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Loksabha Election 2019 : पड़ताल ने चौंकाया, चुनावी समर में रिश्तों पर भी पड़ रहा असर

वोट पर अर्धांगिनी एवं सगी बहन भी एक-दूसरे के साथ नही हैं अधिकांश 17वीं लोकसभा चुनाव में राष्ट्रवाद पर मतदान की सोच रहे।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Wed, 10 Apr 2019 11:58 AM (IST)Updated: Wed, 10 Apr 2019 12:06 PM (IST)
Loksabha Election 2019 : पड़ताल ने चौंकाया, चुनावी समर में रिश्तों पर भी पड़ रहा असर
Loksabha Election 2019 : पड़ताल ने चौंकाया, चुनावी समर में रिश्तों पर भी पड़ रहा असर

वाराणसी [राकेश श्रीवास्‍तव]। वोट पर अर्धांगिनी एवं सगी बहन भी एक-दूसरे के साथ नही हैं। अधिकांश 17वीं लोकसभा चुनाव में राष्ट्रवाद पर मतदान की सोच रहे। मुगलसराय-वाराणसी के दैनिक यात्रियों से बातचीत के लब्बोलुआब में यही तस्वीर उभरी है। हजारों यात्रियों की लाइफलाइन कही जाने वाली मंडुआडीह पैसेंजर ट्रेन में 20 किमी. सफर के दौरान महिलाएं-पुरुष और बुजुर्ग चुनावी चर्चा में बोलने को बेताब दिखे। 45 मिनट की यात्रा में किसने क्या कहा, उनकी बातों के निहितार्थ कुछ यूं निकले ...।

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पीडीडीयू जंक्शन की घड़ी सुबह के 8.45 बजा रही थी। प्लेटफार्म खड़ी हो रही ट्रेन का पहिया थमा ही था कि सैकड़ों यात्री सीट पाने के लिएं एक-दूसरे को धक्का देते कोच में जा घुसे। अफरा-तफरी थमी तो 8.55 बजे ट्रेन चल पड़ी लेकिन दूसरे ही पल फिर थम गई। सीट मिलने से इत्मीनान मोड आए यात्री संवाददाता के एक सवाल पर बोलने को आतुर दिखे। ऐसा प्रतीत हुआ कि चुनावी चर्चा को तैयार होकर पहुंचे हों। अवहीं के अखिलेश कुमार वर्मा ने कहा देश के लिए वोट करेंगे। क्यों करेंगे? का सवाल पूरा भी नहीं हुआ कि पड़ोस में बैठे संतोष कुमार बोले विकास दिखने लगा है। दूर खड़े ओमप्रकाश गुप्ता निकट पहुंच बोले मेरे यहां की सड़क अब टूटती नहीं। चार साल हो गए, पहले सड़कें पहली बारिश के बाद ही मरम्मत मांगने लगतीं थीं। जमानियां के रामनिवास ने कहा मैं सहमत नहीं हूं। मेरा बेटा सिपाही भर्ती का मेडिकल कराने के बाद भी वर्दी नहीं पहन पा रहा। एक साल हो गए रिजल्ट नहीं आया। सवाल उठा क्या दिक्कत है?

किसी से मिले तो रामनिवास खामोश पड़ गए। त्रिवेणी साह ने कहाकि पीएम, सीएम जिम्मेदार नहीं। आरटीआइ लगाइए, हाकिमों से बात करिये। बीच में 75 वर्षीय सुभाष मास्टर कूद पड़े, बोले ट्वीट करा फिर देखा काम हो जाई। चुनावी चर्चा को अपनी तेज आवाज से खामोश करने का प्रयास करते युवा पंकज सिंह ने एंट्री की। बोले एना पारी नोटा क बटन दबाइब। शिक्षकों की भर्ती पर सपा-भाजपा की सरकारें खामोश हैं, कहते अपनी सीट की ओर बढ़ चले। कुरेदने उनके पास पहुंचे तो उनकी पत्नी रीना सिंह मिल गईं। बोलीं उनका वोट देश एवं विकास को जाएगा। वहीं मिले धानापुर के धनंजय यादव ने कहाकि मोदी चंदौली से लड़ें तो वोट दूंगा, दूसरे को हराऊंगा। उनकी बहन खामोश बैठीं थीं, सवाल  करने पर बोलीं हम मोदी के साथ ...। चर्चा में सभी इतने मगन की पीडीडीयू जंक्शन से खुली ट्रेन यात्रियों को उतारते-चढ़ाते कैंट रेलवे स्टेशन पहुंच चुकी थी। स्टेशन की कोलाहल चुनावी चर्चा पर भारी पड़ी तो लोगों को ट्रेन के मंजिल पर आ पहुंचने का आभास हुआ और अगले गंतव्य को बढ़ चले। इस दौरान बातचीत में परिवार में भी आपसी मनमुटाव चुनावों को लेकर भी खासे नजर आए। विवाद के मामले घर और चौखट से भी बाहर आने की कहानियों में चौंकाया। हालांकि अभी पूर्वांचल में सियासी सरगर्मी की महज शुरुअात भर है।

चुनावी मुद्दा

1-पैसेंजर ट्रेनों में भी सुरक्षा प्वाइंट होनी चाहिए।

2-सरकार महिलाओं को आरक्षण देने में कटिबद्धता दिखाए।

3-60 के बाद सभी के लिए पेंशन का प्रावधान हो।

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