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मिशन 2019: महागठबंधन में सीट शेयरिंग, सबकी अपनी डफली-अपना राग

लोकसभा चुनाव के लिए महागठबंधन में अबतक सीटों का समझौता नहीं हुआ है। सब अभी अपनी-अपनी तरह से तरह-तरह के दावे पेश कर रहे हैं। एेसे में महागठबंधन में विवाद होना तय है। जानिए

By Kajal KumariEdited By: Published: Wed, 20 Feb 2019 09:45 AM (IST)Updated: Thu, 21 Feb 2019 11:05 PM (IST)
मिशन 2019: महागठबंधन में सीट शेयरिंग, सबकी अपनी डफली-अपना राग
मिशन 2019: महागठबंधन में सीट शेयरिंग, सबकी अपनी डफली-अपना राग

पटना [भुवनेश्वर वात्स्यायन]। महागठबंधन में सीट शेयरिंग का मामला तय होना अभी बाकी है। संख्या को लेकर किस्म-किस्म के दावे के बीच स्थिति बड़ी दिलचस्प है। 40 सीटों में से साथी दल इतनी सीट मांग रहे कि राजद सबसे छोटा दल माना जाएगा। मांग का हाल यह है कि राजद के एक बड़े नेता ने खीझते हुए कहा कि  इसे मान लें तो हमलोग तो प्रचार करने वाले लोग ही रह जाएंगे।

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दावे के बीच कुछ यूं चल रहा कुनबे का रोचक गणित 

पिछली बार के चुनाव में गणित यह था कि राजद ने 27 सीटों पर अपने प्रत्याशी दिए थे, 12 पर कांग्रेस मैदान में थी और एक सीट एनसीपी के लिए छोड़ी गई थी। इस बार कांग्रेस कुछ अधिक उत्साहित है। 15 से 20 सीट की बात उनके नेता करते रहते हैं।

महागठबंधन के घटक के रूप में हम की ओर से एक दिन यह दावा किया गया कि उससे कांग्रेस से कम सीट नहीं चाहिए। यानी अगर कांग्रेस को 15 सीट भी मिल गई तो 15 सीट हम को भी चाहिए। बाद में हम के सुप्रीमो ने यह बयान दे दिया कि हमें रालोसपा से कम सीट नहीं चाहिए। रालोसपा का यथार्थ यह है कि एनडीए में उन्हें दो सीट मिल रही थी तो वहां से वे अलग हो गई।

बात चली कि पांच सीट पर तैयारी है। अब पांच रालोसपा और पांच हम हो जाते हैं, तो यह संख्या 10 हो जाती है। 15 कांग्रेस का जोड़ लें तो यह 25। इसके अलावा मुकेश सहनी की वीआइपी पार्टी को दो-तीन सीटें चाहिए। शरद यादव को भी लडऩा है मधेपुरा से। पप्पू यादव भी महागठबंधन से आने की तैयारी में हैैं। ऐसे में राजद के लिए कितनी सीटें बचती हैं, यह सहज समझा जा सकता है।

राजद कुछ नहीं बोल रहा पर संकेत मजेदार हैं

सीटों के दिलचस्प दावे के बीच राजद द्वारा अभी अपनी संख्या पर कुछ नहीं कह रहा पर उनके नेताओं ने जो संकेत दिए हैं वह बड़ा ही मजेदार हैैं। राजद का कहना है कि जिन दिग्गजों द्वारा महागठबंधन के टिकट के दावे किए जा रहे हैं, वह राजद के चुनाव चिन्ह पर मैदान में उतरें तो उनकी मांगें कुछ हद तक मानी जा सकती है।

राजद की कोशिश है कि साथी दलों के कुछ नेता लालटेन चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ें, तो वह उस सीट को दे सकती है। दरअसल राजद को डर है कि चुनाव बाद छोटे दल पाला बदल सकते हैं। लालटेन छाप पर चुनाव लड़े तो इस दिक्कत से बचा जा सकेगा।


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