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Lok Sabha Election-2019: यूपी में भावनाओं की डोर से कांग्रेस की किस्मत बदलने उतरीं प्रियंका

प्रयागराज से वाराणसी के बीच की अपनी पहली सियासी यात्रा में गंगा को केंद्र में रखकर प्रियंका ने कांग्रेस को सियासी सूबे की राजनीतिक धुरी में लाने का दांव भी चला है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 17 Mar 2019 09:43 PM (IST)Updated: Mon, 18 Mar 2019 12:10 AM (IST)
Lok Sabha Election-2019: यूपी में भावनाओं की डोर से कांग्रेस की किस्मत बदलने उतरीं प्रियंका
Lok Sabha Election-2019: यूपी में भावनाओं की डोर से कांग्रेस की किस्मत बदलने उतरीं प्रियंका

संजय मिश्र, नई दिल्ली। उत्तरप्रदेश के राजनीतिक समर में सोमवार से उतर रहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने 2019 के महासंग्राम में जनता के मुद्दों के साथ भावनाओं की डोर से सूबे में कांग्रेस की किस्मत बदलने की रणनीति की राह का संकेत दे दिया है। उत्तरप्रदेश की धरती से अपने आत्मिक जुड़ाव और पुराने गहरे नाते के साथ अपनी सियासत को गंगाजी के सहारे आगे बढ़ाने की बात कह प्रियंका ने अपनी इस रणनीति की झलक दे दी है।

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इतना ही नहीं राजनीति बहस के शोर में जनता के मुद्दों दब जाने का जिक्र कर उन्होंने यह भी साफ कर दिया है कि बड़े चुनावी वादों की नाकामी को लेकर मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा करना उनके चुनावी अभियान का अहम हिस्सा होगा।

प्रियंका गांधी वाड्रा ने पूर्वी उत्तरप्रदेश के प्रयागराज से वाराणसी के बीच शुरू हो रहे सियासी अभियान 'सांची बात: प्रियंका के साथ' से पहले रविवार को सूबे की जनता के नाम खुली पाती में अपनी इस रणनीति का संकेत दिया है। इस पत्र के मजमून से साफ है कि सूबे में कांग्रेस की तकदीर पलटने के लिए वे नेहरू-गांधी परिवार के पुराने रिश्तों से जुड़ी भावनाओं को फिर से जगाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगी।

महासचिव पद की जिम्मेदारी को कांग्रेस के सिपाही के रुप में निभाने की बात कहते हुए प्रियंका ने जनता से अपना बहुत पुराना नाता बताकर इसे जाहिर भी किया है। उत्तरप्रदेश की धरती से आत्मिक जुड़ाव की बात करते हुए वे कहती हैं कि कांग्रेस के सिपाही के रुप में सूबे की राजनीति को बदलने की जिम्मेदारी निभाएंगी।

चुनाव को मुद्दों पर फोकस करने की गुजरात की अपनी पहली रैली की बात दुहराते हुए प्रियंका ने कहा है कि उत्तरप्रदेश की राजनीति में आज ठहराव है। युवा, महिलाएं, किसानों और मजदूर परेशानी में हैं और अपनी बात और पीड़ा साझा करना चाहते हैं, लेकिन राजनीतिक गुणा-गणित के शोर में युवाओं, महिलाओं ,किसानों और मजदूरों की आवाज प्रदेश की नीतियों से पूरी तरह गायब है।

प्रियंका ने इसके जरिये एक बार फिर चुनाव को राष्ट्रवाद पर ले जाने की भाजपा की कोशिशों पर परोक्ष निशाना साधा। गांधीनगर की रैली में प्रियंका ने चुनाव को असल मुद्दों से भटकाने को लेकर आगाह करते हुए जागरूकता को सबसे बड़ी देशभक्ति करार दिया था।

प्रियंका के पत्र से साफ है कि मोदी सरकार की उपलब्धियों के दावों को तथ्यों की कसौटी पर धराशायी कराना उनके अभियान का अहम हिस्सा होगा। इसीलिए उनके चुनाव संपर्क अभियान का नाम 'सच्ची बात प्रियंका के साथ' रखा गया है। उन्होंने पत्र में लोगों को विश्वास दिलाया है कि वे जनता की बातें सुनकर सच्चाई और संकल्प की बुनियाद पर सूबे की राजनीति में कांग्रेस बदलाव लाएगी। इसीलिए जनता से सीधा एक सच्चा संवाद करने मैं आपके द्वार पहुंच रही हूं।

सूबे में कांग्रेस की कायापलट की राह आम आदमी के बीच जाने से ही शुरू होगी प्रियंका ने पार्टी कैडर को यह संदेश देने की भी कोशिश की है। गंगा तीरे के इलाकों की अपनी पहली सियासी यात्रा के दौरान जल मार्ग, बस, ट्रेन से लेकर पदयात्रा जैसे साधनों के जरिये लोगों के बीच पहुंचने की उनकी घोषणा इस रणनीति को दर्शाता है।

