Move to Jagran APP

25 हजार मतदाताओं के सामने बर्फ का पहाड़, भूस्खलन से बंद सड़कें भी चुनौती

तराई से ताल बुग्याल और हिमालय से हिमाचल प्रदेश की सीमा तक फैले टिहरी गढ़वाल संसदीय सीट पर घोर प्रतिकूल मौसम की चुनौतियां खड़ी हैं।

By BhanuEdited By: Published: Tue, 19 Mar 2019 03:36 PM (IST)Updated: Tue, 19 Mar 2019 03:36 PM (IST)
25 हजार मतदाताओं के सामने बर्फ का पहाड़, भूस्खलन से बंद सड़कें भी चुनौती
25 हजार मतदाताओं के सामने बर्फ का पहाड़, भूस्खलन से बंद सड़कें भी चुनौती

नई टिहरी, राधेकृष्ण उनियाल। तराई से ताल बुग्याल और हिमालय से हिमाचल प्रदेश की सीमा तक फैले टिहरी गढ़वाल संसदीय सीट पर घोर प्रतिकूल मौसम की चुनौतियां खड़ी हैं। बारिश के कारण मार्गों के बंद होने के साथ ही बर्फबारी भी यहां पोलिंग पार्टियों के लिए एक बड़ी समस्या बन सकती है। यह चुनौती उन 25 हजार मतदाताओं के सामने भी है, जिन्हें पोलिंग बूथ तक पहुंचने के लिए मीलों का फासला बर्फीले रास्तों से होकर तय करना पड़ेगा। ऐसे में बर्फबारी प्रभावित इलाकों में मतदान कराना प्रशासन के लिए टेढ़ी खीर साबित हो सकता है। टिहरी संसदीय क्षेत्र में बर्फबारी से प्रभावित गांवों की संख्या 140 से अधिक है, जहां 25 हजार के आसपास मतदाता हैं। इनमें अधिकांश गांव आज भी सड़क से नहीं जुड़ पाए हैं। 15 गांवों तक पहुंचने के लिए तो 10 से 18 किमी तक की दूरी बर्फ में चलकर नापनी होगी।

loksabha election banner

टिहरी गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र में तीन जिलों के 14 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। इनमें छह विधानसभा क्षेत्र मैदानी हैं, जबकि आठ पर्वतीय क्षेत्र में। पर्वतीय विस क्षेत्रों में गंगोत्री, यमुनोत्री, पुरोला, चकराता और घनसाली विस के 93 पोलिंग बूथ इन दिनों बर्फ से ढके हैं। 

इन बूथों से जुड़े गांवों की संख्या 140 से अधिक है। सबसे अधिक 45 गांव पुरोला, 22 गांव यमुनोत्री और 24 गांव गंगोत्री विस क्षेत्र में हैं। तीनों विस क्षेत्र उत्तरकाशी जिले में पड़ते हैं। वहीं, देहरादून जिले के जनजातीय चकराता विस क्षेत्र में करीब 45 गांव और टिहरी जिले के घनसाली विस क्षेत्र पांच गांव हिमाच्छादित हैं। 

इस बार हुए जबर्दस्त हिमपात के कारण इन क्षेत्रों में अप्रैल के प्रथम सप्ताह तक बर्फ की चादर बिछी रहने के आसार हैं। मौसम विभाग भी बता चुका है कि आठ अप्रैल तक यहां बर्फबारी के अनुकूल तापमान बना रह सकता है। 

अगर मतदान के आसपास मौसम का मिजाज बिगड़ा तो चुनौतियों का पहाड़ मतदाता और पोलिंग पार्टियों, दोनों के सामने खड़ा हो जाएगा। ऐसे में पोलिंग पार्टियों के साथ ही मतदाताओं को मतदान केंद्रों तक पहुंचाना एक गंभीर चुनौती होगी।

लिवाड़ी गांव के प्रमोद सिंह रावत बताते हैं कि माइसारी व सुराला दो ऐसे गांव हैं, जिनका मतदान केंद्र लिवाड़ी में है। इन गांवों के मतदाताओं को तीन से चार किमी पैदल आना पड़ता है। जाहिर है अधिक बर्फबारी होने पर इनकी राह भी अवरुद्ध होगी। 

विदित हो कि वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव के दौरान पुरोला क्षेत्र के हिमाच्छादित दो पोलिंग बूथ पर दो मतदान कर्मियों की मौत हो गई थी। इसके साथ ही पोलिंग पार्टियों को भी बर्फबारी वाले इलाकों में खासी परेशानी झेलनी पड़ी थी।

हिमाच्छादित पोलिंग बूथ

विधानसभा क्षेत्र-------------कुल बूथ

गंगोत्री--------------------------14

यमुनोत्री------------------------13

पुरोला---------------------------32

चकराता-------------------------30

घनसाली------------------------04

उठाए जा रहे हैं जरूरी कदम 

जिला निर्वाचन अधिकारी उत्तरकाशी डॉ. आशीष चौहान के अनुसार टिहरी संसदीय क्षेत्र के सर्वाधिक ऊंचाई वाले बूथ उत्तरकाशी में हैं। मतदान से पहले रास्तों को खुलवाने के लिए अलग-अलग टीमों को निर्देश जारी हो चुके हैं, जिन्हें अलर्ट पर रखा गया है। इन क्षेत्रों में जाने वाली पोलिंग पार्टियों को सेटेलाइट फोन दिए जाएंगे। कैसे इन क्षेत्रों में शत-प्रतिशत मतदान सुनिश्चित हो, इसके लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे।

यह भी पढ़ें: वोटों की फसल ने बिगाड़ी अन्नदाता की सेहत, किसानों की समस्याएं बरकरार

यह भी पढ़ें: हरिद्वारी मार्ग-रवासन पर पुल की बांट जोह रही तीस हजार की आबादी

यह भी पढ़ें: सिस्टम ने कराया एक दशक का लंबा इंतजार, फिर भी धरातल पर नहीं उतरा पुल


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.