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UP election results 2019 : सोशल इंजीनियरिंग ने रमेशचंद बिंद के पक्ष में पलट दी बाजी

भदोही संसदीय सीट रमेशचंद बिंद ने 510029 मत हासिल कर भाजपा की झोली में डाल दी है। 466414 मत प्राप्त कर गठबंधन प्रत्याशी रंगनाथ मिश्र को 43615 पीछे कर गए।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Fri, 24 May 2019 02:49 PM (IST)Updated: Fri, 24 May 2019 02:49 PM (IST)
UP election results 2019 : सोशल इंजीनियरिंग ने रमेशचंद बिंद के पक्ष में पलट दी बाजी
UP election results 2019 : सोशल इंजीनियरिंग ने रमेशचंद बिंद के पक्ष में पलट दी बाजी

भदोही, जेएनएन। : भदोही संसदीय सीट रमेशचंद बिंद ने 5,10029 मत हासिल कर भाजपा की झोली में डाल दी है। 466414 मत प्राप्त कर गठबंधन प्रत्याशी रंगनाथ मिश्र को 43615 पीछे कर गए। इसके पीछे के कारणों को देखा जाय तो राष्ट्रवाद व विकास के नारे के साथ ही भाजपा की सोशल इंजीनियरिंग ने पूरी बाजी पलट कर रख दी। बसपा से निकाले जाने के बाद पहली बार भदोही में पदार्पण करने वाले रमेशचंद ने जीत हासिल कर राजनीतिक दिग्गजों की ओर से लगाए गए सारे समीकरण को ध्वस्त कर दिया।

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भदोही संसदीय सीट के जातिगत आकड़ों को देखा जाय तो करीब 3.50 लाख ब्राह्मण तो 3.15 लाख बिंद मतदाता है। इसके साथ ही तील लाख दलित, 2.25 लाख मुस्लिम, दो लाख यादव, 60 हजार ठाकुर तो लगभग 3.50 लाख अन्य जाति के मतदाता है। गठबंधन ने जब पूर्व मंत्री रह चुके रंगनाथ मिश्र को प्रत्याशी बनाया तो उम्मीद थी कि उन्हें परंपरागत दलित, मुस्लिम, यादव के साथ ब्राह्मणों का मत हासिल हो जायगा। और उनकी जीत की राह आसान हो जाएगी। गठबंधन के इस चाल से एक बार जो भाजपा की मुश्किलें जरूर बढ़ती दिखी। शीर्ष नेतृत्व को प्रत्याशी चयन में कई दिन लग गए। अंतत: बसपा से निकाले गए रमेश के नाम पर मुहर लगा दी। इसका लाभ पार्टी को यह हुआ कि परंपरागत ब्राह्मण, वैश्य, ठाकुर, मौर्य, पटेल के साथ बिंद मतदाता भी सीधे भाजपा से जुड़ गये। जो कभी सीधे तौर पर समाजवादी पार्टी के वोटर माने जाते थे।

इस सोशल इंजीनियरिंग के जरिए जहां जातीय समीकरण साधने का काम हुआ तो मोदी के राष्ट्रवाद व विकास को लेकर चलाई गई लाभपरक योजनाओं का का असर यह दिखा कि ब्राह्मण मतदाता तो हटा नहीं, बल्कि अति पिछड़ा वर्ग में शामिल अन्य जातियां भी भाजपा से जुड़ गई। इसके पीछे स्पष्ट तौर पर एक कारण यह भी दिखता है कि बसपा व सपा दोनों दलों की ओर से अति पिछड़ी जातियों में शामिल चाहे वह मौर्य हो या फिर बिंद, विश्वकर्मा, निषाद, पटेल अथवा अन्य बिरादरी एवं दलित में शामिल पासी, धोबी आदि वर्गों की ओर से कोई चेहरा तैयार नहीं किया गया जो इन्हें अपने पक्ष में एकजुट रख सके।

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