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अल्‍मोड़ा सीट : आपदा पीडि़तों का पुनर्वास और विस्थापन बन रहा है बड़ा मुद्दा

अल्मोड़ा संसदीय क्षेत्र में पुनर्वास और विस्थापन बड़ा मुद्दा है। पिथौरागढ़ जिले की पांच तहसीलों में 111 गांवों पर प्रकृति का खतरा मंडराया है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sat, 16 Mar 2019 10:04 AM (IST)Updated: Sat, 16 Mar 2019 10:04 AM (IST)
अल्‍मोड़ा सीट : आपदा पीडि़तों का पुनर्वास और विस्थापन बन रहा है बड़ा मुद्दा
अल्‍मोड़ा सीट : आपदा पीडि़तों का पुनर्वास और विस्थापन बन रहा है बड़ा मुद्दा

पिथौरागढ़, जेएनएन : अल्मोड़ा संसदीय क्षेत्र में पुनर्वास और विस्थापन बड़ा मुद्दा है। पिथौरागढ़ जिले की पांच तहसीलों में 111 गांवों पर प्रकृति का खतरा मंडराया है। प्रतिवर्ष आपदा झेलने के बाद भी 1972 के बाद से एक भी परिवार का विस्थापन नहीं हुआ है। प्रतिवर्ष विस्थापित होने वाले गांवों और परिवारों की संख्या बढ़ती जा रही है।

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संसदीय क्षेत्र में पिथौरागढ़ और बागेश्वर जनपद का एक बड़ा हिस्सा प्रकृति की मार झेल रहा है। प्रतिवर्ष मानसून काल में प्रकृति अपना कहर बरपाती है। कई परिवार भवनहीन तो कई भूमिहीन हो जाते हैं। कुछ गांव तो ऐसे हैं जहां पर हर साल आपदा का कहर बरसता है। इसमें मुनस्यारी का कुलथम गांव के ग्रामीणों को पांचवी बार गांव छोडऩा पड़ा है। मुनस्यारी का क्वीरीजीमिया में तो गांव के बीच प्रतिवर्ष चौड़ी हो रही दरार विस्थापन का संकेत देने लगी है। तहसील डीडीहाट का बस्तड़ी गांव आपदा के चलते जनशून्य हो चुका है। ग्रामीण सरकार से पुनर्वास और विस्थापन की आस की बाट जोह रहे हैं।

धारचूला के सोबला, न्यू सुवा , कंच्योती जैसी बस्तियां बर्बाद होने से यहां के ग्रामीण खानाबदोश जैसा जीवन जी रहे हैं। नाचनी के निकट के नया बस्ती के ग्रामीण गांव के निकट नाचनी कस्बे में किराए पर रह रहे हैं। इस तरह के गांवों की संख्या लगभग 111 पहुंच चुकी है। विस्थापन और पुर्नवास की कोई नीति अभी तक तय नहीं हो पाई है। 1971 की तवाघाट, दर, गब्र्याग की भूस्खलन की घटनाओं के बाद कुछ परिवारों का तराई में सितारगंज में विस्थापन हुआ। इसके बाद एक भी परिवार का विस्थापन नहीं हुआ है।

पहाड़ में आपदा की बड़ी घटनाएं

वर्ष               स्थल

1998           मालपा

2002           गोरीछाल, मंदाकिनी घाटी

2007           बरम 

2009           मुनस्यारी का ला-झेकला

2013           धारचूला, मुनस्यारी

2016           बस्तड़ी

2018           मुनस्यारी, मदकोट, बंगापानी

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