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LokSabha Election 2019: चुनाव ड्यूटी का आदेश निकला तो हो गए दिल के रोगी

चुनाव ड्यूटी से बचने के लिए निर्वाचन कार्यालय में 150 सरकारी सेवकों के आवेदन आ चुके हैं। कुछ लोगों ने खुद को गंभीर रोगों से पीडि़त बताया। इन सबको मेडिकल बोर्ड के सामने बुलाया गया।

By mritunjayEdited By: Published: Sat, 30 Mar 2019 09:13 AM (IST)Updated: Sat, 30 Mar 2019 09:13 AM (IST)
LokSabha Election 2019: चुनाव ड्यूटी का आदेश निकला तो हो गए दिल के रोगी
LokSabha Election 2019: चुनाव ड्यूटी का आदेश निकला तो हो गए दिल के रोगी

धनबाद, जेएनएन। दिनेश कुमार। धनबाद जिला में धनबाद लोकसभा क्षेत्र का बड़ा हिस्सा आता है तो गिरिडीह का भी। यहां कई हिस्सों में माओवाद है, तो गुंडाराज भी। जिला निर्वाचन कार्यालय से चुनाव ड्यूटी के लिए सरकारी सेवकों की सूची तैयार की जा रही है। कुछ सरकारी सेवक डरे हुए हैं कि उनकी ड्यूटी माओवाद अथवा माफिया के इलाके में लगा दी गई तो बड़ी मुश्किल होगी। चुनाव ड्यूटी का आदेश निकलने लगा है तो कई सरकारी सेवक अचानक दिल के रोगी हो गए हैं, किसी को माता पिता की इतनी चिंता सताने लगी हैं कि दो दिन के लिए भी घर से दूर नहीं होना चाहते।

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चुनाव ड्यूटी से बचने के लिए जिला निर्वाचन कार्यालय में 150 सरकारी सेवकों के आवेदन आ चुके हैं। कुछ लोगों ने खुद को गंभीर रोगों से पीडि़त बताया। ऐसे दस लोगों को मेडिकल बोर्ड के सामने हाजिर होने का आदेश दिया गया। सिर्फ छह हाजिर हुए। जिला निर्वाचन कार्यालय में चुनाव ड्यूटी से विमुक्त करने के लिए जो आवेदन आए हैं, उनमें बहुत सोच समझ कर कारण बताए गए हैं। किसी को हृदय रोग हैं तो किसी को और भी गंभीर बीमारी। कुछ लोगों के रिश्तेदार के यहां शादी है। कोई बीमार माता पिता की देखभाल करना चाहता है। आयोग ने अधिकतर आवेदनों को अव्यवहारिक मानते हुए खारिज कर दिया है। दस सरकारी सेवकों के आवेदन पर गौर करते हुए उनके स्वास्थ्य की जांच मेडिकल बोर्ड से कराने का फैसला लिया। शुक्रवार को सिविल सर्जन की अध्यक्षता में डाक्टरों के दल ने जांच शुरू की तो चार आवेदन नहीं आए। जो लोग आए, उनके बारे में मेडिकल बोर्ड का आकलन है कि वे कंट्रोल रूम जैसी जगह पर ड्यूटी करने के लायक हैं। 

पैदल आए, आवेदन में कहा कि चल नहीं सकतेः मेडिकल बोर्ड के समक्ष एक सरकारी सेवक पैदल आया। उसने इस आधार पर खुद को चुनाव ड्यूटी से अलग करने का अनुरोध किया कि वह पैदल नहीं चल सकता। 

मानसिक बीमारी से पीडि़त को भेजा पीएमसीएचः बोर्ड में मनोरोग विशेषज्ञ नहीं थे। एक सरकारी सेवक ने खुद को मानसिक रोगी बताया। मेडिकल बोर्ड ने जांच के लिए उन्हें पीएमसीएच भेज दिया। पीएमसीएच में मनोरोग विशेषज्ञ से उनकी जांच होगी। 


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