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Lok Sabha Elections 2019: गुजरात में जामनगर की जंग नहीं होगी आसान, पूनम के सामने हार्दिक की दावेदारी

Jamnagar seat. गुजरात की जामनगर सीट पर पाटीदार नेता हार्दिक पटेल किस्मत आजमाएंगे वहीं भाजपा ने वर्तमान सांसद पूनम माडम को मैदान में उतारा है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Wed, 27 Mar 2019 02:43 PM (IST)Updated: Wed, 27 Mar 2019 02:43 PM (IST)
Lok Sabha Elections 2019: गुजरात में जामनगर की जंग नहीं होगी आसान, पूनम के सामने हार्दिक की दावेदारी
Lok Sabha Elections 2019: गुजरात में जामनगर की जंग नहीं होगी आसान, पूनम के सामने हार्दिक की दावेदारी

अहमदाबाद, शत्रुघ्न शर्मा। द्वारकाधीश की नगरी जामनगर सीट हाईप्रोफाइल होने के साथ ही सबसे महत्वपूर्ण इसलिए भी है कि यहां भारत की सबसे बड़ी रिलायंस, एस्सार की तेल रिफाइनरी स्थित है। देश के करीब ढाई लाख कर्मचारी यहां कार्यरत हैं, इसलिए मिनी भारत कहा जाए तो अतिश्याक्ति नहीं होगी। सब ठीक ठाक रहा तो पाटीदार नेता हार्दिक पटेल यहां से किस्मत आजमाएंगे वहीं भाजपा ने वर्तमान सांसद पूनम माडम को मैदान में उतारा है। पूर्वी सीएम चिमनभाई पटेल की पत्नी उर्मिला बेन यहां से चुनाव लड़कर हार का सामना कर चुकी हैं।

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जामनगर सीट पर क्रिकेटर रवींद्र जाडेजा की पत्नी रिवाबा जाडेजा की भी नजर टिकी थी। श्री राजपूत करणी सेना की महिला विंग की गुजरात की कमान संभालने के साथ ही रिवाबा ने आनन फानन में भाजपा की सदस्यता भी ग्रहण कर ली थी। वर्तमान सांसद पूनम माडम ने अपने प्रभाव व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विश्वस्त होने के चलते अपनी सीट बचा ली, लेकिन चुनावी मुकाबला इतना आसान नजर नहीं आ रहा है।

कांग्रेस ने पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति के संयोजक व किसानों की कर्ज माफी के मुद्दे पर आंदोलन कर रहे हार्दिक पटेल को जामनगर शहर की सीट से चुनावी रण में उतारने का मन बना लिया है। लेकिन कोर्ट से हार्दिक को दो साल की सजा के चलते कानूनन चुनाव लडने के अयोग्य होने के चलते पार्टी आखिर तक हाईकोर्ट के फैसले का इंतजार करेगी। निचली अदालत की ओर से सुनाई गई सजा पर रोक के साथ हार्दिक को जमानत तो पहले ही मिल चुकी है लेकिन अब हार्दिक सजा को स्थगित कराने को हाईकोर्ट की शरण में है, ताकि वह चुनाव लड सके। गुजरात सरकार इस मामले को लगातार टालने का प्रयास कर रही है ताकि हार्दिक को कानुनन ही चुनाव लडने से रोका जा सके इसलिए सरकारी वकील अब तक की सुनवाई में हार बार बहाने कर तारीख पर तारीख लिए जा रहे हैं। 

जामनगर लोकसभा में पाटीदार, आहीर मुस्लिम सतवारा ओर राजपूत समाज अधिक प्रभावशाली हैं, पूर्व सीएम चिमन भाई की पत्नी उर्मिला बेन पटेल जनता दल के टिकट पर यहां से चुनाव लड की हैं लेकिन भाजपा के चंद्रेश पटेल के आगे जीत हासिल नहीं कर सकी। वर्ष 1989 से 1999 तक चंद्रेश यहां से पांच बार सांसद रहे। जामनगर राजपरिवार के सदस्य दौलत सिंह जाडेजा यहां से जीत दर्ज नहीं कर सके। विधायक विक्रम माडम ने 2004 व 2009 में यहां से कांग्रेस को जीत दिलाई। 2014 में मोदी वेव में वे अपनी ही भतीजी पूनम माडम से पौने दो लाख मतों से हार गए थे। कांग्रेस हार्दिक या विक्रम माडम पर दांव खेलना चाहती है लेकिन हार्दिक जहां कानूनी झमेले में फंसे हैं वहीं विक्रम माडम पहले ही लोकसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर चुके हैं। माडम कहते हैं कि सवा सौ किलोमीटर में फैला ये संसदीय क्षेत्र कवर करने के लिए छह माह का वक्त चाहिए, ऐन मौके पर चुनाव लड़ना आसान नहीं होता। दरअसल, उनको टीस इस बात की भी है कि कांग्रेस उन्हें हार्दिक के विकल्प के रूप में ही आजमाना चाहती है जो उनके राजनीतिक कैरियर पर चोट है।

द्वारकाधीश, भेट द्वारका, लखोटा पैलेस, लखोटा तालाब, लखोटा म्यूजियम व रणमल लेक जामनगर की खूबसूरत व दर्शनीय स्थलों में है। यह सीट भाजपा की परंपरागत सीट है लेकिन इस बार पूनम माडम की राह आसान नहीं होगी यदि हार्दिक पटेल को हाईकोर्ट से चुनाव लडने की मंजूरी मिल जाती है। हार्दिक पाटीदार के साथ अन्य समुदाय के युवाओं में भी लोकप्रिय हैं, सवर्ण गरीबों को दस फीसदी आरक्षण दिया केंद्र ने है लेकिन इसका श्रेय कहीं ना कहीं हार्दिक को भी जाता है। रिलायंस के अलावा एस्सार,टाटा, कैयर्न इंडिया सहित दर्जनों कॉरपोरेट हाउस के कलकारखाने भी यहां की सियासत को असर करते हैं इसलिए पार्टी उम्मीदवार भी उसी के अनुसार तय करती है उनका पसंदीदा या उनके खिलाफ लड़ सकने वाला।


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