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LokSabha Election 2019: वासेपुर का दर्द-ए-बयांः तुमने चाहा ही नहीं, वरना हालात बदल सकते थे...

अल्पसंख्यकों की बड़ी आबादी वाले वासेपुर में आज भी स्वास्थ्य केंद्र सपना ही है। सर्दी-खांसी होने पर भी यहां के लोग पीएमसीएच या निजी अस्पतालों के भरोसे ही हैं।

By mritunjayEdited By: Published: Wed, 27 Mar 2019 07:42 AM (IST)Updated: Wed, 27 Mar 2019 07:42 AM (IST)
LokSabha Election 2019: वासेपुर का दर्द-ए-बयांः  तुमने चाहा ही नहीं, वरना हालात बदल सकते थे...
LokSabha Election 2019: वासेपुर का दर्द-ए-बयांः तुमने चाहा ही नहीं, वरना हालात बदल सकते थे...

वासेपुर, मो. शाहिद। रुपहले पर्दे पर जिस वासेपुर की तस्वीर लगभग पूरी दुनिया ने देखी उसकी हकीकत बिल्कुल जुदा है। शहर का सबसे बड़ा मुस्लिम बहुल इलाका सियासतदानों की घोषणा के हकीकत में बदलने का इंतजार कर रहा है। यहां की अवाम आज भी इस इलाके की तस्वीर बदलने का ख्वाब देख रही है। चुनावी मौसम में उनसे कई वायदे किए गए हैं। पर सच्चाई यही है कि चुनाव के बाद कोई उनकी ओर मुड़ कर भी नहीं देखता। यह हम नहीं वासेपुर की अवाम कह रही है। चुनावी दस्तक के बीच दैनिक जागरण ने उनकी नब्ज टटोली तो उनका दर्द छलक उठा।

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लोगों के बोल 

पांच साल गुजर गए। इस दरम्यान कोई बदलाव नहीं दिखा। अगर राज्य की बात करें तो झारखंड समृद्ध राज्य होने के बावजूद झारखंड पिछड़ा बन कर रह गया। मेरी गुजारिश है कि अगर कोई दोषी है उसे कानून के तहत मुकम्मल सजा मिलनी चाहिए, पर ऐसी घटनाओं पर रोक इंसानियत के लिए जरूरी है। 

-अबू तारिक, कमर मख्दुमी रोड

पानी, बिजली और सड़क जैसी जरुरतें आज भी इस क्षेत्र में वैसी ही हैं जैसी पांच साल पहले थी। बदलाव जैसी कोई तस्वीर नहीं दिख रही है। अब जो भी आएं उनसे यही गुजारिश है कि इस मुस्लिम बहुल इलाके की तस्वीर बदलें।

-मो. हाजो कुरैशी, कमर मख्दुमी रोड

अल्पसंख्यकों की बड़ी आबादी वाले वासेपुर में आज भी स्वास्थ्य केंद्र सपना ही है। सर्दी-खांसी होने पर भी यहां के लोग पीएमसीएच या निजी अस्पतालों के भरोसे ही हैं। पीएमसीएच में भी जरूरी दवाएं नहीं मिलती हैं। 

-मो. अय्यूब खान, करीमगंज

स्वास्थ्य केंद्र और बिजली सड़क की मौजूदा स्थिति को क्या बयां करें। हालात तो यह हैं कि जाड़े में भी इस घनी आबादी वाले इलाके को पानी नहीं मिल पाता है। शिकायत होती तो है पर उसकी सुनवाई महीनों नहीं होती।

-सैयद जावेद आलम, नूरी रोड

जनप्रतिनिधियों की दोहरी नीति इस इलाके के प्रति साफ झलकती है। चुनावी वादे तो होते हैं पर पांच साल में उन वादों में से एक भी पूरा नहीं होता। रुपहले पर्दे पर भले ही अपनी पहचान बना चुका है पर वासेपुर आज भी मूलभूत सुविधाओं से महरूम है।

-मो. मुस्तफा अंसारी, करीमगंज 

आरा मोड़ पर फ्लाई ओवर बनने के बाद से ही रेलवे लाइन के ऊपर फुट ओवरब्रिज निर्माण की घोषणाएं होती रही। यह वह जगह है जहां से जनाजा गुजरता है और टे्रन भी सरपट दौड़ती है। घोषणा हकीकत बन गई तो यहां होनेवाले हादसों को टाला जा सकता है वरना खुदा ही मालिक है।  

-मो. आरिफ इकबाल, मिल्लत कॉलोनी


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