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राजस्थान के 2019 के चुनाव परिणाम ने बता दिया कि पांच महीने में ही बदल गया सारा मंजर

राजस्थान की राजधानी जयपुर में कांग्रेस और भाजपा के प्रदेश मुख्यालयों पर पांच माह बाद ही मंजर बदला हुआ नजर आया।

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 24 May 2019 10:35 AM (IST)Updated: Fri, 24 May 2019 11:40 AM (IST)
राजस्थान के 2019 के चुनाव परिणाम ने बता दिया कि पांच महीने में ही बदल गया सारा मंजर
राजस्थान के 2019 के चुनाव परिणाम ने बता दिया कि पांच महीने में ही बदल गया सारा मंजर

जयपुर, राज्य ब्यूरो। राजस्थान की राजधानी जयपुर में कांग्रेस और भाजपा के प्रदेश मुख्यालयों पर पांच माह बाद ही मंजर बदला हुआ नजर आया। दिसंबर 2018 में विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद कांग्रेस के प्रदेश मुख्यालय पर जश्न था, तो गुरुवार को तस्वीर पूरी तरह उलट गई थी। लोकसभा चुनाव में राजस्थान में भाजपा की भारी जीत ने पार्टी कार्यकर्ताओं में कुछ ऐसा जोश भरा कि सुबह नौ बजे रुझानों के साथ शुरू हुआ जश्न शाम तक चलता रहा।

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कांग्रेस मुख्यालय में लोग प्रदेश के नेताओं का चेहरा देखने को तरस गए। दिसंबर 2018 में विधानसभा चुनाव में चुनाव परिणाम के दिन अच्छी सर्दी के बावजूद भाजपा का प्रदेश मुख्यालय सुबह 11 बजते-बजते खाली हो गया था, लेकिन गुरुवार के दिन तापमान 40 डिग्री के आसपास होने के बावजूद यहां दिन भर नेताओं और कार्यकर्ताओं की भीड़ लगी रही। सुबह आठ बजे से ही कार्यकर्ता यहां आना शुरू हो गए थे।

मुख्यालय के बाहर एक बडी स्क्रीन पर चुनाव परिणाम देखने की व्यवस्था की गई थी। खुद प्रदेश अध्यक्ष मदन लाल सैनी नौ बजे प्रदेश मुख्यालय पहुंच गए थे और कार्यकर्ताओं ने उन्हें बधाई देना शुरू कर दिया था। इसके बाद यहां कार्यकर्ताओं की भीड़ बढ़ती गई और दोपहर 12 बजे पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे यहां पहुंचीं और कार्यकर्ताओं को जीत की बधाई दी। इसके साथ ही एक के बाद एक बड़े नेताओं का यहां आना शुरू हो गया और आतिशबाजी, मिठाई के साथ मोदी का मुखौटा लगाए कार्यकर्ता मोदी-मोदी के नारे लगाने लगे। यह सिलसिला यहां लगभग पूरे दिन चलता रहा और तेज धूप के बावजूद कार्यकर्ता दिन भर यहां जमा रहे।

उधर, कांग्रेस कार्यालय में जहां विधानसभा चुनाव परिणाम के दिन पैर रखने की जगह नहीं थी, वहां आज सन्नाटा पसरा रहा। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट सहित पार्टी के ज्यादातर बडे़ नेता शाम तक पार्टी कार्यालय नहीं आए। कुछ प्रदेश पदाधिकारी जरूर नजर आए, लेकिन उनके चेहरे पर भी मायूसी ही दिखी। कार्यकर्ताओं की भीड़ भी नजर नहीं आई। हार के कारणों पर चर्चा जरूर होती रही।  

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