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Up Lok Sabha Election Result 2019: रामपुर में हाथी संग दौड़ी साइकिल, मुरझाया कमल

लोकसभा चुनाव में देशभर में भले ही मोदी की लहर चली लेकिन रामपुर में हाथी के संग मिलकर साइकिल दौड़ पड़ी। यहां भाजपा का कमल मुरझा गया।

By Narendra KumarEdited By: Published: Fri, 24 May 2019 10:57 AM (IST)Updated: Fri, 24 May 2019 11:15 AM (IST)
Up Lok Sabha Election Result 2019: रामपुर में हाथी संग दौड़ी साइकिल, मुरझाया कमल
Up Lok Sabha Election Result 2019: रामपुर में हाथी संग दौड़ी साइकिल, मुरझाया कमल

मुस्लेमीन, ( रामपुर) : लोकसभा चुनाव में देशभर में भले ही मोदी की लहर चली, लेकिन रामपुर में हाथी के संग मिलकर साइकिल दौड़ पड़ी। यहां भाजपा का कमल मुरझा गया। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव आजम खां पहली बार लोकसभा चुनाव लड़े और रिकार्ड वोटों से जीत गए। उन्हे 562127 वोट मिले, जबकि दूसरे नंबर पर भाजपा प्रत्याशी एवं फिल्म अभिनेत्री जयाप्रदा को 452035 वोट ही मिल सके। इस तरह वह 110092 मतों के अंतर से विजयी रहे। तीसरे स्थान पर रहे कांग्रेस उम्मीदवार संजय कपूर को मात्र 35654 वोट पा सके।

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शुरूआत में पीछे, लेकिन फिर आगे बढ़ते गए आजम

 

गुरुवार सुबह आठ बजे मंडी समिति में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मतगणना शुरू हुई। शुरूआत में डाक मत पत्रों की गिनती हुई। इसके बाद ईवीएम में पड़े वोट गिने गए। शुरू में दो घंटे तक कभी आजम तो कभी जयाप्रदा आगे पीछे होते रहे, लेकिन इसके बाद आजम खां बढ़त बनाते गए और 32 वें राउंड तक आगे ही रहे। 

 खूब चलाए सियासी तीर 

 रामपुर लोकसभा सीट पर देशभर की निगाहें लगी थीं। दरअसल आजम खां और राज्यसभा सदस्य अमर ङ्क्षसह के बीच सियासी दुश्मनी है और जयाप्रदा भी अमर ङ्क्षसह की करीबी हैं। चुनाव के दौरान एक दूसरे पर सियासी तीर भी खूब चलाए। इस कारण यह रामपुर हाट सीट हो गई थी। रामपुर सीट देश की उन सीटों में शुमार है, जहां मुस्लिम आबादी सबसे ज्यादा है। यहां करीब 52 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं। आजम खां रामपुर शहर से नौ बार विधायक चुने जा चुके हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव पहली बार लड़े और एक लाख दस हजार के ज्यादा अंतर से जीते। 

 अभी तक कोई नहीं जीता इतने वोटों से 

 रामपुर सीट पर पहले कोई इतने वोटों से नहीं जीता था। इस चुनाव को जीतने के लिए उन्होंने पूरी ताकत लगा दी। रूठों को मनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। बसपा से गठबंधन का भी इन्हे पूरा लाभ मिला। बसपा सुप्रीमो मायावती ने रामपुर में अखिलेश यादव के साथ रैली कर आजम को और मजबूती दी। पिछले लोकसभा चुनाव में रामपुर में बसपा को 81006 वोट मिले थे, इनमें ज्यादातर दलित और मुस्लिम मतदाता ही थे। इनमें से अधिकतर मतदाता इस बार सपा प्रत्याशी के पक्ष में रहे। 

 आजम के बेटे ने खुद संभाली थी चुनाव की कमान

आजम खां के बेटे स्वार टांडा के विधायक अब्दुल्ला आजम ने खुद चुनाव की कमान संभाली। उन्होंने प्रचार में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। इसी का नतीजा रहा कि उनके विधानसभा क्षेत्र में सपा को सबसे ज्यादा वोट मिले। दरअसल आजम खां की पकड़ सिर्फ रामपुर शहर के मतदाताओं तक ही रही है, लेकिन अब्दुल्ला ने गांव-गांव घूमकर ग्रामीण क्षेत्र में भी मजबूत पकड़ बनाई। उनका फोकस ग्रामीण क्षेत्र पर ही रहा। इस कारण ग्रामीण क्षेत्र के लोग सपा से जुड़ते चले गए। 

  महीने भर में दर्ज हुए 14 मुकदमे

 सपा प्रत्याशी आजम खां लोकसभा चुनाव के दौरान अपने विवादित बयानों के चलते मीडिया की सुर्खियों में रहे। आचार संहिता उल्लंघन और आपत्तिजनक भाषण देने पर उनके खिलाफ 14 मुकदमे दर्ज हुए। चुनाव आयोग ने भी उनपर दो बार प्रतिबंध लगाया। 

  जयाप्रदा का जादू नहीं चला

फिल्म अभिनेत्री जयाप्रदा की हार में दो मुख्य वजह रहीं। एक तो उन्हे टिकट देर से मिला और दूसरे कांग्रेंस ने भी हिंदू प्रत्याशी उतार दिया, जबकि इससे  पहले कांग्रेस हमेशा मुसलमान को प्रत्याशी बनाती रही। जयाप्रदा रामपुर से पहले भी दो बार सांसद चुनी गईं। तब वह सपा के टिकट पर थीं, लेकिन इस बार भाजपा की प्रत्याशी बनीं। उन्हे बहुत देर से उम्मीदवार घोषित किया गया, जबकि आजम खां पहले से ही तैयारियों में जुटे थे। जयाप्रदा 2004 और 2009 में रामपुर से चुनाव जीतीं, लेकिन 2014 में रामपुर छोड़ गईं थी। उसके बाद पांच साल में कभी रामपुर नहीं आईं। चुनाव से पहले 31 मार्च को वह रामपुर आईं और तीन  सप्ताह ही प्रचार कर पाईं। राज्यसभा सदस्य अमर ङ्क्षसह उनके करीबी हैं और आजम खां के सियासी दुश्मन, लेकिन इस बार बीमारी के चलते अमर ङ्क्षसह भी जयाप्रदा के लिए ज्यादा जोड़तोड़ नहीं कर पाए। वह उनके नामांकन में भी नहीं आ सके। मतदान से पांच दिन पहले रामपुर आए और तीन दिन ही प्रचार कर सके। इसके अलावा कांग्रेस ने भी ङ्क्षहदू प्रत्याशी उतार दिया। कांग्रेस ने यहां पहली बार मुसलमान का टिकट काटकर हिंदू को प्रत्याशी बनाया। उसने अपने राष्ट्रीय सचिव संजय कपूर को मैदान में उतारा, लेकिन वह ज्यादा दमखम से चुनाव नहीं लड़ सके और बुरी तरह चुनाव हार गए। इससे पहले तमाम चुनाव में कांग्रेस मुसलमान को ही टिकट देती रही। तब मुस्लिम वोट बंटता रहता था, लेकिन इस बार सारा वोट गठबंधन की ओर चला गया। पिछले चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां प्रत्याशी थे और उन्हें  डेढ लाख से ज्यादा वोट मिले थे। बसपा और सपा से भी मुस्लिम प्रत्याशी थे। तब मुस्लिम वोट बंट गया था और भाजपा के डा. नैपाल सिंह जीत गए थे। 

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