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पूर्व-पश्चिम मेदिनीपुर व झाड़ग्राम में मतदान को ले तैयारियां जोरों पर, सुरक्षा व्यवस्था चौकस

मेदिनीपुर समेत जंगल महल की अन्यान्य सीटों पर चुनाव को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए हुए हैं।

By BabitaEdited By: Published: Sat, 11 May 2019 01:38 PM (IST)Updated: Sat, 11 May 2019 01:38 PM (IST)
पूर्व-पश्चिम मेदिनीपुर व झाड़ग्राम में मतदान को ले तैयारियां जोरों पर, सुरक्षा व्यवस्था चौकस
पूर्व-पश्चिम मेदिनीपुर व झाड़ग्राम में मतदान को ले तैयारियां जोरों पर, सुरक्षा व्यवस्था चौकस

खड़गपुर, जेएनएन। पश्चिम मेदिनीपुर जिला अंतर्गत मेदिनीपुर समेत जंगल महल की अन्य सीटों पर चुनाव प्रचार खत्म होने के बाद शनिवार की सुबह से मतदान की व्यस्तता चरम पर जा पहुंची। प्रशासनिक महकमे में पूरे दिन खासी सरगर्मियां चलती रही। मेदनीपुर के लिए खड़गपुर स्थित केंद्रीय विद्यालय नंबर-2, खड़गपुर, झाड़ग्राम में झाड़ग्राम राज कॉलेज (बालिका विंग), तमलुक में केटीटीपी हाईस्कूल, कांथी में कंटाई पीके कॉलेज व घाटाल में घाटाल रवींद्र सतवार्षिकी महाविद्यालय को सेक्टर कार्यालय बनाया गया है।

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सुरक्षा व्यवस्था 

पश्चिम मेदिनीपुर जिले में सुरक्षा व्यवस्था के लिए केंद्रीय बलों की कुल 175 कंपनियां जिले में पहुंची है, वहीं पूर्व मेदिनीपुर में 172 कंपनी व झाड़ग्राम में 114 कंपनियां तैनात की गई हैं। प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक 94.02 फीसद बूथों पर केंद्रीय जवान तैनात रहेंगे। पूर्व मेदिनीपुर में 500 बूथों को संवेदनशील बताया गया है। सुरक्षा-व्यवस्था को लेकर पुलिस प्रशासन भी अपनी ओर से चौकस है।

पिछले दिनों मतदान के दौरान हुई हिंसा

बंगाल में पिछले पांच चरणों में हुए मतदान के दौरान भी फायरिंग और हिंसा की घटनाएं हुई । पांचवें चरण में पश्चिम बंगाल के बैरकपुर में वोटिंग के दौरान हिंसा हुई। बैरकपुर के मोहनपुर में भाजपा उम्मीदवार अर्जुन सिंह के मुंह में चोट लगी। चौथे चरण में बीजेपी के कब्जे वाली आसनसोल सीट पर टीएमसी और बीजेपी समर्थकों में झड़प देखने को मिली। टीएमसी और बीजेपी दोनों ने ही चौथे चरण की वोटिंग के बीच चुनाव आयोग में एक-दूसरे के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। दूसरी ओर वीरभूम जिले से भी उपद्रव की घटनाएं सामने आई हैं। जबकि इससे पहले तीसरे चरण में सीपीएम सांसद मोहम्मद सलीम के कफीले पर वोटिंग के दौरान इस्लामपुर में हमला हुआ था। यहां चुनावी हिंसा का इतिहास पुराना है, हाल ही में संपन्न हुए निकाय चुनाव इसका सबसे बड़ा उदाहरण साबित हुए थे। 

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