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Jharkhand Election Results 2019: लोकसभा चुनाव में कारगर रहा रघुवर दास का मास्टर स्ट्रोक

Jharkhand Election Results 2019. लोकसभा चुनावों में जनजातियों के बीच पैठ बढ़ाकर क्षेत्रीय दलों के वजूद को तोडऩे की मुख्यमंत्री रघुवर दास की रणनीति खासी कारगर रही।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Sat, 25 May 2019 12:21 PM (IST)Updated: Sat, 25 May 2019 12:39 PM (IST)
Jharkhand Election Results 2019: लोकसभा चुनाव में कारगर रहा रघुवर दास का मास्टर स्ट्रोक
Jharkhand Election Results 2019: लोकसभा चुनाव में कारगर रहा रघुवर दास का मास्टर स्ट्रोक

रांची, राज्य ब्यूरो। लोकसभा चुनावों में जनजातियों के बीच पैठ बढ़ाकर क्षेत्रीय दलों के वजूद को तोडऩे की मुख्यमंत्री रघुवर दास की रणनीति खासी कारगर रही। इस वजह से राज्य में अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित पांच सीटों पर तो भाजपा ने जीत हासिल की ही, साथ ही अन्य सीटों पर भी उसे जनजातीय समाज का पूरा साथ मिला।

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मुख्यमंत्री ने पार्टी लाइन पर अमल करते हुए धर्म स्वतंत्र विधेयक जैसे हथियार भी आजमाए। इसके अलावा चुनाव के दौरान सरना धर्मकोड लागू करने के लिए अनुशंसा की बात कह, उन्होंने भाजपा के लिए सहानुभूति बटोरी। धर्मांतरण के खिलाफ ठोस कार्रवाई का परिणाम यह रहा कि आदिवासी समुदाय भाजपा के पक्ष में गोलबंद हुआ।

दुमका से झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष शिबू सोरेन तक इस रणनीतिक चक्रव्यूह को भेद नहीं पाए। परिणाम बता रहे हैं कि चुनाव में इन मुद्दों को सही समय पर उछालकर मुख्यमंत्री रघुवर दास ने पूरा फायदा भाजपा की झोली में डालने में कामयाबी पाई। झारखंड में आदिवासी समाज लंबे समय से सरना धर्मकोड की मांग कर रहा है। केंद्रीय सरना समिति के साथ-साथ भाजपा का अनुसूचित जनजाति मोर्चा इस मांग को भाजपा की कार्यसमिति की बैठक में भी उठाता रहा है।

राजनीतिक नफे-नुकसान को देखते हुए सरकार इस पर हाथ नहीं लगा रही थी। लेकिन ऐन लोकसभा चुनावों के मौके पर मुख्यमंत्री ने इस कार्ड को खेला। चुनाव प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा था कि वे इसके पक्षधर हैं। सरना धर्मकोड का मसला लोगों के हित से जुड़ा हुआ है। सरकार इसे लागू करेगी। दरअसल, भाजपा की रणनीति इस धर्म कोड को लागू कर धर्म परिवर्तन करने वाले आदिवासियों को जनजातीय समाज के तहत मिलने वाले लाभ से वंचित करना है।

जनजातीय समाज का बड़ा तबका मानता है कि सरकारी नौकरियों के आरक्षण में धर्म कोड लागू होने से उन्हें लाभ होगा। धर्म कोड लागू न होने से सरकारी नौकरियों का लाभ वैसे ईसाई समाज को ज्यादा हो रहा है, जिन्होंने धर्म परिवर्तन किया है। राज्य सरकार ने पूर्व में धर्म स्वतंत्र विधेयक कानून लागू किया था। इससे आदिवासी समुदाय की अपनी पहचान भी जुड़ी हुई है, जो अपनी सांस्कृतिक परंपराओं का हवाला देकर अपने लिए जनगणना में अलग कोड की मांग करता रहा है।

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