Malegaon Blast: प्रज्ञा ठाकुर ने कोर्ट में उनके खिलाफ दायर याचिका को बताया पब्लिसिटी स्टंट
Lok Sabha Election 2019 में BJP ने भोपाल से प्रज्ञा ठाकुर को चुनाव मैदान में उतार बड़ा दांव खेला है। NIA कोर्ट के अलावा EC ने भी आचार संहिता उल्लंघन में उन्हें नोटिस जारी किया है।
नई दिल्ली, एएनआई। मालेगांव बम धमाकों की मुख्य आरोपी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने मुंबई की एनआईए कोर्ट में चुनाव लड़ने को लेकर अपना जवाब दाखिल किया है। 2008 में हुए मालेगांव बम धमाकों के एक पीड़ित ने प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ एनआईए कोर्ट में याचिका दायर कर उनके लोकसभा चुनाव लड़ने पर रोक लगाने का अनुरोध किया था। भाजपा ने प्रज्ञा ठाकुर को भोपाल से कांग्रेस उम्मीदवार दिग्विजय सिंह के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा है।
प्रज्ञा ठाकुर द्वारा एनआईए कोर्ट में जवाब दाखिल करते हुए कहा गया है कि पीड़ित द्वारा उनके खिलाफ कोर्ट में दायर की गई याचिका पब्लिसिटी बटोरने के लिए है। उन्होंने अपने खिलाफ दायर याचिका को तुच्छ और राजनीति से प्रेरित बताया है। उन्होंने अपने जवाब में कोर्ट से कहा है कि उनके खिलाफ दायर याचिका को आवेदक पर जुर्माना लगाने के साथ खारिज कर देना चाहिए।
मामले में मुंबई की विशेष अदालत ने साध्वी प्रज्ञा के खिलाफ ब्लास्ट केस की जांच कर रही एजेंसी एनआईए से भी जवाब मांगा था। एजेंसी ने एनआईए कोर्ट में जवाब दाखिल करते हुए कहा है कि ये मामला चुनाव और चुनाव आयोग से संबंधित है। ये मामला एनआईए के अधिकारी क्षेत्र से बाहर है। मतलब एनआईए ने साध्वी प्रज्ञा के चुनाव लड़ने पर कोई आपत्ति दर्ज न करते हुए गेंद चुनाव आयोग के पाले में डाल दी है। करीब एक साल पहले प्रज्ञा ठाकुर की जमानत पर भी एनआईए ने कोई आपत्ति नहीं की थी।
मालूम हो कि साध्वी प्रज्ञा वर्ष 2008 में हुए मालेगांव बम धमाकों में मुख्य आरोपी हैं। उनके खिलाफ मुंबई की एनआईए कोर्ट में मुकदमा चल रहा है। फिलहाल वह करीब एक साल से जमानत पर जेल से बाहर हैं। जमानत पर बाहर आकर उनके लोकसभा चुनाव लड़ने को लेकर मालेगांव बम धमाकों के एक पीड़ित के पिता ने आपत्ति जताई थी। पीड़ित ने मामले में एनआइए कोर्ट में याचिका डाली थी। उस याचिका पर कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा से जवाब मांगा था।
मालेगांव धमाकाः कब क्या हुआ इस केस में
- मालेगांव ब्लास्ट 2008 मामले में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को बॉम्बे हाईकोर्ट ने जमानत दे दी है। इस मामले में जांच एजेंसी एनआईए पहले ही उन पर से आरोप वापस ले चुकी है। यहां पढ़ें मालेगांव ब्लास्ट मामले से जुड़ी हर बात।
- 29 सितंबर 2008 को हुए मालेगांव धमाके में 4 लोगों की मौत हो गई थी और 79 को चोटें आईं। नासिक जिले के मालेगांव शहर में शकील गुड्स ट्रांसपोर्ट कंपनी के पास यह धमाका हुआ। यहां एक मोटरसाइकिल में छिपाकर विस्फोटक पदार्थ रखा हुआ था।
- इस धमाके की जांच महाराष्ट्र एटीएस को सौंपी गई। एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे (26/11 मुंबई आतंकी हमले में शहीद हो गए) ने इसकी जांच शुरू की तो मोटरसाइकिल मालिक की जांच उन्हें सूरत तक ले गई। यहीं से एटीएस के हाथ साध्वी प्रज्ञा ठाकुर तक पहुंचे।
- इसी क्रम में कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित और रिटायर मेजर रमेश उपाध्याय भी गिरफ्त में आए। इस धमाके में अभिनव भारत संगठन की तरफ भी उंगलियां उठीं। इनमें से कुछ लोगों के नाम मालेगांव 2006 जैसे अन्य घटनाओं में भी आया।
- 20 जनवरी 2009 और 21 अप्रैल 2011 को महाराष्ट्र एटीएस ने मुंबई की विशेष मकोका अदालत में 14 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। 8 लोगों को न्यायिक हिरासत में भेजा गया, जबकि 4 को जमानत मिल गई। इनके अलावा दो आरोपी गिरफ्त से बाहर थे।
- गृह मंत्रालय के निर्देशों पर 13 अप्रैल 2011 को यह मामला महाराष्ट्र एटीएस से एनआईए को सौंप दिया गया।
- 13 मई 2016 को एनआईए ने सबूतों के अभाव मे अपनी चार्जशीट में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और पांच अन्य के खिलाफ सभी आरोप वापस ले लिए।
- 28 जून 2016 को विशेष एनआईए कोर्ट ने इस मामले में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था। जबकि इससे एक महीने पहले ही जांच एजेंसी ने उन्हें क्लीन चिट दे दी थी।
- 25 अप्रैल 2017 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को सशर्त जमानत दे दी। लेकिन उन्हें अपना पासपोर्ट एनआइए के पास जमा कराना होगा और 5 लाख रुपये की जमानत राशि भी देनी होगी। इसके अलावा साध्वी को ट्रायल कोर्ट में तारीखों पर उपस्थित होने का भी निर्देश कोर्ट ने दिया है।