नेता अपने दल के लिए प्रतिबंध के दौरान चुनाव प्रचार नहीं कर पाएंगे।
दूसरी ओर, इन्हीं बयानबाजियों को लेकर दाखिल एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा कि आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने वाले इन बयानों के मद्देनजर उसने अब तक क्या कार्रवाई की है। चुनाव आयोग के इस जवाब पर कि आचार संहिता के उल्लंघन पर नेताओं और दलों के खिलाफ कार्रवाई के लिए उसकी शक्तियां सीमित सीमित हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह कार्रवाई करने की बाबत निर्वाचन आयोग के अधिकारों का परीक्षण करेगा।
दरअसल, पिछले दिनों देवबंद में सपा-बसपा-रालोद गठबंधन की एक रैली में मायावती ने कहा था कि मुस्लिम मतदाताओं को भावनाओं में बहकर अपने मतों को बंटने नहीं देना है। वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने 'बजरंग बली और अली' का जिक्र कर मायावती पर निशाना साधा था। इन्हीं बयानबाजियों को आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। इन बयानों की काफी आलोचना भी हुई थी।
ये भी पढ़ें- Loksabha Election 2019 : मायावती, अजित, हुड्डा, सिंधिया आज अलीगढ़ और जयंत आज हाथरस में
सर्वोच्च अदालत ने सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग से पूछा कि मायावती के धार्मिक आधार पर वोट मांगने वाले बयान पर आपकी ओर से क्या कार्रवाई की गई। चुनाव आयोग के वकील ने अदालत को बताया कि इस मामले में पहले ही बसपा सुप्रीमो से जवाब मांगा गया है। मायावती को 12 अप्रैल तक जवाब देना था लेकिन चुनाव आयोग को अभी उनका जवाब नहीं मिला है।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने चुनाव आयोग से पूछा कि बताइये अब आप क्या करने वाले हैं। निर्वाचन आयोग की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि सांविधानिक निकाय ऐसे मामलों में नोटिस और उसके बाद एडवाइजरी जारी कर सकता है। इसके बाद भी यदि कोई नेता ऐसी बयानबाजी जारी रखता है तो उसके खिलाफ कानून के उल्लंघन को लेकर शिकायत दर्ज करा सकता है। उसके पास किसी नेता को अयोग्य ठहराने की शक्ति नहीं है।
सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग की ओर से पेश हुए वकील ने शीर्ष अदालत से कहा कि वह हेट स्पीच और सांप्रदायिक बयानबाजियों के खिलाफ कार्रवाई करने के मामले में 'शक्तिहीन' और 'दंतहीन' है। इसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि वह निर्वाचन आयोग की शक्तियों का परीक्षण करेगा क्योंकि चुनाव आयोग भी एक सांविधानिक निकाय है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वह मंगलवार को अदालत में मौजूद रहें। अब इस मामले मंगलवार को साढ़े 10 बजे सुनवाई होगी।