प्रयागराज से वाराणसी के बीच की अपनी पहली सियासी यात्रा में गंगा को केंद्र में रखकर प्रियंका ने कांग्रेस को सियासी सूबे की राजनीतिक धुरी में लाने का दांव भी चला है। पीएम मोदी के इलाके से पार्टी की सियासी हुंकार के जरिये प्रियंका यह संदेश देने की कोशिश कर रही हैं कि कांग्रेस सीधे उनको चुनौती देने में सक्षम है।

गंगा को सच्चाई और समानता के साथ गंगा-जमुनी संस्कृति का प्रतीक बताते हुए प्रियंका ने पत्र में कहा है कि वे किसी से भेदभाव नहीं करतीं। इसमें निशाना साफ तौर पर भाजपा की राजनीतिक विचारधारा पर है। गंगा को उत्तरप्रदेश का सहारा बताते हुए प्रियंका ने यह कहने से भी गुरेज नहीं किया है कि वे गंगाजी का सहारा लेकर भी लोगों के बीच पहुंचेगी।

गंगा की लहरों पर सियासत की कश्ती

जी चाहता है, फिल्म हु तु तु के लिए गुलजार की लिखीं लाइनें चुराकर कुछ जोड़-घटा लूं-छई छप्पा छई। आती जाती लहरों पे..सियासत की कश्ती।' वर्चुअली तो यह कश्ती कई दिन से तैर रही है। लेकिन, हकीकत में इसका लंगर सोमवार को उठेगा। इस कश्ती पर मुसाफिर होंगी कांग्रेस महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा। सफर होगा संगमनगरी प्रयागराज से बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी तक का। बीच-बीच में पैदल और कार की सवारी भी करेंगी।

लखनऊ में रोड-शो के जरिए सियासत में धमाकेदार आमद दर्ज कराने वाली प्रियंका ने मतदाताओं तक पहुंचने का एक नायाब रास्ता खोजा है-जलमार्ग से जनता तक। वैसे तो इस एनडब्ल्यू-1 यानी राष्ट्रीय जलमार्ग-1 को मोदी सरकार ने विकसित किया है माल ढुलाई और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए। मगर सियासत की ढुलाई पहले हो जाएगी। शायद यह पहली बार होगा, जब किसी पार्टी का कोई नेता इतनी लंबी दूरी तक जलमार्ग से प्रचार या जनसंपर्क अभियान के लिए निकलेगा। कांग्रेस के लोग दावा कर रहे हैं कि प्रियंका गंगा किनारे के लोगों से मिलकर उनकी समस्याएं जानेंगी।

गणित यह भी लगाया जा रहा है कि उनके एजेंडे में है गंगा किनारे का बड़ा पिछड़ा वर्ग वोट बैंक। नमामि गंगे का लिटमस टेस्ट भी होगा। अगर राहुल गांधी जनेऊ पहनकर फोटो खिंचवा चुके हैं तो प्रियंका संगम दर्शन के साथ ही विंध्यवासिनी व बाबा विश्र्वनाथ सहित कई मंदिरों में दर्शन-पूजन कर आशीर्वाद लेंगी और कांग्रेस की एक गांठ हिंदुत्व से भी बांधेंगी।

तीन दिन के अपने इस पूरे सफर में प्रियंका छह संसदीय सीटों को नापेंगी। आखिरी पड़ाव होगा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी।प्रियंका की इस यात्रा को लेकर संगठन में भी कुछ खींचतान जैसे संकेत भी उभरे। शुक्रवार को तो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर ने ट्वीट कर कांग्रेस कार्यकर्ताओं के उत्साह में नींबू निचोड़ दिया- 'उप्र महासचिव प्रियंका गांधी जी अभी आई भी नहीं कि उनके लंबे-चौड़े प्रोग्राम आ गए।' इससे पार्टी कार्यकर्ताओं में थोड़ी मायूसी आ गई थी। लेकिन, एसपीजी के आने और शनिवार रात निर्वाचन आयोग-प्रशासन द्वारा कुनमुनाते हुए कार्यक्रम की अनुमति दे देने से तैयारियों में फिर उफान आ गया।

6 संसदीय क्षेत्रों इलाहाबाद, फूलपुर, भदोही, मीरजापुर, चंदौली और वाराणसी का होगा दौरा

4 धार्मिक स्थलों बड़े हनुमान मंदिर, लाक्षागृह, विंध्यवासिनी देवी व विश्वनाथ मंदिर जाएंगी प्रियंका

5 स्थानों मनैया, दुमदुमा, सिरसा, लाक्षागृह व मांडा में लोगों से मुलाकात करेंगी कांग्रेस महासचिव

38 गांवों से होकर निकलेगी प्रियंका की गंगा यात्रा, घाटों पर ग्रामीणों का अभिवादन भी करेंगी।


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